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...तो इसलिए तृणमूल ने उतारा यूसुफ पठान को, पांच बार के कांग्रेस सांसद के 'छक्के' छुड़ाना चाहती हैं ममता दीदी

एक तरफ सियासत के दिग्गज दूसरी तरफ क्रिकेट के धुरंधर। कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी हमेशा से तृणमूल के खिलाफ मुखर रहे हैं। आईएनडीआईए के गठन के बाद भी उन्होंने ममता बनर्जी की पार्टी पर हमला जारी रखा था और तृणमूल के साथ गठबंधन का पुरजोर विरोध किया था। कांग्रेस के साथ गठबंधन नहीं होने के लिए तृणमूल अधीर को सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहरा चुकी है।

By Jagran News Edited By: Anurag GuptaUpdated: Sun, 10 Mar 2024 06:47 PM (IST)
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पूर्व क्रिकेटर यूसुफ पठान और कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी (फाइल फोटो)
विशाल श्रेष्ठ, कोलकाता। एक तरफ सियासत के दिग्गज, दूसरी तरफ क्रिकेट के धुरंधर। बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले की बहरामपुर लोकसभा सीट पर इस बार बेहद जबरदस्त मुकाबला होगा, जहां पांच बार के कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी (Adhir Ranjan) को पूर्व विस्फोटक बल्लेबाज यूसुफ पठान (Yusuf Pathan) तृणमूल कांग्रेस से चुनौती देंगे। बहरामपुर को बंगाल कांग्रेस अध्यक्ष अधीर का गढ़ माना जाता है। उनका हर बार भारी वोटों से जीतने का रिकॉर्ड रहा है।

2014 में केंद्र में कांग्रेस की अगुआई वाली संप्रग सरकार के खिलाफ सत्ता विरोधी कारक और 2019 में मोदी लहर के बावजूद अधीर को कोई हिला नहीं पाया था। अब देखना है कि 2007 में टी-20 विश्वकप व 2011 में वनडे विश्वकप जीतने वाली भारतीय टीम का हिस्सा रहे यूसुफ तृणमूल को बहरामपुर सीट जिता पाते हैं या नहीं।

अधीर को हर हाल में हराना चाहती है तृणमूल

अधीर हमेशा से तृणमूल के खिलाफ मुखर रहे हैं। आईएनडीआईए के गठन के बाद भी उन्होंने ममता बनर्जी की पार्टी पर हमला जारी रखा था और तृणमूल के साथ गठबंधन का पुरजोर विरोध किया था। कांग्रेस के साथ गठबंधन नहीं होने के लिए तृणमूल अधीर को सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहरा चुकी है और उन्हें छठी बार संसद जाने से रोकने पर आमादा है, क्योंकि ममता जानती हैं कि अधीर आगे भी उनके लिए मुश्किलें खड़ी कर सकते हैं। वे काफी समय से अधीर के खिलाफ बेहद गोपनीय तरीके से मजबूत प्रतिद्वंद्वी तलाश रही थी और वाकई घोषणा से पहले तक किसी को इसकी भनक तक न लगने दी। यूसुफ न सिर्फ क्रिकेट जगत का चर्चित चेहरा हैं, बल्कि अल्पसंख्यक समुदाय से भी हैं। मालूम हो कि मुर्शिदाबाद की 65 प्रतिशत से अधिक मुस्लिम आबादी है।

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मनोज तिवारी की अहम भूमिका

सूत्रों से खबर है कि यूसूफ को तृणमूल में लाने में पूर्व क्रिकेटर मनोज तिवारी (Manoj Tiwari) की अहम भूमिका रही है, जो वर्तमान में पार्टी विधायक व बंगाल के खेल राज्य मंत्री हैं। यूसुफ के साथ मनोज के काफी अच्छे संबंध हैं। दोनों ने आईपीएल की टीम कोलकाता नाइटराइडर्स (KKR) के लिए काफी समय साथ खेला है और आईपीएल ट्राफी जीतने वाली टीम का भी हिस्सा रहे हैं।

मनोज से संपर्क करने पर उन्होंने परोक्ष तौर पर इसे स्वीकार करते हुए यूसुफ के समर्थन में बहरामपुर जाकर प्रचार करने की भी बात कही। इसी तरह तृणमूल के राज्यसभा सदस्य व राष्ट्रीय प्रवक्ता साकेत गोखले का भी योगदान बताया जा रहा है। यूसुफ गुजरात के वड़ोदरा से हैं। साकेत भी गुजरात से ताल्लुक रखते हैं।

बंगाल में बेहद लोकप्रिय हैं यूसुफ

यूसुफ को टिकट देने का एक अन्य प्रमुख कारण बंगाल में उनकी अपार लोकप्रियता भी है। केकेआर के लिए खेलने के कारण यूसुफ राज्य में जाना-पहचाना चेहरा हैं। बंगाल में क्रिकेट बेहद लोकप्रिय है। अधीर के जिले में तो मुर्शिदाबाद प्रीमियर लीग का आयोजन होता है। यूसुफ ने भारत के लिए 57 वनडे व 22 टी-20 मैच खेले हैं। उनकी गिनती क्रिकेट के 'हार्ड हिटर्स' में होती है। उन्होंने 2021 में क्रिकेट से संन्यास लिया था।

इरफान पठान ने लिखा भावनात्मक संदेश

यूसुफ के राजनीति में कदम रखने पर छोटे भाई व पूर्व क्रिकेटर इरफान पठान ने भावनात्मक संदेश लिखते हुए कहा,

आपके धैर्य, दयालुता, जरूरतमंदों की मदद और बिना किसी आधिकारिक पद के भी लोगों की सेवा को आसानी से देखा जा सकता है। मुझे विश्वास है कि एक बार जब आप राजनीतिक भूमिका में कदम रखेंगे, तो वास्तव में लोगों के दैनिक जीवन में बदलाव लाएंगे।

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भाजपा ने यूसुफ को बताया 'बाहरी'

भाजपा के आईटी सेल के प्रमुख व बंगाल के सह-प्रभारी अमित मालवीय ने यूसुफ को 'बाहरी' बताया है। उन्होंने सवाल किया कि तृणमूल के बहरामपुर के प्रत्याशी बंगाल से हैं या गुजरात के वड़ोदरा से? तृणमूल की सूची ऐसे लोगों से भरी है, जिन्हें ममता 'बाहरी' कहती हैं। उनकी विभाजनकारी राजनीति लज्जाजनक है, जो बंगाल को रोक रही है।

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