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Lok Sabha Polls 2024: राममय माहौल में कांग्रेस की बढ़ सकती हैं मुश्किलें, लोकसभा चुनाव में 86 लाख वोटों का अंतर पाटना टेढ़ी खीर

Lok Sabha Polls 2024 कांग्रेस ने एमपी के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और दिग्विजय सिंह से मध्य प्रदेश कांग्रेस का नेतृत्व छीनकर भले ही युवा नेताओं की कमान सौंप दी है लेकिन आने वाले लोकसभा चुनाव में उसकी मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। 2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 96 सीटों से घटकर 66 पर आ गई।

By Jagran News Edited By: Devshanker Chovdhary Updated: Tue, 09 Jan 2024 06:35 PM (IST)
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राममय माहौल में कांग्रेस की बढ़ सकती हैं मुश्किलें।
राज्य ब्यूरो, भोपाल। कांग्रेस ने पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और दिग्विजय सिंह से मध्य प्रदेश कांग्रेस का नेतृत्व छीनकर भले ही युवा नेताओं की कमान सौंप दी है, लेकिन आने वाले लोकसभा चुनाव में उसकी मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। 2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस जहां 96 सीटों से घटकर 66 पर आ गई। वहीं, पिछले लोकसभा चुनाव के परिणाम को देखा जाए तो वह भाजपा से 23 प्रतिशत मतों से पीछे है।

2019 में कांग्रेस को भाजपा से 86 लाख वोट कम मिले थे। अंतर का यह आंकड़ा 2014 में 56 लाख और प्रतिशत में 19.13 था। अब कांग्रेस को भी चिंता सता रही है कि लोकसभा चुनाव तक मप्र का माहौल राममय होने के कारण वह वोटों के अंतर को कैसे पाटेगी।

जाहिर है कि मप्र के विधानसभा चुनाव परिणामों को देखें तो कांग्रेस दस लोकसभा क्षेत्रों में बढ़त बनाए हुए है लेकिन वह इसे लोकसभा चुनाव परिणामों में बरकरार रख पाएगी, यह कह पाना मुश्किल है।

अस्तित्व बचाने के प्रयास में कांग्रेस

पिछले महीने हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में छत्तीसगढ़ और राजस्थान की सत्ता खोने के बाद कांग्रेस ने अपनी डूबती नैया को संभालने के लिए युवा नेताओं को बागडोर सौंपी है। ओबीसी वर्ग के जीतू पटवारी को कमल नाथ के स्थान पर मध्य प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष नियुक्त किया है। वहीं, आदिवासी नेता उमंग सिंघार को मप्र विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बनाया गया है। कांग्रेस इन युवा नेताओं के सहारे लोकसभा चुनाव में अपने अस्तित्व को बचाने का प्रयास कर रही है। मप्र में कुल 29 लोकसभा सीट हैं।

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वर्ष 2019 में भाजपा को 28 और कांग्रेस को मात्र एक सीट पर जीत मिली थी। इससे पहले के चुनाव में कांग्रेस को दो और भाजपा को 27 सीट मिली थी, तब कांग्रेस में ज्योतिरादित्य सिंधिया और कमल नाथ चुनाव जीते थे। यानी स्पष्ट है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को अपना गढ़ छिंदवाड़ा बचाना भी किसी चुनौती से कम नहीं होगा। भाजपा भी इस प्रयास में है कि वह मप्र को लोकसभा चुनाव में कांग्रेस मुक्त बना दे।

पिछले पांच चुनाव से लगातार बढ़ रहा भाजपा का जनाधार

आमतौर पर लोकसभा चुनाव राष्ट्रीय मुद्दों और प्रधानमंत्री के चेहरे पर ही होते हैं। मप्र में भी भाजपा मोदी तो कांग्रेस गांधी परिवार के चेहरे पर चुनाव लड़ती है। पिछले पांच चुनाव का रिकार्ड देखा जाए तो सीटें भाजपा के पास ही ज्यादा रहती हैं। इसी तरह भाजपा का जनाधार यानी मत प्रतिशत 43.45 से बढ़कर 58.00 प्रतिशत पहुंच गया। वहीं, कांग्रेस का जनाधार अधिकतम 43.91 से घटकर वर्ष 2019 में 34.50 पहुंच गया।

विपक्षी एकता भी करिश्मा नहीं दिखा पाएगी

कांग्रेस भले ही भाजपा को हराने के लिए विपक्षी दलों का गठबंधन आइएनडीआइए बनवा ले लेकिन मप्र में वह कोई करिश्मा नहीं दिखा पाएगी। कांग्रेस को छोड़ गठबंधन के किसी दल का मप्र में कोई वजूद नहीं है।

लोकसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस का चिंतन-मनन

मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने कहा कि लोकसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस चिंतन-मनन कर रही है। संगठन के साथ बूथ तक पार्टी को सक्रिय करने का प्रयास कर रहे हैं। सभी सीटों पर प्रभारी नियुक्त कर दिए हैं। प्रत्याशियों के चयन में जनता की पसंद को प्राथमिकता देने की नीति बनाई है। प्रदेश भर में प्रवास कर कार्यकर्ताओं को तैयारी में लगाया जा रहा है, आशा करते हैं कि लोकसभा चुनाव में परिणाम कांग्रेस के अनुकूल आएंगे।

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भाजपा को अधिक सीटें मिलने की उम्मीद

भापजा के प्रदेश मंत्री रजनीश अग्रवाल ने कहा कि विकसित भारत के संकल्प को लेकर भाजपा की डबल इंजन की सरकार हर घर-हर जन को उसकी योजना का लाभ सुनिश्चित करने का कार्य लगातार करती आ रही है। इसका परिणाम होगा कि हमने पिछले चुनाव में जहां 58 प्रतिशत वोट प्राप्त किया था, अब इससे भी बढ़कर वोट पाने वाले हैं। जो बूथ हम 2019 लोकसभा या 2023 विधानसभा चुनाव में नहीं जीत पाए, उनमें जीत प्राप्त करना और जीते हुए बूथों पर वोट बढ़ाना भाजपा का लक्ष्य है।

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