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SP-RLD Alliance: अखिलेश के लिए और कठिन हो जाएगी पश्चिमी यूपी की राह, छह साल पुरानी दोस्ती टूटने के कगार पर

Samajwadi Party RLD Alliance भाजपा के साथ रालोद का गठबंधन होने पर लोकसभा चुनाव में सबसे बड़ा झटका सपा को पश्चिमी यूपी में लगेगा। यहां रालोद के साथ मिलकर जाट यादव व मुस्लिम मतों की बदौलत भाजपा को बड़ी चुनौती देने की तैयारी कर रही सपा का गणित गड़बड़ा गया है। ऐसे में अखिलेश के लिए पश्चिम यूपी की राह और कठिन हो जाएगी।

By Jagran News Edited By: Abhinav AtreyUpdated: Sat, 10 Feb 2024 07:08 AM (IST)
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अखिलेश के लिए और कठिन हो जाएगी पश्चिमी यूपी की राह। (फाइल फोटो)
राज्य ब्यूरो, लखनऊ। भाजपा के साथ रालोद का गठबंधन होने पर लोकसभा चुनाव में सबसे बड़ा झटका सपा को पश्चिमी यूपी में लगेगा। यहां रालोद के साथ मिलकर जाट, यादव व मुस्लिम मतों की बदौलत भाजपा को बड़ी चुनौती देने की तैयारी कर रही सपा का गणित गड़बड़ा गया है। ऐसे में अखिलेश के लिए पश्चिम यूपी की राह और कठिन हो जाएगी।

सपा को यह दूसरा झटका लगा है। इससे पहले सुभासपा भी सपा को छोड़कर एनडीए में शामिल हो चुकी है। सपा अब बदली परिस्थितियों में नए सिरे से पश्चिम यूपी के लिए चुनावी रणनीति बनाने में जुट गई है। सपा व रालोद की नजदीकियां वर्ष 2018 में कैराना लोकसभा सीट के उपचुनाव में बढ़ी थीं, इसके बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा-बसपा गठबंधन में रालोद भी शामिल हो गई थी।

विधानसभा चुनाव सपा-रालोद ने मिलकर लड़ा

वर्ष 2022 का विधानसभा चुनाव भी सपा व रालोद ने मिलकर लड़ा था। जाट, यादव व मुस्लिम मतों की एकजुटता से रालोद को आठ सीटों पर सफलता मिली थी। सपा भी वहां पर मजबूत हुई थी। रालोद ने विधानसभा के उपचुनाव में भी एक सीट जीती थी। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में रालोद को सिर्फ एक सीट पर सफलता मिली थी।

अखिलेश ने 2022 में जयंत को राज्यसभा भेजा

गठबंधन को मजबूत करने के लिए ही अखिलेश ने 2022 में जयंत को राज्यसभा भेजा। सपा ने रालोद के साथ लोकसभा चुनाव में गठबंधन की घोषणा 19 जनवरी को करते हुए सात सीटें देने पर सहमति जताई थी। रालोद के साथ रहने से पश्चिम यूपी को लेकर अखिलेश निश्चिंत दिखाई दे रहे थे।

करीब छह वर्ष पुरानी दोस्ती टूटने के कगार पर

अब जयंत के बदले रुख से करीब छह वर्ष पुरानी दोस्ती टूटने के कगार पर है। ऐसे में पश्चिमी यूपी के प्रमुख नेताओं को लेकर अखिलेश नए सिरे से रणनीति बनाने में जुट गए हैं। रालोद को दी जाने वाली सात सीटों में से अब ज्यादातर पर सपा खुद लड़ेगी। आईएनडीआईए में शामिल कांग्रेस को भी इसमें से एक-दो सीट मिल सकती है।

चुनाव के मौके पर आने-जाने से फर्क नहीं पड़ता- सपा

सपा के मुख्य प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने कहा कि चुनाव के मौके पर आने-जाने से कोई फर्क नहीं पड़ता है। किसान जानते हैं कि उनकी हितैषी पार्टी केवल सपा ही है। चौधरी चरण सिंह के विचारों को मानने वाली पार्टी सपा ही है। भाजपा कभी भी उनके विचारों को नहीं मानती है। भाजपा के सांप्रदायिक एजेंडे के खिलाफ सपा पूरी मजबूती से चुनाव मैदान में उतरेगी। -

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