Rajasthan: सीएम अशोक गहलोत और डिप्टी सीएम सचिन पायलट के बीच खींचतान जारी
Rajasthan अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच खींचतान जारी समर्थकों के माध्यम से दिल्ली तक पहुंचा रहे संदेश
By Sachin MishraEdited By: Updated: Fri, 13 Dec 2019 02:19 PM (IST)
जयपुर, नरेन्द्र शर्मा। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उपमुख्यमंत्री एवं प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सचिन पायलट के बीच खींचतान बढ़ती ही जा रही है। दोनों दिग्गजों के बीच बढ़ती खींचतान का असर सत्ता और संगठन के कामकाज पर नजर आने लगा है। सत्ता और संगठन में असमंजस की स्थिति है। मंत्री और विधायकों में दोनों दिग्गजों को खुश करने की होड़ मची है। वहीं, ब्यूरोक्रेसी में गहलोत और पायलट के बीच चल रही खींचतान की चर्चा है। अफसर अपने-अपने ढंग से दोनों दिग्गजों के साथ संतुलन बनाए रखने में जुटे हैं।
एक तरफ जहां प्रदेश में दोनों दिग्गजों के बीच खींचतान चल रही है, वहीं दूसरी तरफ दोनों अपने-अपने समर्थकों के माध्यम से पार्टी नेतृत्व तक एक-दूसरे के खिलाफ जानकारी पहुंचाने में जुटे हैं। सीएम गहलोत समर्थक कृषि मंत्री लालचंद कटारिया, राजस्व मंत्री हरीश चौधरी, मुख्य सचेतक महेश जोशी, चिकित्सा राज्यमंत्री सुभाष गर्ग पिछले दिनों दिल्ली जाकर सरकार के कामकाज की जानकारी पार्टी के केंद्रीय नेताओं को देकर आए हैं। इन मंत्रियों ने पायलट समर्थकों द्वारा समय-समय पर की जाने वाली सरकार की सार्वजनिक आलोचना के तथ्य भी केंद्रीय नेताओं को सौंपे।
उधर, पायलट समर्थक खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री रमेश मीणा ने बुधवार को दिल्ली में कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की। मीणा ने गुरुवार को दिल्ली में ही कांग्रेस के राष्ट्रीय संगठन महासचिव के.सी. वेणुगोपाल और अविनाश पांडे से मुलाकात कर पायलट के समर्थन में अपना पक्ष रखा। मीणा ने दैनिक जागरण को बताया कि उन्होंने सोनिया गांधी से राहुल गांधी को शीघ्र कांग्रेस अध्यक्ष बनाने की मांग की है। देश में स्थायित्व के लिए राहुल गांधी को कांग्रेस की कमान संभालनी चाहिए। मीणा ने कहा कि राहुल गांधी को मनाने के लिए हमें जो कुछ भी करना पड़े हम करेंगे।
पायलट समर्थक सहकारिता मंत्री उदयलाल आंजना भी पिछले दिनों दिल्ली जाकर सोनिया गांधी से मुलाकात कर चुके हैं। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री भंवरलाल मेघवाल ने भी दिल्ली में पायलट के समर्थन में अपना पक्ष रखा है।15 दिन में दो बाद सार्वजनिक रूप से नजर आई तल्खी
राज्य की कांग्रेस सरकार 17 दिसंबर को अपनी पहली वर्षगांठ मनाएगी। एक साल में गहलोत और पायलट के बीच रिश्ते कभी सामान्य नजर नहीं आए। दोनों के बीच विधानसभा चुनाव का परिणाम आते ही सीएम पद की कुर्सी को लेकर विवाद शुरू हुआ था। बाजी गहलोत ने मारी, लेकिन पायलट ने अब तक हार नहीं मानी है। पायलट समर्थकों को अब भी उम्मीद है कि राज्य में नेतृत्व परिवर्तन होगा।
उधर, गहलोत और पायलट के बीच पिछले 15 दिनों में दो बार सार्वजनिक रूप से तल्खी नजर आई। पहले तो 30 नवंबर को केंद्र सरकार के खिलाफ विभिन्न मुद्दों को लेकर जयपुर में हुए प्रदर्शन के बाद गहलोत खुद का भाषण पायलट से पहले कराने को लेकर नाखुश हुए। उस दिन मंच का संचालन कर रहे परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा कि पायलट प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष भी हैं। यह कार्यक्रम पार्टी का है इसलिए वे सीएम के बाद में बोलेंगे।
इस पर नाखुश हुए गहलोत अपना भाषण खत्म कर मंच से रवाना हो गए। वे पायलट के भाषण तक नहीं रुके। बुधवार को दूसरी बार दोनों के बीच कड़वाहट सार्वजनिक नजर आई। नागरिकता संशोधन बिल के खिलाफ जयपुर में दिए गए धरने में भी गहलोत ने अपना भाषण पायलट से पहले दिया और फिर मुंबई जाने की बात कह कर रवाना हो गए।यह भी पढ़ेंः राजस्थान की कर्जदार हैं कई राज्यों की सरकारें
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।