बेलगाम नौकरशाही पर योगी सरकार की बड़ी नकेल, अब तक 45 से अधिक अफसरों पर हो चुकी कार्रवाई
अमर्यादित आचरण से महकमे की छीछालेदर कराने वाले गौतमबुद्धनगर के एसएसपी वैभव कृष्ण के साथ ही आरोपों में फंसे पांच आइपीएस पर कार्रवाई कर योगी सरकार ने सख्त संदेश दिया है।
By Umesh TiwariEdited By: Updated: Sat, 11 Jan 2020 07:07 AM (IST)
लखनऊ, जेएनएन। भ्रष्ट, बेलगाम और बेपरवाह नौकरशाही पर योगी सरकार ने नकेल कसने का बड़ा प्रयास किया है। अमर्यादित आचरण से महकमे की छीछालेदर कराने वाले गौतमबुद्धनगर के एसएसपी वैभव कृष्ण के साथ ही आरोपों में फंसे पांच आइपीएस पर कार्रवाई कर सरकार ने सख्त संदेश दिया है। इससे पहले ही आइएएस, आइपीएस, पीसीएस और पीपीएस अधिकारी निशाने पर आ चुके हैं। कार्रवाई का आंकड़ा लगभग 45 तक पहुंच चुका है।
सूबे की सत्ता संभालते ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस का संदेश दे दिया था। तमाम अधिकारियों ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। कोई भ्रष्टाचार तो कोई लापरवाही या अमर्यादित आचरण के आरोपों में घिरा नजर आया। हालात देख सरकार ने भी कार्रवाई का हंटर तेज कर दिया। पुरानी फाइलें भी सरकार ने खंगाल डालीं। इसके साथ ही जबरन सेवानिवृत्ति, निलंबन, प्रतीक्षारत और पदावनत करने जैसी कार्रवाई तेज कर दी गई।
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ताजा मामले में भी निलंबित भले ही अभी सिर्फ एसएसपी वैभव कृष्ण किए गए हैं, लेकिन अन्य पांच आइपीएस अधिकारियों के तबादले कर जांच शुरू करा दी है। यदि यह दोषी पाए जाते हैं तो इनकी भी कुर्सी जाना तय है। इनके अलावा विभिन्न विभागों के कर्मियों की बात करें तो अब तक 600 से अधिक कार्रवाई की जद में आ चुके हैं। पूर्व में भ्रष्टाचार के आरोप में ही तत्कालीन एसपी बाराबंकी डॉ.सतीश कुमार व तत्कालीन एसएसपी बुलंदशहर एन.कोलांची को निलंबित किया गया था। एडीजी जसवीर सिंह व एसपी अतुल शर्मा पर भी निलंबन की कार्रवाई हो चुकी है।
केंद्र सरकार द्वारा जबरन सेवानिवृत्त आइएएस
- 1980 बैच के शिशिर प्रियदर्शी
- 1983 बैच के अतुल बगाई
- 1985 बैच के अरुण आर्या
- 1990 बैच के संजय भाटिया
- 1997 बैच की रीता सिंह
प्रतीक्षा सूची में डाले गए आइएएस
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- अशोक कुमार शुक्ला, अशोक कुमार लाल, रणधीर सिंह दुहन
- प्रभु दयाल- एसडीएम से तहसीलदार
- गिरीश चंद्र श्रीवास्तव- डिप्टी कलेक्टर से तहसीलदार
- बीते दिनों स्क्रीनिंग कमेटी की रिपोर्ट पर सात पीपीएस अधिकारियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी गई। वर्ष 2018 में भी तीन पीपीएस अधिकारी जबरन रिटायर किए गए।