Nitish Kumar: नीतीश के लिए अचानक कैसे खुल गए भाजपा के दरवाजे? जानिए इसकी 'बैकडोर पॉलिटिक्स'
बिहार में सियासी अटकलों पर रविवार को विराम लग गया। नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और एनडीए से फिर हाथ मिला लिया। हैरानी की बात तो यह भी है कि जिन नीतीश कुमार के लिए बीजेपी के सभी दरवाजे बंद चुके थे वो अचानक कैसे खुल गए। बीजेपी ने तो मानो नीतीश के लिए रेड कार्पेट बिछा दिया है।
डिजिटल डेस्क, पटना। Nitish Kumar नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देकर बिहार की सियासत में भूचाल ला दिया है। बिहार में इस वक्त हालात किसी राजनीतिक भूकंप से कम नहीं हैं। बीजेपी को दिन-रात पानी पी-पीकर कोसने वाले नीतीश कुमार ने एक बार फिर 'पलटी' मार ली है। नीतीश कुमार बिहार में अब एनडीए के साथ सरकार बनाएंगे। हैरानी की बात तो यह भी है कि जिन नीतीश कुमार के लिए बीजेपी के सभी दरवाजे बंद चुके थे, वो अचानक कैसे खुल गए। बीजेपी ने तो मानो नीतीश के लिए रेड कार्पेट बिछा दिया है।
लोकसभा चुनाव से पहले हुए इस बड़े उलटफेर के पीछे क्या कारण हैं, इस आर्टिकल में समझिए-एक साल पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि जेडीयू नेता नीतीश कुमार के लिए बीजेपी के दरवाजे बंद हो गए हैं। और अब लोकसभा चुनाव से कुछ महीने पहले राजनीतिक हलकों को हिलाकर रख देने वाले घटनाक्रम के बीच आठ बार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने फिर से भाजपा से हाथ मिला लिया है। एक दशक में यह उनका पांचवां फ्लिप-फ्लॉप है।
हालांकि, बड़ा सवाल यह है कि भाजपा उन्हें एनडीए में वापस लेने के लिए क्यों तैयार है? दरअसल, नीतीश कुमार विपक्ष के इंडी गठबंधन के प्रमुख चेहरों में से एक रहे हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा से मुकाबला करने के लिए संयुक्त मोर्चा बनाने में सबसे आगे थे।
इंडी गठबंधन की किरकिरी
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा है कि यह नीतीश कुमार ही थे, जिन्होंने इंडी गठबंधन की बैठकें बुलाई थीं और विपक्षी गुट उनसे अंत तक भाजपा से लड़ने की उम्मीद कर रहा था। वहीं, अब लोकसभा चुनावों से कुछ महीने पहले इस स्तर पर एक उलटफेर से इंडी गठबंधन की भी राष्ट्रीय स्तर पर किरकिरी हो रही है। बीजेपी के भी इस तर्क को बल मिल रहा है कि विपक्षी गुट एक अस्थिर गठबंधन है।
बता दें कि 'फ्लिप-फ्लॉप' नीतीश कुमार बीजेपी के लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकते हैं। बिहार में लोकसभा की 40 सीटें हैं और आम चुनाव में एनडीए सभी सीटों पर अपनी विजय चाहता है। बंगाल में कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस और पंजाब में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (AAP) के बीच सीट बंटवारे को लेकर रिश्ते पहले से ही तनावपूर्ण हैं। इस स्तर पर बिहार में राजद-जदयू गठबंधन का अंत इंडी गठबंधन के लिए और अधिक परेशानी खड़ी करेगा। जबकि भाजपा को इससे काफी फायदा होगा।
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