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Amritsar News: कोर्ट ने मस्जिदों में महिलाओं के प्रवेश की आजादी पर जताई सहमति

अमृतसर में कोर्ट ने मस्जिदों में महिलाओं के प्रवेश की आजादी पर सहमति जता दी है। आल मुस्लिम वेलफेयर सोसाइटी के प्रधान मानिक अली ने सुप्रीम कोर्ट का अभार जताया। अप्रैल 2019 में मस्जिदों में महिलाओं के प्रवेश की आजादी के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई।

By Jagran NewsEdited By: Himani SharmaUpdated: Mon, 13 Feb 2023 08:22 PM (IST)
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कोर्ट ने मस्जिदों में महिलाओं के प्रवेश की आजादी पर जताई सहमति

जागरण संवाददाता, अमृतसर: आल मुस्लिम वेलफेयर सोसायटी के प्रधान मानिक अली ने हाल ही में आल इंडिया पर्सनल ला बोर्ड द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दिए एफिडेविट में जिसने कहा कि इस्लामिक धर्मग्रंथों के मुताबिक इस्लाम में महिलाओं के मस्जिद में प्रवेश और नमाज पढ़ने को लेकर किसी भी प्रकार का प्रतिबंध या मनाही नही है, का स्वागत किया है। उन्होंने बताया कि अप्रैल 2019 में मस्जिदों में महिलाओं के प्रवेश की आजादी के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई।

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ये याचिका पुणे में रहने वाले मुस्लिम दंपति ने दायर की है।इस याचिका में कहा गया है कि महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी असंवैधानिक है और इससे समता के अधिकार और लैंगिक न्याय के सिद्धांत का उल्लंघन होता है।जब मुसलमान हज और उमरा के लिए मक्का और मदीना जाते हैं, तो पुरुष और महिलाएं दोनों मक्का में हरम शरीफ व मदीना में मस्जिद-ए-नबवी में नमाज अदा करते हैं।

दोनों जगहों पर पुरुषों और महिलाओं के लिए अलग-अलग हाल बनाए गए हैं। साथ ही पूरे पश्चिम एशिया में नमाज के लिए मस्जिद में महिलाओं के आने पर कोई प्रतिबंध नहीं है। अमेरिका और कनाडा में भी, महिलाएं नमाज के लिए मस्जिदों में जाती हैं, और रमजान में विशेष तरावीह की नमाज और कुरानख्वानी के लिए भी वहां इकट्ठा होती हैं।

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