Move to Jagran APP

सुखबीर सिंह बादल की सजा पर जल्द फैसला चाहते हैं अकाली दल के नेता, सिख बुद्धिजीवियों में सलाह-मशविरा जारी

शिरोमणि अकाली दल के प्रधान सुखबीर बादल को धार्मिक सजा देने के मामले में बुधवार को सिख बुद्धिजीवियों से राय लेने पर सवाल उठने लगे हैं। कुछ का मानना है कि श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदारों को किसी से सलाह लेने की जरूरत नहीं है जबकि अन्य का कहना है कि बड़े मामलों में सिख समुदाय की राय लेना जरूरी है।

By Jagran News Edited By: Prince Sharma Updated: Wed, 06 Nov 2024 07:28 PM (IST)
Hero Image
अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल को तनखैया घोषित किया हुआ है (सोशल मीडिया फोटो)
इन्द्रप्रीत सिंह, चंडीगढ़। शिरोमणि अकाली दल के प्रधान सुखबीर बादल को धार्मिक सजा देने के मामले में बुधवार को सिख बुद्धिजीवियों से राय लेने पर सवाल उठने लगे हैं। एक वर्ग इस फैसले का विरोध कर रहा है तो कुछ इसका समर्थन कर रहे हैं।

दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के पूर्व प्रधान हरविंदर सिंह सरना का कहना है कि श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार खुद ही अपने आप में अथॉरिटी हैं, उन्हें किसी से सलाह करने की जरूरत नहीं है। वे किसी व्यक्ति विशेष को धार्मिक सजा देने के मामले में पांच सिंह साहिब आपस में चर्चा करके यह काम कर सकते हैं।

अकाली दल नेता चाहते हैं जल्द हो फैसला

शिरोमणि अकाली दल से हाल ही इस्तीफा देने वाले विरसा सिंह वल्टोहा के भी लगभग यही विचार हैं। असल में शिअद विरोधी सभी नेता चाहते हैं कि उन्हें सख्त सजा दी जाए जबकि शिअद के नेता चाहते हैं कि जो भी सजा सुनानी है उन्हें जल्द से जल्द सुनाई जाए। इसके पीछे दो कारण बताए जा रहे हैं।

पहला, सुखबीर बादल की बेटी की शादी है और तनखैया व्यक्ति गुरुद्वारा साहिब में अरदास नहीं करवा सकता। ऐसे में उन्हें अपनी बेटी की शादी से जुड़ी धार्मिक रस्में निभाने में दिक्कत आ सकती है। दूसरा, सुखबीर बादल के बिना पार्टी राजनीतिक गतिविधियों में भाग नहीं ले पा रही है।

यह भी पढ़ें- महाराजा रणजीत सिंह की हवेली का जीर्णोद्धार करेगी पाक सरकार, शेर-ए-पंजाब के 244वें जन्मदिवस पर लिया निर्णय

इसी कारण विधानसभा की चार सीटों पर होने वाले उपचुनाव में अकाली दल ने अपने आप को पीछे कर लिया है।दूसरी ओर, सिख स्कॉलर डॉ. अमरजीत सिंह ने कहा कि गुरु काल से ही चर्चा करने की परंपरा चली आ रही है।

छठे गुरु श्री हरगोबिंद साहिब की ओर से ग्वालियर के किले में जाने से पूर्व भी यह चर्चा की गई थी। इसके अलावा बड़े मामलों में श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार इस तरह की चर्चाएं करते रहे हैं।

शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के पूर्व महासचिव करनैल सिंह पंजौली ने कहा कि कुछ मुद्दे इतने संवेदनशील होते हैं और राष्ट्रीय हितों को प्रभावित करते हैं।

कोई भी घोषणा से पहले राय लेना आवश्यक

इन पर श्री अकाल तख्त साहिब से कोई भी घोषणा करने से पहले सिख समुदाय की राय लेना जरूरी होता है। उन्होंने कहा कि 2015 में डेरा सिरसा के प्रमुख को माफी देने के मामले में जत्थेदार साहिब ने निर्णय लेने से पूर्व चर्चा नहीं की और प्रकाश सिंह बादल और उनके परिवार को खुश करने का फैसला कर दिया।

पूरी सिख कौम इस फैसले के खिलाफ खड़ी हो गई और अंतत: यह फैसला वापिस लेना पड़ा। अब भी मामला बादल परिवार, पूर्व की बादल सरकार से संबंधित है। जत्थेदार साहिब इस पर विभिन्न बुद्धिजीवियों की राय लेना चाहते हैं तो यह अच्छी बात है। आखिर अंतिम निर्णय सिंह साहिब को ही करना है।

यह भी पढ़ें- पंजाब और हरियाणा के लोगों का दम घोटेगी पाकिस्तान की हवा? मौसम विभाग का डरा देने वाला खुलासा

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।