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Lok Sabha Elections: मध्य प्रदेश में कांग्रेस का बुरा हाल, लोकसभा चुनाव के लिए नहीं मिल रहे उम्मीदवार

लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस को मध्य प्रदेश में प्रत्याशी नहीं मिल रहे हैं। अधिकतर नेता चुनाव लड़ने से मना कर रहे हैं। दिग्विजय सिंह सुरेश पचौरी व विवेक तन्खा जैसे बड़े नेताओं की दिलचस्पी लोकसभा चुनाव लड़ने में नहीं है। पार्टी की स्क्रीनिंग कमेटी की दो बार बैठक हो चुकी है। विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद ये स्थिति बनी है।

By Jagran News Edited By: Devshanker Chovdhary Updated: Sat, 24 Feb 2024 06:29 PM (IST)
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कांग्रेस नेता कमलनाथ और दिग्विजय सिंह। (फाइल फोटो)

धनंजय प्रताप सिंह, भोपाल। लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस को मध्य प्रदेश में प्रत्याशी नहीं मिल रहे हैं। अधिकतर नेता चुनाव लड़ने से मना कर रहे हैं। दिग्विजय सिंह, सुरेश पचौरी व विवेक तन्खा जैसे बड़े नेताओं की दिलचस्पी लोकसभा चुनाव लड़ने में नहीं है। पार्टी की स्क्रीनिंग कमेटी की दो बार बैठक हो चुकी है।

कई नेताओं ने थामा भाजपा का दामन

इनमें जिन सिंगल नामों को तय किया गया था, उनमें जबलपुर से महापौर जगत बहादुर सिंह और रीवा से महापौर अजय मिश्रा का नाम था। इनमें जबलपुर महापौर ने तो कांग्रेस प्रत्याशी बनने के बजाय भाजपा का दामन थाम लिया।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व राज्यसभा सदस्य विवेक कृष्ण तन्खा ने कहा,

राजनीति में उतार-चढ़ाव से चिंतित नहीं होना चाहिए। समय बदलता है। कभी खराब आता है तो अच्छा समय भी आता है। हम सब कार्यकर्ताओं को डटे रहना चाहिए। जिस तरह से गठबंधन बन रहे हैं, उसके परिणाम अच्छे आएंगे। आगे-पीछे यूपीए का भविष्य बढ़िया होगा। 

विधानसभा चुनाव में मिली हार बन रही वजह!

दरअसल, विधानसभा चुनाव में मिली पराजय और अयोध्या में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा से बने भाजपा के माहौल से कांग्रेस नेता घबरा गए हैं। वे नहीं चाहते कि प्रतिकूल माहौल में चुनाव लड़कर धन का अपव्यय किया जाए। यही वजह है कि वे हारने से बेहतर चुनाव लड़ने से ही इनकार कर रहे हैं।

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कई सीटों पर कांग्रेस नेता उम्मीदवार बनने को तैयार नहीं

रीवा के महापौर अजय मिश्रा भी चुनाव लड़ने के मुद्दे पर सहमत नहीं हैं। पार्टी ने उनका इकलौता नाम रीवा से तय किया है। विंध्य की इस सीट पर पूर्व विधानसभा अध्यक्ष श्रीनिवास तिवारी का प्रभाव था। पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने तिवारी के नाती सिद्धार्थ तिवारी को प्रत्याशी बनाया था, लेकिन विधानसभा चुनाव में सिद्धार्थ को कांग्रेस ने टिकट नहीं दिया तो वह भाजपा में शामिल हो गए। अब त्यौंथर से विधायक हैं।

इंदौर में संजय शुक्ला, विशाल पटेल और सत्यनारायण पटेल तीनों ही पूर्व विधायकों ने लोकसभा चुनाव से हाथ खींच लिया है। कांग्रेस प्रयास कर रही है कि अश्विन जोशी या स्वप्निल कोठारी में से किसी एक को इंदौर से चुनाव लड़ाया जाए। अश्विन और कोठारी दोनों ही धनाड्य हैं, इसलिए कांग्रेस चाहती है कि ऐसे व्यक्ति को टिकट दिया जाए, जो चुनाव का खर्च उठाने में सक्षम हो। भोपाल से कांग्रेस के पास कोई चर्चित चेहरा नहीं है। पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान प्रदेश में कमल नाथ सरकार थी।

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दिग्विजय सिंह को भोपाल में मिली थी हार

इसे देखते हुए पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने भोपाल लोकसभा क्षेत्र से भाग्य आजमाया था, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। इस बार वह चुनाव नहीं लड़ने की बात कह रहे हैं। यही वजह है कि कांग्रेस, सैन्य प्रकोष्ठ के श्याम बाबू श्रीवास्तव पर दांव लगाने पर विचार कर रही है। सीधी से पूर्व मंत्री कमलेश्वर पटेल हों या सज्जन सिंह वर्मा, दोनों ही लोकसभा चुनाव में भाग्य आजमाने को तैयार नहीं हैं।

खजुराहो में भी प्रत्याशी न होने के चलते कांग्रेस ने यह सीट समाजवादी पार्टी को दे दी। दरअसल, पिछले दो लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का लोकसभा में प्रदर्शन बेहद कमजोर रहा था। 2019 में कांग्रेस को 29 में से एक और 2014 में दो सीटें मिली थीं। इस बार भाजपा ने 29 में 29 सीट जीतने का लक्ष्य रखा है, इसलिए कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं दोनों में ही उत्साह नहीं है।