Gujarat : भूमिगत हार्दिक पटेल की पुलिस को तलाश, पत्नी किंजल ने संभाला सोशल मीडिया पर मोर्चा
आरक्षण आंदोलन के दौरान पाटीदार नेता हार्दिक पटेल के खिलाफ दर्ज हुए मुकदमों को लेकर जारी वारंट व पुलिस के बढ़ते शिकंजे के चलते हार्दिक भूमिगत हो गए।
By Preeti jhaEdited By: Updated: Mon, 10 Feb 2020 12:54 PM (IST)
अहमदाबाद, शत्रुघ्न शर्मा। आरक्षण आंदोलन के दौरान पाटीदार नेता हार्दिक पटेल के खिलाफ दर्ज हुए मुकदमों को लेकर जारी वारंट व पुलिस के बढ़ते शिकंजे के चलते हार्दिक भूमिगत हो गए। उनकी पत्नी किंजल ने सोशल मीडिया पर मोर्चा संभालते हुए गुजरात सरकार व पुलिस पर बेवजह प्रताड़ना का आरोप लगाया है।
पाटीदार आरक्षण आंदोलन से कांग्रेस के युवा नेता बने हार्दिक पटेल की पत्नी किंजल पटेल बीते कुछ दिनों से हार्दिक के ट्विटर हैंडल से ट्वीट करते हुए गुजरात सरकार व पुलिस पर ज्यादती का आरोप लगा रही है। गत 29 जनवरी को किंजल लिखती हैं कि कुछ दिन पहले जेल से रिहा होने के बावजूद हार्दिक घर नहीं पहुंचे हैं।अहमदाबाद क्राइम ब्रांच के अधिकारी व जवान बार-बार घर आते हैं और हार्दिक के घर पर नहीं होने की जानकारी देने के बावजूद रात को 10 बजे भी घर में जबरदस्ती घुसकर तलाशी लेते हैं। किंजल इससे पहले भी पुलिस को आड़े हाथ लेते हुए लिखती हैं कि किसी को मार डालना ही आतंकवाद नहीं होता है, किसी को डराकर कोने में बिठा देने की कोशिश करना भी आतंकवाद होता है।
इससे पहले 24 जनवरी को रिहा होते ही हार्दिक ने ट्वीट करते हुए लिखा था कि 7 दिन बाद तानाशाही की कैद से आजाद हुआ हूं, मेरा गुनाह क्या है। क्या मैं किसान, युवा, छात्रों के अधिकार तथा शिक्षा व रोजगार की बात करता हूं इसलिए इनके निशाने पर हूं।अपने एक ट्वीट में हार्दिक लिखते हैं कि मैं न्याय व कानून-व्यवस्था का सम्मान करता हूं, लेकिन कभी-कभी यहां से भी निराशा हाथ लगती है। हार्दिक के खिलाफ अहमदाबाद सत्र न्यायालय तथा मोरबी के टंकारा कोर्ट की ओर से वारंट निकला हुआ है, पुलिस उनकी लगातार तलाश कर रही है, लेकिन हार्दिक कुछ दिनों से भूमिगत हो गए हैं।
किंजल पटेल बीते एक माह से हार्दिक का ऑफिशियल ट्विटर हैंडल संभाल रही हैं, वे लिखती हैं कि हार्दिक बताते रहते हैं कि समाज के लिए कितना भी काम करो वक्त आने पर लोग भूल जाते हैं।किंजल कहती हैं कि आंदोलन से हमने कोई पैसा नहीं कमाया। हम करोड़पति नहीं बन गये, हार्दिक ने निर्दोष भाव से काम किया, लेकिन आज लोग उनके साथ खड़े नजर नहीं आते। वे कहती हैं चुप होकर बैठना अन्याय सहना है, हम मजबूत हैं और अपने हक के लिए पूरी ताकत के साथ लड़ते रहेंगे।
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