मुलायम सिंह यादव के खिलाफ केस वापस लेने पर अखिलेश यादव ने मायावती का जताया आभार
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बड़ा बयान देते हुए कहा कि हमारे बीच कोई खटास नहीं है। यह फैसला स्वागत योग्य है।
By Umesh TiwariEdited By: Updated: Fri, 08 Nov 2019 08:32 PM (IST)
लखनऊ, जेएनएन। उत्तर प्रदेश के बहुचर्चित स्टेट गेस्ट हाउस कांड में बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती द्वारा समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव के खिलाफ मुकदमा वापस लेने पर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने आभार जताया है। अखिलेश ने बड़ा बयान देते हुए कहा कि हमारे बीच कोई खटास नहीं है। यह फैसला स्वागत योग्य है।
लखनऊ स्थित सपा मुख्यालय में शुक्रवार को पत्रकारों से बातचीत में अखिलेश यादव ने कहा कि उन्होंने नेताजी (मुलायम सिंह) के खिलाफ केस वापस लिया, इस पर मैं धन्यवाद देता हूं। अखिलेश ने धन्यवाद से अधिक कुछ कहने से इन्कार किया और किसी तरह का टकराव न होने की बात भी कही। बता दें कि 1995 के गेस्ट हाउस कांड में मुलायम सिंह के खिलाफ दर्ज मुकदमा मायावती ने वापस ले लिया है। चुनावी गठबंधन के एक महीने के भीतर मायावती ने सुप्रीम कोर्ट से औपचारिक रूप से मुकदमा वापस ले लिया था। माया ने ऐसा करने का संकेत देकर सपा को उत्साहित तो किया था, लेकिन कभी औपचारिक रूप से इसकी घोषणा नहीं की थी। सुप्रीम कोर्ट में बसपा की अपील पूरे 15 साल लंबित रही।
1995 में हुआ था गेस्ट हाउस कांड
गेस्ट हाउस कांड 1995 की घटना है। बसपा ने उत्तर प्रदेश में सपा की तत्कालीन सरकार से समर्थन वापस ले लिया था। उस समय मुलायम सिंह यादव मुख्यमंत्री थे। बसपा का आरोप था कि समर्थन वापस लेने के बाद सपा ने उसके पांच विधायकों का गेस्ट हाउस से अपहरण कर लिया और उन्हें विक्रमादित्य मार्ग ले गए, जहां मुलायम सिंह व अन्य मंत्री मौजूद थे। वहां विधायकों को समर्थन के बदले में 50-50 लाख रुपये और मंत्री पद का प्रलोभन दिया गया। इस केस में आरोपपत्र दाखिल हुआ था। मजिस्ट्रेट ने संज्ञान भी लिया, लेकिन बाद में मजिस्ट्रेट ने आरोपपत्र पर संज्ञान लेने और अभियुक्तों को सम्मन करने का अपना आदेश वापस ले लिया। इसके खिलाफ तत्कालीन प्रदेश सरकार हाई कोर्ट गई, लेकिन हाई कोर्ट ने मजिस्ट्रेट के आदेश वापस लेने को सही ठहराया। हाई कोर्ट ने फैसले में कहा था कि विधायक पब्लिक सर्वेंट नहीं होते। इसलिए भ्रष्टाचार निरोधक कानून उन पर लागू नहीं होगा। हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ बसपा नेता बरखूराम वर्मा और राम अचल राजभर ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दाखिल की थी। इस मामले में मुलायम सिंह, शिवपाल, आजम खां और सपा के कई वरिष्ठ नेताओं सहित कुल 12 अभियुक्त थे। बरखूराम वर्मा की मृत्यु होने के बाद राम अचल राजभर पैरवी जारी रखे हुए थे।
मनाया गया खजांची का जन्मदिननोटबंदी की तीसरी वर्षगांठ पर सपा मुख्यालय में खजांची का जन्मदिन मनाया गया। इस दौरान केक काटा गया। सपा नेताओं ने उपहार दिए। इस मौके पर दीपक पांडेय द्वारा लिखित नोटबंदी एक मात्र मानव निर्मित त्रासदी नामक पुस्तिका का विमोचन किया गया। इस अवसर पर अखिलेश ने कहा कि नोटबंदी के दुष्परिणामों पर सरकार चुप्पी साधे हुए है, सच्चाई छिपा रही है। उन्होंने तंज किया कि नोटबंदी की उपलब्धि केवल बैंक की लाइन में खजांची का जन्म होना है। सरकार को खजांची की मदद करनी चाहिए।अखिलेश ने नोटबंदी के कारण बेरोजगारी, उधोग बंद होने और प्रतिदिन किसानों की आत्महत्या होने जैसी खामियां भी गिनाईं। प्रदेश की कानून व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए अखिलेश ने सरकारी मदद में जातीय भेदभाव बरतने का आरोप लगाया।
नोट संभालता रहा खजांचीनोटबंदी के दौरान बैंक की लाइन में पैदा हुआ 'खजांची' अभी भले ही तीन वर्ष आयु पूरी करने वाला हो परंतु शुक्रवार को सपा दफ्तर में मनाए गए जन्मदिन कार्यक्रम में मिले नोटों को संभालने में जुटा था। सपाइयों में 'खजांची' को उपहार देने की होड़ थी। सपा प्रमुख अखिलेश यादव के निर्देश पर जन्मदिन कार्यक्रम के लिए लोहिया सभागार गुब्बारों से सजाया था। लाल टोपी लगाए बड़ी संख्या में समाजवादी कार्यकर्ता भी 'खजांची' को 'हैप्पी बर्थ डे' कहने के लिए मौजूद थे। 'खजांची' लगभग दो बजे अपनी मां सर्वेशा देवी की गोद में भाई बहनों से साथ पहुंचा। 'खजांची' के आते ही अखिलेश ने भी लो आ गए 'खजांची' कहकर स्वागत किया। केक काटा गया तो सभागार में जन्मदिन गीत के साथ सपेरा बीन को भी बजाया गया। बता दे कि कानपुर देहात के झींझक ब्लाक में अनंत धौकल गांव की निवासी सर्वेशा देवी ने तीन वर्ष नोटबंदी के दौरान बैंक की लाइन में पुत्र को जन्म दिया था, जिसका नाम अखिलेश ने ही खजांची रखा था।
धन्यवाद देने के साथ झटका भीगेस्ट हाउस कांड में मुलायम सिंह के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट में दर्ज याचिका को वापस लेने पर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बसपा प्रमुख मायावती को धन्यवाद तो कहा, लेकिन पूर्व मंत्री कमलाकांत गौतम को उनके सैकड़ों समर्थकों के साथ में समाजवादी पाार्टी की सदस्यता ग्रहण करा तगड़ा झटका भी दिया। इस कार्यक्रम में बसपा विरोधी वातावरण साफ दिख रहा था। सैकड़ों की संख्या में बसपा के बागियों को लाल टोपी पहनाकर समाजवादी बनाया जा रहा था। बसपा संस्थापक कांशीराम के करीबी रहे और मायावती की कार्यशैली से नाराज पूर्व कैबिनेट मंत्री कमलाकांत गौतम अखिलेश के नेतृत्व में दलित व पिछड़ों के उज्जवल भविष्य का दावा कर रहे थे। वर्ष 2007 तक बसपा में दूसरे नम्बर का नेता माने जाने वाले कमलाकांत ने सपा की लाल टोपी पहनने के बाद कहा कि 36 साल बसपा में दिये। अब सपा में मेहनत करूंगा। 2022 में अखिलेश ही मुख्यमंत्री बनेंगे। प्रदेश में दलित समाज डरा हुआ है। अब उनका डर दूर किया जाएगा। उन्होंने जय भीम, जय लोहिया नारा भी दिया।
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