Move to Jagran APP

Maharashtra: मुख्यमंत्री उद्धव ने साधा भाजपा पर निशाना कहा, चांद तारे तो नहीं मांगे थे

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने सामना में दिये इंटरव्यू में भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि मैंने चांद तारे नहीं मांगे थे।

By Babita kashyapEdited By: Published: Mon, 03 Feb 2020 01:10 PM (IST)Updated: Mon, 03 Feb 2020 01:10 PM (IST)
Maharashtra: मुख्यमंत्री उद्धव ने साधा भाजपा पर निशाना कहा, चांद तारे तो नहीं मांगे थे

मुंबई, एएनआइ। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने मुखपत्र सामना में दिये इंटरव्यू में भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधते हुए कहा कि मैंने भाजपा से कौन से चांद-तारे मांगें थे। भाजपा का साथ छोड़ कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस से हाथ मिलाकर सरकार बनाने के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि अगर भाजपा मेरी बात मान जाती तो आज मैं नहीं बल्कि कोई और शिवसैनिक मुख्यमंत्री बनता। ठाकरे ने नाराजगी दिखाते हुए कहा कि टिप्पणी करनी है तो खुशी से करें, मैं किसी की भी परवाह नहीं करता। 

मुख्यमंत्री ठाकरे ने कहा कि राजनीति में आये भूकंप का झटका दिल्ली तक महसूस किया जा रहा है। देश को एक नयी दिशा मिले। परदे के सामने और पीछे क्या हुआ? ठाकरे ने कहा कि मैंने भाजपा से क्या मांगा था, जो पहले से तय था वहीं न! मैंने कोई चांद तारे नहीं मांगे थे? अगर भाजपा अपने किये गये वादों को निभाती तो मैं मुख्यमंत्री पद पर नजर नहीं आता, कोई और शिवसैनिक ही इस पद पर नजर आता। लेकिन इस दिशा में उठा ये पहला कदम है। 

आपने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली क्या ये बड़ा झटका नहीं था। इस पर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा कि इस पद को स्वीकारना न मेरे लिए झटका था और न ही ये मेरा सपना। मैं ईमानदारी के साथ ये स्वीकार करता हूं कि मैं शिवसेना प्रमुख का एक स्वप्न- उसमें सामना का योगदान, शिवसेना का सफर और उद्धव ठाकरे द्वारा पिता बाला साहेब को दिया वचन। इस वचनपूर्ति के लिए मेरी पूरी तैयारी थी। मुख्यमंत्री पद मेरे लिए मात्र वचनपूर्ति नहीं बल्कि वचनपूर्ति की दिशा में उठाया गया एक कदम है। पिता को दिया वचन तो मुझे पूरा करना है और उसे मैं पूरा करके रहूंगा। 

मैं पूछना चाहता हूं कि क्या इस झटके से महाराष्ट्र उबर पाया है, उन्होंने कहा कि झटके कई तरह के होते हैं। लोगों को ये पता है या नहीं। उन्हें ये पसंद आया या नही ये ज्यादा महत्वपूर्ण है। मैंने कई बार ये बात कही है, जनता भी इसे समझती है कि वचन देने और निभाने में अंतर है। जब वचन भंग होता है तो दुख और गुस्सा आना स्वाभाविक है। उन्होंने किसके लिए क्या कहा, क्या वचन दिया और फिर मुकर गये। लेकिन उनके मुकरने के बाद मेरे पास कोई अन्य विकल्प नहीं था। 


This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.