Punjab News: लोकसभा चुनाव 2024 के लिए AAP तैयार, 'शिक्षा क्रांति रैली' में मंत्रियों और विधायकों ने दिखाई ताकत
आम आदमी पार्टी ने बुधवार को अमृतसर के रंजीत एवेन्यू में एक विशाल रैली का आयोजन किया। रैली में दिल्ली के मुख्यमंत्री और सूबे के सीएम भगवंत मान पहुंचे। आम आदमी पार्टी ने रैली को शिक्षा क्रांति का नाम दिया। साथ ही यह भी बता दिया कि पार्टी 2024 के चुनाव के लिए पूरी तरह से तैयार है। आप के मंत्रियों और विधायकों ने भी रैली में अपनी ताकत दिखाई।
अमृतसर, विपिन कुमार राणा। AAP Rally In Amritsar आम आदमी पार्टी ने रंजीत एवेन्यू के दशहरा में मैदान में महारैली कर बता दिया कि वह लोकसभा चुनाव 2024 के लिए तैयार है। पंजाब शिक्षा क्रांति रैली में कैबिनेट मंत्रियों और विधायकों ने भीड़ जुटा अपनी ताकत दिखाने का प्रयास तो किया वहीं यह भी बताने की कोशिश की कि आप माझा के तीनों लोकसभा हलकों में चुनाव लड़ने के लिए तैयार है। आप और कांग्रेस के बीच बनी गठजोड़ की संभावनाओं के बीच रैली कर आप ने खुद को चुनाव के लिए तैयार कर लिया है।
रक्खड़ पुनिया पर बाबा बकाला में सजी स्टेज में संतोषजनक संख्या में भीड़ नहीं जुटी थी और आम आदमी पार्टी की लीडरशिप भी इससे खुश नहीं थी। यही वजह रही कि पंजाब शिक्षा क्रांति रैली के जरिये माझा की धरती से चुनावी शंखनाद करने के लिए उससे बड़ी रैली करने की कवायद की गई।
मंत्रियों और विधायकों की लगी थी ड्यूटी
रैली को भव्य रूप देने के लिए माझा के तमाम कैबिनेट मंत्रियों और विधायकों की ड्यूटियां लगाई गई थी। रैली मे उन्होंने भीड़ जुटाकर अपनी ताकत दिखाने का काम किया और साथ ही आगामी लोकसभा चुनाव के लिए अपनी तैयारी से भी लीडरशिप को रूबरू करवा दिया। रैली में भीड़ जुटाने में अमृतसर जिले के नेताओं की बहुत अहम भूमिका रही।
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संगठन की मजबूती पर फोकस
लोकसभा चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी की ओर से संगठन की मजबूती पर पूरा फोकस किया जा रहा है। यही वजह रही कि हाल ही में संगठनात्मक नियुक्तियां की गई। माझा में नवनियुक्त किए गए पदाधिकारियों के लिए भी यह रैली किसी चुनौती से कम नहीं थी। गर्मी के मौसम में रैली में भीड़ जुटाना और उन्हें पूरा समय बिठाए रखना नेताओं के लिए चुनौती पूर्ण रहा।
गठबंधन पर नेता अभी चुप
आम आदमी पार्टी और कांग्रेस में गठबंधन की संभावनाओं के बीच पंजाब के नेता अभी इस पर पूरी तरह से चुप्पी साधे हुए हैं। गठबंधन से पहले आप लीडरशिप अपनी ताकत जुटाना चाहती है। ताकि गठबंधन में उनकी शर्ते कांग्रेस पर हावी रहे। अगर संगठनात्मक कमजोरी रही तो शर्तों में उसी मुताबिक समझौता करना पड़ेगा।
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