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UP Cabinet Approved: बटाईदार भी किसान बीमा का हकदार, CM कृषक दुर्घटना कल्याण योजना को मंजूरी

UP Cabinet Approved कैबिनेट की बैठक मंगलवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में लोकभवन में हुई जिसमें 14 प्रस्तावों को स्वीकृति दी गई।

By Umesh TiwariEdited By: Updated: Wed, 22 Jan 2020 08:16 AM (IST)
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UP Cabinet Approved: बटाईदार भी किसान बीमा का हकदार, CM कृषक दुर्घटना कल्याण योजना को मंजूरी

लखनऊ, जेएनएन। मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना बीमा योजना का नाम मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना कल्याण योजना करने के साथ ही इसके नियम और सुविधाओं में बदलाव किया गया है, जिसे मंगलवार को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी। इस योजना के दायरे में प्रदेश के दो करोड़ 38 लाख 22 हजार किसान आएंगे। खास बात है कि बीमे के वारिस के रूप में किसान के परिवार के अलावा बटाईदार भी हकदार होगा।

कैबिनेट की बैठक मंगलवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में लोकभवन में हुई। सरकार के प्रवक्ता लघु उद्योग मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह और ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने बताया कि बैठक में 14 प्रस्तावों को स्वीकृति दी गई। किसानों के संबंध में बीमा योजना के रूप में अहम फैसला लिया गया।

मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना बीमा योजना का लाभ सिर्फ खातेदार किसान और सह-खातेदार को ही मिलता था। नई योजना में किसान और उसकी पत्नी, पुत्र-पुत्री, पौत्र व पौत्री के साथ ही बटाईदार भी पात्र होगा। बीमित किसान की मृत्यु पर पांच लाख रुपये, जबकि दिव्यांगता पर बीमा राशि को श्रेणीवार रखा गया है। इसमें 60 फीसद से अधिक दिव्यांगता पर अधिकतम दो लाख रुपये मिलेंगे। सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि 18 से 70 वर्ष तक की उम्र के किसान पात्र होंगे। योजना का लाभ 14 सितंबर 2019 से मिलेगा।

दुर्घटना के 45 दिन में करना होगा आवेदन

योजना में शर्त रखी गई है कि दुर्घटना में किसान की मृत्यु या दिव्यांगता होने पर सभी प्रपत्र 45 दिन के अंदर तहसील कार्यालय में आवेदन जमा करना होगा। एक माह तक के विलंब को क्षमा करने का अधिकार जिलाधिकारी को होगा, लेकिन 75 दिन बीतने के बाद आवेदन पर विचार ही नहीं किया जाएगा।

बीमा कंपनियां कमा गईं 475 करोड़ का लाभ

प्रवक्ता ने बताया कि पिछले वित्तीय वर्ष में बीमा कंपनियों के पास बीमा राशि 675 करोड़ रुपये पहुंची, जबकि खर्च मात्र 200 करोड़ रुपये ही हुए। इस तरह बीमा कंपनियां 475 करोड़ रुपये का लाभ कमा गईं। अब इस योजना से बीमा कंपनियों का दखल खत्म कर दिया है। राज्य सरकार से वित्त पोषित यह योजना जिलाधिकारियों के माध्यम से चलाई जाएगी।

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