बगावत कोई नई बात नहीं... पहले भी कई उतार-चढ़ाव से गुजर चुका है अकाली दल, पढ़ें क्या है 104 वर्षों का इतिहास?
शिअद के अंदर बागियों के उठते सुर इस बात की ओर इशारा कर रहे हैं कि पार्टी की कमान बादल परिवार के बाहर के नेताओं के हाथों में जा सकती है। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि क्या पार्टी पहले भी इस तरह की सियासी चुनौतियों का सामना कर चुकी है? आइए पार्टी के इतिहास और इन्हीं राजनीतिक घटनाक्रमों के बारे में जानते हैं।
डिजिटल डेस्क, चंडीगढ़। मौजूदा समय में पंजाब की क्षेत्रीय पार्टी शिरोमणि अकाली दल के अंदर कलह चल रहा है। पार्टी के भीतर कुछ राजनेताओं ने अकाली दल चीफ सुखबीर सिंह बादल को अध्यक्ष पद से हटाने की मांग की है।
पंजाब के लोकसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन के जिम्मेदार वे सुखबीर सिंह बादल को मान रहे हैं। गए मंगलवार को सुखबीर सिंह बादल ने जहां कमियों को दुरुस्त करने के लिए चंडीगढ़ में बैठक की तो वहीं, पार्टी के विरोधी नेताओं ने जालंधर में बैठक की।
इस मीटिंग में उन्होंने सुखबीर सिंह बादल के खिलाफ नारेबाजी भी की। इससे साफ संकेत मिल गए हैं कि पार्टी का आंतरिक कलह बगावत की शुरुआत है।
104 साल पुराना है अकाली दल
अकाली दल का इतिहास काफी पुराना रहा है। यह सबसे पुरानी क्षेत्रीय पार्टी भी मानी जाती है। इससे पहले भी पार्टी कई मौकों पर बिखरी है।शिरोमणि अकाली दल की स्थापना 14, दिसंबर 1920 को हुई थी। उसके बाद पार्टी में कई बार फूट देखी गई। सुखमुख सिंह झब्बाल शिरोमणि अकाली दल (SAD) के पहले और बाबा खड़क सिंह इसके दूसरे अध्यक्ष थे। इसी तरह से मास्टर तारा सिंह (Master Tara Singh) पार्टी के तीसरे अध्यक्ष बने।
इसी क्रम में उन्नीसवें अध्यक्ष सिमरनजीत सिंह मान रहे बीसवें अध्यक्ष प्रकाश सिंह बादल और अब सुखबीर सिंह बादल पार्टी के 21वें अध्यक्ष हैं।
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