भूपेंद्र यादव की राजस्थान कांग्रेस की आतंरिक राजनीति पर नजर
राजस्थान कांग्रेस में मची आंतरिक खींचतान पर भाजपा की नजर है।भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव भूपेंद्र यादव प्रदेश में कांग्रेस की गतिविधियों पर नजर रखे हुए है।
By Preeti jhaEdited By: Updated: Mon, 15 Jul 2019 04:39 PM (IST)
जयपुर, नरेन्द्र शर्मा। राजस्थान कांग्रेस में मची आंतरिक खींचतान पर भाजपा की नजर है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच चल रही खेमेबंदी को अपने हित में मानते हुए भाजपा ने भविष्य की रणनीति बनाना शुरू कर दिया है।
भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव भूपेंद्र यादव प्रदेश में कांग्रेस की गतिविधियों पर नजर रखे हुए है। फिलहाल बिहार और गुजरात का प्रभार संभाल रहे भूपेंद्र यादव करीब छह साल पहले राजस्थान के प्रभारी थे और उस समय वसुंधरा राजे के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बनी थी। यादव प्रदेश से राज्यसभा सदस्य भी है। करीब छह माह पूर्व हुए विधानसभा चुनाव से पहले केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को प्रदेश का प्रभारी बनाया गया था।जावड़ेकर ने वसुंधरा राजे और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बीच तालमेल कायम करने के साथ ही हनुमान बेनीवाल जैसे दिग्गज जाट नेताओं को अपने साथ जोड़ा। इसका पार्टी को लोकसभा चुनाव में लाभ भी मिला। अब गोवा और कर्नाटक में जिस तरह से कांग्रेस विधायक पार्टी का साथ छोड़कर जा रहे है,उससे राजस्थान के भाजपाई भी उत्साहित है।
गहलोत और पायलट की खेमेबंदी को अपने लिए फायदेमंद मान रही भाजपापिछले कुछ दिनों में जिस तरह से गहलोत,पायलट और कांग्रेस विधायकों की बयानबाजी हो रही है,उससे पार्टी कार्यकर्ताओं में निराशा उत्पन्न हो रही है। विधायक भी असमंजस की स्थिति में है। वरिष्ठ विधायक हेमाराम चौधरी ने विधानसभा की कार्रवाई में शामिल होना बंद कर दिया,वहीं रामनारायण मीणा ने मंत्री बनाने में पैसों के लेनदेन की बात सार्वजनिक रूप से कही है। कुछ अन्य वरिष्ठ विधायक भी नाखुश है।
कांग्रेस के इसी आंतरिक असंतोष को भाजपा अपने लिए फायदे का सौदा मान रही है। भाजपा के कुछ वरिष्ठ नेता कांग्रेस विधायकों के संपर्क में है। पूर्व मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता कालीचरण सराफ का कहना है कि कांग्रेस के कुछ विधायक हमारे साथ आने को तैयार है,समय आने पर निर्णय हो जाएगा। राज्य विधानसभा में भाजपा विधायक दल के नेता गुलाब चंद कटारिया,उप नेता राजेंद्र राठौड़ और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरूण चतुर्वेदी ने पिछले दिनों भूपेंद्र यादव से इस बारे में चर्चा की।ये सभी नेता चाहते है कि राज्य की राजनीति में भूपेंद्र यादव की पकड़ का लाभ पार्टी उठाए। सराफ का कहना सराफ का कहना है कि भूपेंद्र यादव चाहे प्रदेश के प्रभारी नहीं हो,लेकिन वे प्रदेश के राजनीतिक घटनाक्रम पर नजर बनाए हुए है।
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