सुखबीर सिंह बादल की सजा पर जल्द फैसला चाहते हैं अकाली दल के नेता, सिख बुद्धिजीवियों में सलाह-मशविरा जारी
शिरोमणि अकाली दल के प्रधान सुखबीर बादल को धार्मिक सजा देने के मामले में बुधवार को सिख बुद्धिजीवियों से राय लेने पर सवाल उठने लगे हैं। कुछ का मानना है कि श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदारों को किसी से सलाह लेने की जरूरत नहीं है जबकि अन्य का कहना है कि बड़े मामलों में सिख समुदाय की राय लेना जरूरी है।
इन्द्रप्रीत सिंह, चंडीगढ़। शिरोमणि अकाली दल के प्रधान सुखबीर बादल को धार्मिक सजा देने के मामले में बुधवार को सिख बुद्धिजीवियों से राय लेने पर सवाल उठने लगे हैं। एक वर्ग इस फैसले का विरोध कर रहा है तो कुछ इसका समर्थन कर रहे हैं।
दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के पूर्व प्रधान हरविंदर सिंह सरना का कहना है कि श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार खुद ही अपने आप में अथॉरिटी हैं, उन्हें किसी से सलाह करने की जरूरत नहीं है। वे किसी व्यक्ति विशेष को धार्मिक सजा देने के मामले में पांच सिंह साहिब आपस में चर्चा करके यह काम कर सकते हैं।
अकाली दल नेता चाहते हैं जल्द हो फैसला
शिरोमणि अकाली दल से हाल ही इस्तीफा देने वाले विरसा सिंह वल्टोहा के भी लगभग यही विचार हैं। असल में शिअद विरोधी सभी नेता चाहते हैं कि उन्हें सख्त सजा दी जाए जबकि शिअद के नेता चाहते हैं कि जो भी सजा सुनानी है उन्हें जल्द से जल्द सुनाई जाए। इसके पीछे दो कारण बताए जा रहे हैं।पहला, सुखबीर बादल की बेटी की शादी है और तनखैया व्यक्ति गुरुद्वारा साहिब में अरदास नहीं करवा सकता। ऐसे में उन्हें अपनी बेटी की शादी से जुड़ी धार्मिक रस्में निभाने में दिक्कत आ सकती है। दूसरा, सुखबीर बादल के बिना पार्टी राजनीतिक गतिविधियों में भाग नहीं ले पा रही है।
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इसी कारण विधानसभा की चार सीटों पर होने वाले उपचुनाव में अकाली दल ने अपने आप को पीछे कर लिया है।दूसरी ओर, सिख स्कॉलर डॉ. अमरजीत सिंह ने कहा कि गुरु काल से ही चर्चा करने की परंपरा चली आ रही है।
छठे गुरु श्री हरगोबिंद साहिब की ओर से ग्वालियर के किले में जाने से पूर्व भी यह चर्चा की गई थी। इसके अलावा बड़े मामलों में श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार इस तरह की चर्चाएं करते रहे हैं।शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के पूर्व महासचिव करनैल सिंह पंजौली ने कहा कि कुछ मुद्दे इतने संवेदनशील होते हैं और राष्ट्रीय हितों को प्रभावित करते हैं।
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