उत्तराखंड की राज्यसभा सीट पर निर्विरोध निर्वाचन तय
उत्तराखंड से राज्यसभा की दो अप्रैल को रिक्त हो रही सीट के चुनाव में निर्विरोध निर्वाचन तय है। कम संख्या बल के मद्देनजर कांग्रेस इस चुनाव में भाजपा को वाकओवर देने के मूड में है।
देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: उत्तराखंड से राज्यसभा की दो अप्रैल को रिक्त हो रही सीट के चुनाव की प्रक्रिया शुरू होने के बाद दूसरे दिन भी कोई प्रत्याशी नामांकन पत्र लेने नहीं पहुंचा। वहीं, राज्य में जैसे सियासी समीकरण हैं, उसे देखते हुए इस सीट पर निर्विरोध निर्वाचन तय है।
कम संख्या बल के मद्देनजर कांग्रेस इस चुनाव में भाजपा को वाकओवर देने के मूड में है। माना जा रहा कि प्रदेश में प्रचंड बहुमत से सत्तासीन भाजपा अंतिम क्षणों में इस सीट के लिए प्रत्याशी के नाम का पत्ता खोलेगी। ऐसे में प्रत्याशी जो भी होगा, उसकी निर्विरोध जीत तय है।
सोमवार को राज्यसभा चुनाव की अधिसूचना जारी होने के साथ ही नामांकन पत्र दाखिल करने की प्रक्रिया भी प्रारंभ हुई। रिटर्निंग अफसर मदन सिंह कुंजवाल के मुताबिक पहले दिन की भांति दूसरे दिन यानी मंगलवार को भी कोई प्रत्याशी विधानसभा भवन स्थित निर्वाचन कक्ष में नामांकन पत्र लेने नहीं पहुंचा।
नामांकन पत्र दाखिल करने की अंतिम तिथि 12 मार्च है। 13 मार्च को जांच होगी, जबकि 15 मार्च को नाम वापस लिए जा सकेंगे। वहीं, इस सीट पर बने सियासी समीकरणों को देखते हुए प्रत्याशी का निर्वाचन निर्विरोध होना तय माना जा रहा है।
दरअसल, राज्य विधानसभा में कांग्रेस के 11 विधायक हैं, जबकि दो निर्दलीय। ऐसे में मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस कोई रिस्क लेने के मूड में नहीं दिखती। वजह ये कि यदि दो निर्दलीयों का समर्थन नहीं मिला और अपना कोई विधायक भी इधर-उधर हो गया तो किरकिरी हो सकती है। इस स्थिति का आंकलन कर कांग्रेस पहले ही साफ भी कर चुकी है कि वह प्रत्याशी नहीं उतारेगी।
भाजपा की बात करें तो उसके पास विधायकों की संख्या वर्तमान में 56 है, जबकि एक विधायक का निधन होने के कारण सीट खाली है। भाजपा के पास प्रचंड बहुमत होने के कारण उसकी जीत तय है। विपक्ष का कोई प्रत्याशी न उतरने पर इस सीट पर मतदान की नौबत नहीं आएगी।
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