Move to Jagran APP

RIT से खुल गई केजरीवाल सरकार की पोल, लड़कियों की इस जरूरत पर खर्च किया जीरो

2017-18 के लिए निर्धारित 16 करोड़ के बजट से अब तक एक भी पैसा नहीं खर्च किया गया।

By JP YadavEdited By: Updated: Thu, 01 Feb 2018 06:21 PM (IST)
Hero Image
RIT से खुल गई केजरीवाल सरकार की पोल, लड़कियों की इस जरूरत पर खर्च किया जीरो

नई दिल्ली (वीके शुक्ला)। एक तरफ जहां लड़कियों के स्वास्थ्य व सम्मान के लिए सुरक्षित माहवारी और व्यक्तिगत स्वच्छता के प्रति जागरुकता बढ़ाने की बात हो रही है। इस विषय पर पैडमैन जैसी फिल्म आ रही है। वहीं, दूसरी ओर लड़कियों को सरकारी स्कूलों में मिलने वाले सेनेटरी नैपकिन की योजना को लेकर दिल्ली सरकार उदासीन है। इस वित्तीय वर्ष में इस योजना पर एक भी पैसा खर्च नहीं किया गया है।

योजना के लिए निर्धारित 16 करोड़ की राशि वासप जा रही है। शिक्षा विभाग में लगाई गई एक आरटीआइ में यह बात सामने आई है। योजना के तहत वित्तीय वर्ष 2015-16 में 16 करोड़ का बजट रखा गया था। इनमें 13.15 करोड़ रुपये खर्च किए गए।

2016-17 के लिए भी 16 करोड़ का बजट निर्धारित था। इसमें से 9.31 करोड़ खर्च हुए। इसी तरह वित्तीय वर्ष 2017-18 के लिए निर्धारित 16 करोड़ के बजट से अब तक एक भी पैसा नहीं खर्च किया गया।

बता दें कि तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने 2012 में दिल्ली के स्कूलों में कक्षा 9 से 12 तक की सवा सात लाख छात्राओं को नि:शुल्क सेनेटरी नैपकिन उपलब्ध कराने की किशोरी योजना शुरू की थी।

नैपकिन उपलब्ध कराने का कार्य एक निजी कंपनी को मिला था। मगर कंपनी ने 2016 में नैपकिन उपलब्ध कराने से इन्कार कर दिया।

बताया जा रहा है कि सेनेटरी नैपकिन की आपूर्ति मामले में गड़बड़ी के कथित आरोपों की सीबीआइ जांच के बाद कंपनी ने यह कदम उठाया।

योजना बंद किए जाने से छात्राएं नाराज

इस बारे में आरटीआइ लगाने वाली मीठापुर विस्तार निवासी समाजसेवी पिंकी का कहना है कि उन्होंने विभिन्न सरकारी स्कूलों में जाकर इस बारे में छात्रओं से उनकी राय जानी है। जिसमें छात्राएं इस योजना के बंद किए जाने से नाराज हैं। उन्होंने कहा कि सरकारी स्कूलों में गरीब घरों से भी बहुत छात्राएं आती हैं, जिनके लिए इस योजना को शुरू किया जाना बेहद जरूरी है।

विपक्ष ने बोला सरकार पर हमला

दिल्ली विधानसभा में विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता कहते हैं कि दिल्ली की आप सरकार को जनता की समस्याओं से कोई लेना देना नहीं है। यदि किसी जांच के चलते सेनेटरी नैपकिन की आपूर्ति बंद हो गई थी तो इस बारे में फिर से प्रयास किए जा सकते थे। यह मामला 7 लाख छात्राओं से जुड़ा है।

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।