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Rajasthan: कोटा के जेके लोन अस्पताल में अब तक 91 बच्चों की मौत, स्वास्थ्य मंत्री बोले-राज्य में शिशु मृत्यु दर घटी

Death Of Children. राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने बच्चों की मौत के मामले में राज्य के चिकित्सा शिक्षा विभाग के सचिव वैभव गैलेरिया को कारण बताओ नोटिस जारी किया है।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Updated: Tue, 31 Dec 2019 02:32 PM (IST)
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Rajasthan: कोटा के जेके लोन अस्पताल में अब तक 91 बच्चों की मौत, स्वास्थ्य मंत्री बोले-राज्य में शिशु मृत्यु दर घटी

जागरण संवाददाता, जयपुर। कोटा के जेके लोन अस्पताल में दिसंबर में मरने वाले बच्चों की की संख्या 91 तक पहुंच गई है। अस्पताल प्रशासन ने पहले तो मृतक बच्चों की संख्या 77 ही बताई थी। लेकिन मंगलवार को अस्पताल प्रशासन की गलत बयानी सार्वजनिक को गई। मंगलवार सुबह छह ऐसे मृतक बच्चों के परिजन सामने आए, जिनकी मौत का रिकॉर्ड ही अस्पताल प्रशासन ने अधिकारिक रूप से दर्ज नहीं कर रखा था। अस्पताल प्रशासन पूरे दिसंबर में 77 और दो दिन (23 व 24 दिसंबर) में 10 बच्चों की मौत की बात कह रहा था, लेकिन अब सामने आया कि 25 को एक और 27 को दो एवं 28 दिसंबर को एक ही दिन में छह बच्चों की मौत हुई, वहीं 29 और 30 दिसंबर को पांच और बच्चों की मौत भी हुई। मामला सार्वजनिक होने के बाद अस्पताल अधीक्षक संजय दुलारा ने मंगलवार को स्वीकार किया कि 25 से 30 दिसंबर के बीच 14 बच्चों की मौत हुई।

उधर, इस मामले में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने बच्चों की मौत के मामले में राज्य के चिकित्सा शिक्षा विभाग के सचिव वैभव गैलेरिया को कारण बताओ नोटिस जारी कर तीन दिन में रिपोर्ट मांगने के साथ ही कोटा जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) बीएस तंवर को तीन जनवरी को दिल्ली आयोग के कार्यालय में को तलब किया है।

भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने बच्चों की मौत की जांच के लिए पार्टी सांसदों की टीम गठित की है। इनमें सासंद जसकौर मीणा, कांता कदम, लॉकेट चटर्जी और भारती पंवार शामिल है।

बच्चों की मौत का कारण तेज सर्दी और इंफेक्शन संभव

उधर, बच्चों की मौत का मामला सामने आने के बाद जांच के लिए कोटा भेजे गए जयपुर के एमएमएस अस्पताल के दो विशेषज्ञ चिकित्सकों डॉ. अमरजीत मेहता और डॉ. रामबाबू शर्मा ने सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। उन्होंने अपनी रिपोर्ट में कह कि तेज सर्दी और ऑक्सीजन पाइप लाइन नहीं होने के कारण इन बच्चों की मौत हुई। दोनों डॉक्टर्स ने कहा कि अस्पताल के नियो-नेटल आईसीयू में ऑक्सीजन की पाइन लाइन नहीं है, यहां सिलेंडरों से ऑक्सीजन की सप्लाई होती है। ऐसे में इंफेक्शन बच्चों की मौत का कारण हो सकता है। उन्हें अस्पताल प्रशासन ने बताया कि तेज सर्दी के बीच कुछ बच्चों को अस्पताल में भर्ती कराया गया था, इसलिए ठंड भी बच्चों की मौत के कारणों में एक है।

चिकित्सा मंत्री बोले, बच्चों की मौत पर राजनीति करना दुखद

राज्य के चिकत्सा मंत्री डॉ. रघु शर्मा ने दैनिक जागरण से बातचीत में कहा कि बच्चों की मौत पर राजनीति करना दुखद है। सरकार बच्चों के इलाज को लेकर संवेदनशील है। उन्होंने कहा कि भाजपा को इस मामले में राजनीति करने के बजाय खुद की सरकार के समय में हुई बच्चों की मौतों का आंकड़ा भी सबको बताना चाहिए।

उल्लेखनीय है कि तीन दिन पहले भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया अस्पताल पहुंचकर बच्चों के परिजनों से मिले। इसके बाद सोमवार को प्रदेश के दो पूर्व चिकित्सा मंत्री राजेंद्र राठौड़ एवं कालीचरण सराफ ने अस्पताल का दौरा किया। भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने महिला सांसदों की टीम गठित कर रिपोर्ट मांगी है।

स्वास्थ्य मंत्री बोले, शिशु मृत्यु दर घटी

एएनआइ के मुताबिक, राजस्थान के स्वास्थ्य मंत्री डॉ रघु शर्मा के मुताबिक, राज्य में शिशु मृत्यु दर 2014 में 7.62, 2015 में 7.17, 2016 में 6.66, 2017 में 6 और 2018 में 6.11 फीसद थी। हमने 2019 में इसे घटाकर 5.55 फीसद कर दिया है।

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