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Vasundhara Raje: वसुंधरा के दर्द से गरमाई सियासत, मौकापरस्त निकले लोगों को लेकर क्या होगा अगला कदम? कयासों का दौर शुरू

राजस्थान में भाजपा की आंतरिक राजनीति में पिछले कुछ समय से दरकिनार की गई पूर्व मुख्यमंत्री और पार्टी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वसुंधरा राजे का दर्द सार्वजनिक रूप से छलका है। सीएम नहीं बन सकी वसुंधरा ने लोकसभा चुनाव में प्रदेश की 25 में से 11 सीटों पर भाजपा प्रत्याशियों की हार के बाद ऐसा बयान दिया है जिसके कई राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं।

By Jagran News Edited By: Siddharth Chaurasiya Updated: Mon, 24 Jun 2024 08:05 PM (IST)
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पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का भाजपा में अपनी अनदेखी किए जाने से सार्वजनिक रूप से दर्द छलका है।
नरेंद्र शर्मा, जयपुर। राजस्थान में भाजपा की आंतरिक राजनीति में पिछले कुछ समय से दरकिनार की गई पूर्व मुख्यमंत्री और पार्टी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वसुंधरा राजे का दर्द सार्वजनिक रूप से छलका है। सीएम नहीं बन सकी वसुंधरा ने लोकसभा चुनाव में प्रदेश की 25 में से 11 सीटों पर भाजपा प्रत्याशियों की हार के बाद ऐसा बयान दिया है, जिसके कई राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं।

उदयपुर में स्व. सुंदर सिंह भंडारी की पुण्यतिथि पर आयोजित एक कार्यक्रम में वसुंधरा ने मंच से कहा, आज लोग उसी उंगली को पहले काट देते हैं, जिसे पकड़ कर वो चलना सीखते हैं। भंडारी ने पूर्व उप राष्ट्रपति स्व.भैरोंसिंह शेखावत सहित कई नेताओं को राजस्थान में आगे बढ़ाया था। लेकिन वफा का वह दौर अलग था।

इन मौकों पर वसुंधरा को मिला धोखा

दरअसल, 15 साल तक प्रदेश में भाजपा की एकछत्र नेता रही वसुंधरा ने कई नेताओं को आगे बढ़ाया था। लेकिन वसुंधरा के प्रति पार्टी नेतृत्व के संकेत को देखकर उन नेताओं ने वसुंधरा से दूरी कायम कर ली, जिन्हे उन्होंने आगे बढ़ाया था। वसुंधरा का यह बयान उन नेताओं की तरफ इशारा माना जा रहा है।

बयान के बाद वसुंधरा खेमा एक बार फिर सक्रिय हुआ है। रविवार को उदयपुर में दिए गए इस बयान के बाद सोमवार को शासन सचिवालय और प्रदेश भाजपा कार्यालय में इस बात के कयास लगाए जाते रहे कि वसुंधरा का अगला कदम क्या हो सकता है।

परिवार से बताए संघ व भाजपा के रिश्ते

असम के राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया, प्रदेश के जनजाति मंत्री बाबूलाल खराड़ी, विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी सहित कई भाजपा नेताओं व राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पदाधिकारियों की मौजूदगी में वसुंधरा ने संघ के साथ अपने परिवार के रिश्तों एवं भाजपा को बनाने में योगदान का भी हवाला दिया।

वसुंधरा ने कहा, "उनकी मां स्व.विजयाराजे सिंधिया ने हमेशा संघ के संस्कार दिए। मेरी माता ने मध्य प्रदेश में 1967 में जनसंघ की पहली सरकार बनवाई।" वसुंधरा बोली, "हमारा संघ से रिश्ता इतना गहरा है कि कई बार तो हमारे घर में शाखाएं लगती थी। भाजपा की स्थापना में स्व.विजयाराजे सिंधिया की महत्वपूर्ण भूमिका थी।"

ये है वसुंधरा का दर्द

वसुंधरा ने प्रदेश की राजनीति में प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी, उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी, प्रेमचंद बैरवा सहित महत्वपूर्ण पदों पर बैठे अधिकांश नेताओं को आगे बढ़ाया। छह महीने पहले सम्पन्न हुए विधानसभा चुनाव तक प्रदेश में सभी फैसले वसुंधरा की इच्छा पर होते थे। लेकिन पहले विधानसभा चुनाव और फिर लोकसभा चुनाव के टिकट तय करने से लेकर चुनाव अभियान तक में वसुंधरा को दरकिनार किया गया। इस बात से वे नाराज हैं। कार्यक्रम के बाद वसुंधरा ने व्यक्तिगत बातचीत में खुद की अनदेखी पर इशारों ही इशारों में नाराजगी जताई।

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