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पर्यावरण प्रेमी बोले, कूड़े के निस्तारण के लिए विदेशी तकनीक का इस्तेमाल हो

चुनावी शोरशराबे के बाद 10 मार्च को ईवीएम से नई सरकार का फैसला होगा।

By JagranEdited By: Updated: Sat, 05 Mar 2022 11:30 AM (IST)
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पर्यावरण प्रेमी बोले, कूड़े के निस्तारण के लिए विदेशी तकनीक का इस्तेमाल हो

जासं, अमृतसर: चुनावी शोरशराबे के बाद 10 मार्च को ईवीएम से नई सरकार का फैसला होगा। चुनाव के दौरान राजनीतिक दलों ने कई मुद्दे उठाए और विकास की बात कही। परंतु विडंबना यह रही कि सबसे गंभीर पर्यावरण विषय को सियासी दलों ने अपने चुनावी घोषणापत्र में नहीं उठाया और न ही इस पर बात की। आज हमारा पर्यावरण खतरे में हैं। प्रदूषित हो रही भूमि, जल, हवा, मिट्टी चिंता का विषय है। प्रदूषण के मामले में पंजाब देश में 12वें स्थान पर पहुंच चुका है। दैनिक जागरण की ओर से लोगों की आवाज नई सरकार तक पहुंचाने और सरकार के एजेंडे में इसे शामिल करवाने के उद्देश्य से 'सुनिए सरकार पंजाब की पुकार' के तहत पर्यावरण विषय पर राउंड टेबल कांफ्रेंस आयोजित की गई। इसमें शहर के पर्यावरण प्रेमियों ने चर्चा करते हुए कई सुझाव दिए। उन्होंने कहा कि पर्यावरण की रक्षा के लिए ठोस योजना लाकर धरातल पर लागू की जाए और संबंधित विभागों के अधिकारियों की जिम्मेदारी और जवाबदेही तय की जाए। तभी इसका लाभ होगा। राजनीतिक दबाव से मुक्त हो पीपीसीबी के अधिकारी: यश

पर्यावरण कार्यकर्ता एवं विद्यार्थी यश ने कहा कि नदियों का जल प्रदूषित हो रहा है। पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीपीसीबी) पर राजनेताओं का प्रभाव होने की वजह से जल प्रदूषित करने वालों के खिलाफ कोई एक्शन नहीं हो रहा। बोर्ड के अधिकारी राजनीतिक दबाव से मुक्त होने चाहिए। पंजाब में इस समय तीन दरिया रावी, ब्यास और सतलुज हैं। इनमें औद्योगिक यूनिट फैक्ट्री के पानी को बिना ट्रीट किए दरिया में डाल रहे हैं। नई सरकार दरिया को प्रदूषणमुक्त करने के लिए गंभीरता दिखाए। नहरी सिस्टम और रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लागू हो: इंजी. कोहली

पर्यावरण विशेषज्ञ इंजीनियर दलजीत सिंह कोहली ने कहा कि भू-जलस्तर आज बहुत खतरनाक स्थिति में पहुंच गया है। अमृतसर जिले के 37 में से 21 क्षेत्र डार्क जोन में हैं। उन्होंने कहा कि सरकार धान की फसल की बुआई को कम करे। नहरी सिस्टम को बहाल करे। रेन वाटर हार्वेस्टिंग (आरडब्ल्यूएच) सिस्टम को लागू करे। शहरी क्षेत्रों में वाटर ट्रीटमेंट प्लाट से रिट्रीट किए जा रहे पानी को अन्य कार्यो में उपयोग किया जाए। शहर को कूड़ा मुक्त बनाने के लिए सार्थक योजना बने: जसपाल

सामाजिक कार्यकर्ता जसपाल सिंह ने कहा कि नई सरकार को अपने एजेंडे में पर्यावरण संरक्षण को रखते हुए सख्त कदम उठाने चाहिए। उन्होंने कहा कि सालिड वेस्ट मैनेजमेंट इस समय सबसे बड़ी चुनौती बना हुआ है। अमृतसर शहर में कूड़े का पहाड़ बना हुआ है। सरकार को वेस्ट मैनेजमेट की समस्या का हल करने के लिए सार्थक योजना लानी चाहिए और शहर को कूड़ा मुक्त बनाना चाहिए। प्रेशर हार्न बजाने वालों को कड़ा दंड मिलना चाहिए: खुशबू

पर्यावरण प्रेमी खुशबू ने कहा कि ध्वनि प्रदूषण आज गंभीर समस्या बन गई है। काफी जगहों पर इसके बारे में जागरूक करते हुए साइन बोर्ड तो लगे हैं पर इनका पालन नहीं होता। अस्पतालों व शिक्षण संस्थानों के आसपास लाउड स्पीकरों और वाहनों के हार्न ध्वनि प्रदूषण को बढ़ा रहे हैं। ऐसे में सरकार और पुलिस प्रशासन को इन पर सख्ती बरतनी चाहिए। प्रेशर हार्न बजाने वालों को सख्त सजा का प्रावधान होना चाहिए। पेड़ों की अंधाधुंध कटाई को रोकना चाहिए: डा. इंदु

पर्यावरण जागृति कार्यकर्ता डा. इंदु वर्मा ने कहा कि प्रदेश में वन क्षेत्र सिर्फ दो प्रतिशत रह गया है, जबकि यह 33 फीसद होना चाहिए। ऐसे में अंधाधुंध वृक्षों की कटाई को सरकार रोके। इसके लिए तय किए गए नियमों का सख्ती से पालन करवाया जाए। कई बार देखा गया है कि जितने वृक्ष काटे गए हैं, नियम अनुसार उतने पौधे नहीं लगाए जाते। नई सरकार इस पर गंभीरता से काम करे। पराली भी बड़ी समस्या, प्रबंधन के लिए उठाए जाएं कदम: दीपक बब्बर

मिशन अगाज के चेयरमैन दीपक बब्बर ने कहा कि किसानों की ओर से हर साल पराली और नाड़ को आग लगाई जाती है। नई सरकार को पराली और नाड़ का प्रबंधन करने के लिए मशीनरी उपलब्ध करवानी चाहिए। इसके उपयोग के लिए कोई व्यवस्था करनी चाहिए। अलग से बोर्ड या मंत्रालय का गठन हो। अलग से बजट का भी प्रविधान किया जाए। साथ ही हर गांव में किसानों को जागरूक करना चाहिए। जिला कमेटियों को प्रभावी बना टास्क फोर्स बने: देशबंधू धीमान

पर्यावरण प्रेमी देशबंधू धीमान ने चर्चा के दौरान कहा कि मेडिकल वेस्ट भी बड़ी समस्या है। हर अस्पताल और डिस्पेंसरी में मेडिकल वेस्ट के लिए अलग डस्टबिन उपलब्ध हों। वहां से रूटीन में उसे प्लांट में निष्क्रिय किया जाए। वहीं सरकार पर्यावरण पर विजन डाक्यूमेंट बनाए, विभागों व अधिकारियों की जिम्मेदारी और जवाबदेही करें। जिला कमेटियों को प्रभावी बनाकर टास्क फोर्स का गठन किया जाए। पेड़ों को काटने के बजाय उन्हें ट्रासप्लाट किया जाए: जतिंदरप्रीत

पर्यावरण कार्यकर्ता जतिंदरप्रीत सिंह कोहली ने कहा कि पर्यावरण का संतुलन बनाए रखने के लिए अधिक से अधिक पेड़ लगाने चाहिए। परंतु यहा पर पौधारोपण अभियान सिर्फ कागजों में ही चलता है। सरकार पर्यावरण से जुड़ी संस्थाओं को पौधे लगाने और देखभाल की जिम्मेदारी दे। पेड़ों को काटने के बजाय उन्हें ट्रासप्लाट किया जाए। पौधे ईको सिस्टम को ध्यान में रखकर लगाए जाएं। केमिकल युक्त पानी के निस्तारण के लिए विशेष नीति बने: प्रदीप

पार्षद एवं पर्यावरण प्रेमी प्रदीप शर्मा ने कहा कि वायु व जल प्रदूषण में औद्योगिक यूनिट भी जिम्मेदार हैं। आज यूनिटों के मालिक अफसरों से मिलीभगत के कारण पाल्यूशन ट्रीटमेंट प्रोजेक्ट अपने उद्योगों में स्थापित नहीं कर रहे। नई सरकार प्रदूषण फैलाने वाली इंडस्ट्री पर बिना दबाव के कार्रवाई करे। लापरवाह अफसरों पर भी एक्शन हो। फैक्ट्रियों से केमिकल युक्त पानी के निस्तारण के लिए विशेष नीति बने। जहां अवैध खनन हो, वहां के अधिकारी पर भी एक्शन हो: अवतार सिंह

पर्यावरण कार्यकर्ता अवतार सिंह ने कहा कि आज अवैध खनन गंभीर मुद्दा है। गैरकानूनी ढंग से दरियाओं के किनारों से रेत निकालकर पानी के प्रवाह को प्रभावित किया जा रहा है। सरकार को अवैध माइनिंग करने वालों को सख्त सजा देने के लिए प्रविधान में बदलाव करना चाहिए। अवैध खनन रोकने के लिए विशेष नीति बने। जिस क्षेत्र में अवैध खनन हो, वहां के अधिकारियों पर भी कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए। नदियों का पानी उपयोग में लाने के प्रोजेक्ट लाए जाएं: केहर सिंह

पर्यावरण प्रेमी केहर सिंह ने कहा कि पर्यावरण की रक्षा के लिए भूमि से जल निकाले की जगह नदियों के पानी को रिट्रीट करके उपयोग में लाया जा सकता है। इसके लिए हर शहर में वाटर ट्रीटमेट प्लांट लगाने चाहिए। अमृतसर के पास ब्यास और रावी दरिया है जिनके पानी को ट्रीट करके पीने व अन्य कामों के लिए उपयोग में लाया जा सकता है। साथ ही भूमि से जल निकालने पर पूरी तरह रोक लगनी चाहिए। कूड़ा मुक्त हो शहर, विभाग की जिम्मेदारी तय हो: अमित कुमार

समाजसेवी अमित कुमार ने कहा कि महानगर में सफाई की व्यवस्था ठीक नहीं है। ऐसे में कई स्थान है जहा पर कूड़ा व गंदगी आसमान तले पड़ी रहती है। इससे पर्यावरण प्रदूषित होता है। नई सरकार को वेस्ट मैनेजमेट का स्थायी हल करते हुए आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करना चाहिए। गीला व सूखा कूड़ा अलग करना अनिवार्य हो। लापरवाही पर संबंधित जिम्मेदार विभाग के अधिकारी की जिम्मेदारी तय हो।

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