Maharashtra Political Crisis: कई बार विपक्षी खेमें में सेंध लगा चुके हैं फडणवीस, पवार को भी दिखाया था पावर
Maharashtra Political Crisis देवेंद्र फडणवीस महाराष्ट्र की राजनीति के वो मास्टर हैं जिनके मुरीद राजनीति के सबसे बड़े खिलाड़ी माने जाने वाले शरद पवार भी हैं। ऐसे कई मौके हैं जब फडणवीस ने वो राज्य की राजनीति में वो कर दिखाया जिसकी विपक्ष को उम्मीद नहीं थी।
By Amit SinghEdited By: Updated: Tue, 21 Jun 2022 03:03 PM (IST)
नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। महाराष्ट्र में एक बार फिर राजनीतिक संकट (Maharashtra Political Crisis) खड़ा हो गया है। उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) के नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी (MVA) गठबंधन की सरकार के कैबिनेट मंत्री एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) समेत 35 विधायक लापता हैं। बताया जा रहा है कि ये सभी विधायक गुजरात पहुंच चुके हैं। शिंदे ने सरकार बचाने के लिए कुछ शर्तें रखी हैं। उधर देवेंद्र फडणवीस राज्य के राजनीतिक संकट पर चर्चा करने के लिए दिल्ली पहुंच चुके हैं। लिहाजा एक बार फिर बीजेपी के 'अजातशत्रु' माने जाने वाले पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की चर्चा शुरू हो गई है। फडणवीस इससे पहले भी कई बड़े राजनीतिक उलट-फेर से विपक्ष के होश उड़ा चुके हैं। आइये जानते हैं महाराष्ट्र की राजनीति में कब-कब फडणवीस ने विपक्ष को किया हैरान-परेशान।
ढाई वर्ष पहले शुरू हुआ सिलसिलादेवेंद्र फडणवीस वैसे तो एक मंझे हुए राजनेता हैं, लेकिन पिछले ढाई वर्ष में ऐसे कई मौके आए हैं, जब उन्होंने शिवसेना को दिखा दिया कि वर्ष 2019 में मिले धोखे को वो भूलने वाले नहीं हैं। दरअसल 2019 का विधानसभा चुनाव भाजपा ने अपने पुराने सहयोगी शिवसेना के साथ लड़ा था। चुनाव परिणाम में भाजपा को सबसे ज्यादा सीटें मिलीं। भाजपा-शिवसेना गठबंधन की सरकार बनना तय था। इसी बीच उद्धव ठाकरे ने भाजपा को जोर का झटका दे, कांग्रेस और एनसीपी का दामन थाम लिया और मुख्यमंत्री बन गए। इसके बाद देवेंद्र फडणवीस कई बार ये शिवसेना को पटखनी दे चुके हैं। अब उद्धव सरकार के मौजूदा संकट के पीछे भी देवेंद्र फडणवीस का राजनीतिक दांव माना जा रहा है।
विधान परिषद चुनावशिवसेना को पटखनी देना का सबसे ताजा मामला महज 24 घंटे पहले का है। सोमवार को महाराष्ट्र विधान परिषद चुनाव परिणाम (Maharashtra MLC Results) घोषित हुए, जिसमें शिवसेना उम्मीदवारों को उतने भी वोट नहीं मिले, जितनी की उनकी सदस्य संख्या है। इसके विपरीत भाजपा के सभी पांच उम्मीदवारों ने जीत हासिल की है, जबकि पार्टी के पास केवल चार उम्मीदवारों को जिताने के लिए ही पर्याप्त वोट थे। इसके अलावा कांग्रेस को एक सीट, एनसीपी व शिवसेना को दो-दो सीट से संतोष करना पड़ा। महाराष्ट्र विधान परिषद की 10 सीटों के लिए कुल 11 प्रत्याशी मैदान में थे, जिसमें से भाजपा के पांच और शिवसेना, राकांपा (NCP) व कांग्रेस के दो-दो प्रत्याशी थे। एमएलसी चुनावों में क्रास वोटिंग पर चर्चा करने के लिए ही मंगलवार को मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने बैठक बुलाई थी, जिसमें एकनाथ शिंदे समेत पार्टी के 18 विधायक नहीं पहुंचे।
महाराष्ट्र राज्यसभा चुनावविधान परिषद चुनावों से 10 दिन पहले देवेंद्र फडणवीस ने महाराष्ट्र में हुए राज्यसभा चुनावों में भी महा विकास अघाड़ी गठबंधन को ऐसे ही झटका दिया था। 10 जून 2022 को महाराष्ट्र की छह राज्यसभा सीटों पर चुनाव हुआ, जिसके लिए सात उम्मीदवार मैदान में थे। राज्य सरकार के पास राज्यसभा चुनाव के लिए पर्याप्त संख्या बल होने के बावजूद भाजपा ने तीन सीटों पर जीत हासि की। शिवेसेना-एनसीपी-कांग्रेस गठबंधन को केवल तीन सीटों से ही संतोष करना पड़ा। राज्यसभा चुनाव परिणामों के बाद महाराष्ट्र की राजनीति के पितामह कहे जाने वाले एनसीपी प्रमुख शरद पवार और सुप्रिया पवार ने भी फडणवीस के राजनीतिक कौशल की तारीफ की थी।
शरद पवार को दिया था सबसे बड़ा झटका2019 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में भाजपा-शिवसेना गठबंधन ने बहुमत से ज्यादा सीटें हासिल की थीं। दोनों की सरकार बनना तय था, लेकिन शिवसेना के तेवर बदलने लगे। उद्धव ठाकरे अपनी शर्तों पर सरकार में शामिल होना चाहते थे, जो भाजपा या कहें फडणवीस को मंजूर नहीं था। उद्धव के पाला बदलने का अंदाजा लगते ही फडणवीस ने 23 नवंबर 2019 को एनसीपी नेता और शरद पवार के भतीजे अजीत पवार को साथ मिला लिया। उद्धव और पवार को भनक भी नहीं लगी और सुबह-सुबह फडणवीस ने मुख्यमंत्री और अजीत पवार ने उपमुख्यमंत्री की शपथ ले ली। शिवसेना और एनसीपी के लिए ये सबसे बड़ा झटका था। इस झटके ने पवार परिवार के बीच चल रही राजनीतिक खींचतान भी उजागर कर दी थी।
गोवा प्रभारी बन दिलाई जीतइसी वर्ष 14 फरवरी 2022 को गोवा की 40 विधानसभा सीटों के लिए चुनाव हुआ। भाजपा ने देवेंद्र फडणवीस के राजनीतिक कौशल को देखते हुए उन्हें गोवा विधानसभा चुनाव का प्रभारी बनाया था। फडणवीस के नेतृत्व में पार्टी ने 10 मार्च 2022 को घोषित चुनाव परिणामों में 40 में से 20 सीटों पर जीत दर्ज की। भाजपा नेतृत्व वाली एनडीए को पिछले विधानसभा चुनाव के मुकाबले सात सीटें ज्यादा मिली, जबकि कांग्रेस के नेतृ्त्व वाले यूपीए गठबंधन को आठ सीटों का नुकसान झेलना पड़ा।
शरद पवार के गढ़ में लगाई थी सेंध29 जुलाई 2014 को धनगर समुदाय के लोग एनसीपी प्रमुख शरद पवार के गढ़ बरामती में विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। इनकी मांग खुद को अनुसूचित जनजाति में शामिल कराने की थी। इसकी जानकारी मिलते ही तब के भाजपा प्रदेश अध्यभ देवेंद्र फडणवीस मौके पर पहुंच गए। उन्होंने धनगर समुदाय के लोगों से मुलाकात की और आश्वासन दिया कि उनकी सरकार बनने पर पहली ही कैबिनेट बैठक में धनगर समुदाय के आरक्षण के मुद्दे को रखा जाएगा। इसके बाद उन्होंने समुदाय के एक प्रमुख नेता गोपीनाथ पडलकर को भाजपा में शामिल करा लिया और बारामति सीट पर ही अजीत पवार के खिलाफ चुनाव मैदान में भी उतारा।
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