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क्या पश्चिम बंगाल में ओवैसी के साथ चुनावी गठबंधन करेंगी ममता बनर्जी? जानें-क्या हैं संभावनाएं

बिहार में पार्टी के प्रदर्शन से खुश एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी की निगाहें अब पश्चिम बंगाल पर हैं और राज्य में विधानसभा चुनाव से पहले ओवैसी ने सीएम ममता बनर्जी से हाथ मिलाने का प्रस्ताव रख दिया है।

By Nitin AroraEdited By: Updated: Thu, 19 Nov 2020 03:15 PM (IST)
क्या पश्चिम बंगाल में ओवैसी के साथ चुनावी गठबंधन करेंगी ममता बनर्जी?
कोलकाता, राज्य ब्यूरो। असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआइएमआइएम ने बिहार विधानसभा चुनाव में जोरदार दमखम दिखाया तो पश्चिम बंगाल में आने वाले चुनावों के मद्देनजर भी अल्पसंख्यकों के तेवर देखने को मिल सकते हैं। बता दें कि पश्चिम बंगाल की चुनावी राजनीति में अल्पंसख्यकों का प्रभाव बिहार से ज्यादा है। तो ऐसे में बिहार में बड़े फेरबदल करने वाले ओवैसी की पार्टी ने अगर पश्चिम बंगाल में झंडा गाड़ा तो ममता सरकार की राह मुश्किल हो सकती है। हालांकि, असदुद्दीन ओवैसी ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को पश्चिम बंगाल के चुनाव में साथ मिलकर लड़ने की पेशकश कर दी है।

ममता सरकार, ओवैसी के गठबंधन के प्रस्ताव पर ध्यान जरूर देना चाहेगी

ओवैसी ने ममता के साथ चुनाव पूर्व गठबंधन की पेशकश करते हुए कहा कि उनकी पार्टी आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा को हराने में तृणमूल कांग्रेस की मदद करेगी। दरअसल, बिहार के सीमांचल क्षेत्र में मुस्लिम बहुल 5 सीटें जीतने के बाद एआइएमआइएम का आत्मविश्वास काफी बढ़ा हुआ है। ऐसे में ओवैसी ने ऐलान किया था कि वह बंगाल चुनाव में भी अपने उम्मीदवार उतारेंगे। एआइएमआइएम की नजर बंगाल में भी खासकर अल्पसंख्यक आबादी वाले मालदा, मुर्शिदाबाद और उत्तर दिनाजपुर जिले पर है। ऐसे में जहां बंगाल चुनाव में एआईएमआईएम की एंट्री को टीएमसी खतरे के रूप में देख रही है तो ममता सरकार ना चाहते हुए भी एक बार ओवैसी के गठबंधन के प्रस्ताव पर ध्यान जरूर देगी।

ममता ने ओवैसी को बताया था 'बाहरी'

गौरतलब है कि ओवैसी का तृणमूल को समर्थन वाला बयान ऐसे समय पर आया है कि जब हाल ही में ममता बनर्जी ने एआइएमआइएम पर अप्रत्यक्ष रूप से हमला बोलते हुए कहा था कि कुछ बाहरी लोगों को परेशान और आतंकित करेंगे। इसी के साथ उन्होंने राज्य की जनता से बाहरियों का विरोध करने का आग्रह किया था।

ओवैसी की एंट्री से ममता को कितना नुकसान

बता दें कि बंगाल चुनाव में एआइएमआइएम की एंट्री को तृणमूल खतरे के रूप में देख रही है। दरअसल इस बार विधानसभा चुनाव में मुख्य मुकाबला भाजपा और तृणमूल के बीच होना तय है। वहीं, कांग्रेस और वाममोर्चा की भी लड़ाई ममता से ही है। ऐसे में अगर ओवैसी की पार्टी बंगाल में मजबूती से उतरती है तो इसका सीधा नुकसान ममता को ही झेलना पड़ सकता है। 2019 लोकसभा चुनाव में 18 सीटें जीतकर भाजपा अब विधानसभा चुनाव में सत्ता हासिल करने की लड़ाई लड़ेगी। 

कांग्रेस व तृणमूल ने ओवैसी पर लगाया था आरोप

इससे पहले तृणमूल सांसद सौगत रॉय ने दावा किया था कि एआइएमआइएम को भगवा पार्टी ने तृणमूल के वोट-प्रतिशत को कम करने के लिए लगाया है, जबकि कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा था कि ओवैसी की पार्टी का लक्ष्य ध्रुवीकरण का है।अधीर ने इससे पहले एआइएमआइएम को भाजपा की बी-टीम भी बताया था और कहा था कि उनका केवल एकमात्र लक्ष्य मुस्लिम वोटों का बंटवारा और सेक्युलर दलों को नुकसान पहुंचाना है।

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