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जिले में 1650 पशु लंपी स्किन बीमारी से पीड़ित, वैक्सीन लगानी शुरू कीं

पशु पालन विभाग के डिप्टी डायरेक्टर डा. नवराज सिंह संधू ने कहा कि अमृतसर पशु पालन विभाग लंपी स्किन बीमारी से निपटने के लिए काम कर रहा है।

By JagranEdited By: Updated: Mon, 08 Aug 2022 07:26 PM (IST)
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जिले में 1650 पशु लंपी स्किन बीमारी से पीड़ित, वैक्सीन लगानी शुरू कीं

संस, अमृतसर: पशु पालन विभाग के डिप्टी डायरेक्टर डा. नवराज सिंह संधू ने कहा कि अमृतसर पशु पालन विभाग लंपी स्किन बीमारी से निपटने के लिए काम कर रहा है। अब तक जिले में लगभग 1650 पशु इस बीमारी से पीड़ित मिले हैं। इन पशुओं का इलाज संबंधित वेटनरी अधिकारियों व वेटनरी इंस्पेक्टरों की ओर से किया जा रहा है। जिले में विभाग की 55 टीमें गांव-गांव जाकर इलाज व वैक्सीनेशन का काम कर रही हैं। सात अगस्त को जिले में वैक्सीन की 4932 डोज मिली हैं। इनमें 2516 वैक्सीन पशुओं को लगा दी गई। शेष 2416 खुराक आठ अगस्त को लगा दी गई है। अब तक सभी प्रभावित गाय है। भैंसों के इस बीमारी से प्रभावित होने का अभी तक कोई मामला सामने नहीं आया है। प्रभावित पशुओं का इलाज किया जा रहा है। अधिकतर पशु दो सप्ताह में ठीक हो रहे है। मौत की दर बहुत कम है। पशु पालकों को घबराने की बजाय गायों का इलाज करवाना चाहिए

डिप्टी डायरेक्टर नवराज संधू ने कहा कि पशु पालकों को घबराने की बजाय समय पर अपने पशुओं का इलाज करवाना चाहिए, ताकि उन्हें ठीक किया जा सके। उन्होंने पशुओं को बीमारी से बचाने के तरीके भी बताए। उन्होंने बताया कि यह बीमारी पशुओं से लोगों में नहीं फैलती, इस कारण बीमार पशु का दूध भी उबालकर इस्तेमाल किया जा सकता है। पशुओं को बीमारी से बचाने के लिए रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली दवाइयां दी जानी चाहिए, ताकि पशु पर बीमारी का प्रभाव कम हो और पशु जल्दी ठीक हो जाए। उन्होंने किसानों को अपील की है कि वह पशुओं के शैडों में फार्मलीन के एक प्रतिशत घोलकर कर स्प्रे की जाए। गांव-गांव जाकर वेटनरी अफसर और इंस्पेक्टर कर रहे इलाज: डीसी

डीसी हरप्रीत सिंह सूदन ने कहा कि लंपी स्किन बीमारी से निपटने के लिए सरकार हर तरह के प्रयास कर रही है। पशुओं का इलाज संबंधित वेटनरी अफसरों व इंस्पेक्टरों की ओर से किया जा रहा है। पशु पालन मंत्री लालजीत सिंह भुल्लर की ओर से पशु पालन विभाग के अधिकारियों को दी हिदायतों के मद्देनजर विभाग की ओर से गांव-गांव जाकर बीमार पशुओं का इलाज किया जा रहा है। वहीं गांव में जागरूकता कैंप भी लगाए जा रहे है। इन कैंपों में पशु पालकों को बीमारी की रोकथाम संबंधी जानकारी दी जा रही है।

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