Move to Jagran APP

Maharashtra Election: मुस्लिम संगठनों में MVA के साथ खुलकर खड़े दिखने की होड़, एक पत्र ने बढ़ाई सियासी सरगर्मी

Maharashtra Election महाराष्ट्र की सियासत में एक पत्र ने सियासी उबाल ला दिया है जिसमें ऑल इंडिया उलमा बोर्ड ने महाविकास आघाड़ी को अपनी कई सूत्रीय मांगें सौंपी हैं। इस पत्र से यह भी साफ हो गया है कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में मुस्लिम संगठनों में खुलकर मविआ के साथ दिखने की होड़ लग गई है। पढ़िए क्या है इसका सियासी समीकरण।

By Jagran News Edited By: Sachin Pandey Updated: Sun, 10 Nov 2024 09:44 PM (IST)
Hero Image
उलेमा बोर्ड के समर्थन के पत्र पर स्वयं एमवीए के नेता ही असहज दिख रहे हैं। (File Image)
ओमप्रकाश तिवारी, मुंबई। ऑल इंडिया उलमा बोर्ड महाराष्ट्र द्वारा महाविकास आघाड़ी (एमवीए) को दिए गए उस समर्थन के पत्र पर स्वयं एमवीए के नेता ही असहज दिख रहे हैं, जिसमें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर प्रतिबंध की मांग की गई है, लेकिन, इस पत्र से यह भी साफ हो गया है कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में मुस्लिम संगठनों में खुलकर मविआ के साथ दिखने की होड़ लग गई है।

महाराष्ट्र के आल इंडिया उलमा बोर्ड ने सात अक्टूबर, 2024 को एक पत्र लिखकर दावा किया था कि वह राज्य में सक्रिय मुस्लिम उलमाओं का संगठन है। इसकी 2023 में महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले के साथ मुंबई में बैठक हुई थी, जिसमें बोर्ड ने लोकसभा चुनाव में मविआ को समर्थन देने का फैसला किया था।

लोकसभा चुनाव में दिया था समर्थन

इसके अनुसार, उसने सभी 48 लोकसभा क्षेत्रों में कांग्रेस एवं मविआ के अन्य दलों को समर्थन दिया। इसके परिणामस्वरूप लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र में कांग्रेस को अच्छी सफलता मिली। पत्र में कहा गया है कि हम विधानसभा चुनाव में भी मविआ को समर्थन का पत्र दे रहे हैं। यदि राज्य में मविआ की सरकार बनती है तो हमारी इन 17 मांगों को पूरा किया जाए।

क्या हैं मांगें?

उलमा बोर्ड की 17 मांगों में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर प्रतिबंध लगाने की मांग भी शामिल है। अब इंटरनेट मीडिया पर उलमा बोर्ड के इस समर्थन पत्र के साथ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले एवं राकांपा (शरदचंद्र पवार) के प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल के हस्ताक्षर से उलमा बोर्ड को भेजे गए पत्र भी प्रसारित हो रहे हैं। इन पत्रों में दोनों नेताओं ने विधानसभा चुनाव में समर्थन देने के लिए उलमा बोर्ड को धन्यवाद दिया है और सरकार बनने पर उनकी मांगें पूरी करने का आश्वासन भी दिया है।

ये पत्र सार्वजनिक होने पर दोनों दलों के नेता असहज महसूस कर रहे हैं और कह रहे हैं कि ऐसा कोई पत्र उनकी ओर से नहीं दिया गया है। इस पत्र पर मविआ की सदस्य शिवसेना (यूबीटी) ने अब तक चुप्पी साध रखी है। हालांकि, कुछ दिनों पहले उनके एक प्रत्याशी सुनील प्रभु की मुंबई के मौलानाओं के साथ हुई बैठक का वीडियो भी प्रसारित हो चुका है। इसके बाद सुनील प्रभु सफाई देते दिखाई दिए थे।

खुलकर खड़े दिखना चाहते हैं संगठन

हालांकि, इस पूरे प्रकरण से यह स्पष्ट हो गया है कि महाराष्ट्र के मुस्लिम संगठन खुलकर महाविकास आघाड़ी के साथ खड़े दिखना चाहते हैं। कांग्रेस और राकांपा के नेता ध्रुवीकरण के डर से अपनी ओर से उलमा बोर्ड को भेजे गए किसी पत्र से इन्कार कर रहे हैं। कुछ दिनों पहले मुस्लिम बहुल मालेगांव की एक चुनावी सभा में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे एजाज बेग की सभा के मंच से उन्हीं की मौजूदगी में एक मौलाना मुफ्ती हारुन नदवी ने कहा कि मोदी को हटाने का काम यदि कोई कर सकता है तो वह सिर्फ कांग्रेस पार्टी कर सकती है।

उन्होंने कहा था कि हमारे नेता राहुल गांधी मोहब्बत का व्यापार शुरू कर चुके हैं। खुलकर यदि कोई भाजपा और आरएसएस के खिलाफ बोल रहा है तो वह मेरा शेर राहुल गांधी है। कांग्रेस मेरी पार्टी है। इसी प्रकार एक और मौलाना सज्जाद नोमानी ने मुस्लिमों से विपक्षी गठबंधन आईएनडीआई को वोट करने की अपील की है। छत्रपति संभाजी नगर में 18 मुस्लिम संगठनों को मिलाकर बने संगठन मुस्लिम नुमाइंदा परिषद के अध्यक्ष जियाउद्दीन अंसारी भी खुलकर कह रहे हैं कि हाल के लोकसभा चुनाव में मुस्लिमों ने आईएनडीआई के पक्ष में खुलकर मतदान किया। इसके परिणाम सामने हैं।

एआईएमआईएम ने सीमित उम्मीदवार उतारे

अब विधानसभा चुनाव में भी उसी उम्मीदवार के पक्ष में मतदान करेंगे, जो महायुति के उम्मीदवारों को हराने में सक्षम हो। मौलानाओं की इस अपील का ही परिणाम है कि सिर्फ मुस्लिमों के ही भरोसे राजनीति कर रहे एआईएमआईएम जैसे दलों ने भी अपने उम्मीदवारों की संख्या इस बार सीमित कर दी है, क्योंकि उन्हें समझ में आ चुका है कि मुस्लिम मतदाता उन्हें नहीं, बल्कि कांग्रेस, शिवसेना (यूबीटी) अथवा राकांपा (शरदचंद्र पवार) जैसे दलों को ही वोट देंगे।

समुदाय के वोटरों की संख्या बढ़वाने का प्रयास

मुस्लिम मतों के ध्रुवीकरण का प्रयास सिर्फ अपील करने तक ही सीमित नहीं है। मुस्लिमों से जुड़े 180 स्वयंसेवी संगठनों ने विधासभा चुनाव से पहले मुस्लिम मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट में जुड़वाने का काम किया है। ऐसे ही एक संगठन महाराष्ट्र डेमोक्रेटिक फोरम का कहना है कि उसकी ओर से मुस्लिमों का मतदान बढ़ाने के लिए 70 बैठकें पूरे राज्य के मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में की गई हैं। इनमें 18 बैठकें तो मुंबई में ही हुई हैं।

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।