Amritsar: गुरुद्वारे की जगह मस्जिद... सिरसा के बयान पर मचा बवाल, SGPC ने मनजिंदर सिंह को बताया सिरफिरा
सिरसा ने दावा किया है कि गुरुद्वारा रकाबगंज साहिब मस्जिद को ध्वस्त कर बनाया गया था। उन्होंने इसके लिए एसजीपीसी द्वारा प्रकाशित पुस्तक का हवाला देते हुए दावा किया कि पुस्तक सूरज ग्रंथ के पन्ना नंबर 256 में ऐसा ही वर्णित है। उन्होंने पुस्तक का ही हवाला देते हुए आगे कहा कि यहां मुगल सल्तनत आती है तथा गुरुद्वारा साहिब हटाकर मस्जिद कायम कर दी जाती है।
गुरमीत लूथरा, अमृतसर। भाजपा नेता मनजिंदर सिंह सिरसा द्वारा दिल्ली स्थित गुरुद्वारा रकाबगंज की जगह पर पहले मस्जिद होने के किए दावे को लेकर पंथक हलकों में नया विवाद छिड़ गया है। पंथक हलकों में मचे बवाल के तहत आरोपो-प्रत्यारोपों का सिलसिला शुरु हो गया है। इसे लेकर दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान हरमीत सिंह कालका ने जहां सिरसा के बयान की हिमायत की है, वहीं पूर्व प्रधान परमजीत सिंह सरना एवं मनजीत सिंह जीके ने विरोध जताया है। एसजीपीसी महासचिव राजिंदर सिंह मेहता ने तो सिरसा को सिरफिरा तक करार दे दिया है।
रकाबगंज साहिब मस्जिद को ध्वस्त कर बनाया गया- सिरसा
बुधवार को सिरसा ने जनसभा को संबोधित करते हुए दावा किया है कि गुरुद्वारा रकाबगंज साहिब मस्जिद को ध्वस्त कर बनाया गया था। उन्होंने इसके लिए एसजीपीसी द्वारा प्रकाशित पुस्तक का हवाला देते हुए दावा किया कि पुस्तक सूरज ग्रंथ के पन्ना नंबर 256 में ऐसा ही वर्णित है। उन्होंने पुस्तक का ही हवाला देते हुए आगे कहा कि यहां मुगल सल्तनत आती है तथा गुरुद्वारा साहिब हटाकर मस्जिद कायम कर दी जाती है, फिर साल 1707 में दशम पातशाह श्री गुरु गोबिंद सिंह यहां आए थे तथा उन्होंने श्री गुरु तेग बहादुर के इस स्थल पर गुरु घर बनाया था।
दिल्ली SGPC प्रधान हमरीत कालका ने सिरसा का किया था समर्थन
डीएसजीपीसी के प्रधान हमरीत सिंह कालका ने सिरसा के बयान का समर्थन करते हुए खुलासा किया है कि सिरसा ने जो बयान दागा है, यह सब एसजीपीसी की संंबंधित उक्त पुस्तक में लिखा है। उन्होंने कहा कि डीएसजीपीसी की धर्म प्रचार कमेटी ने भी प्राथमिक जांच के बाद इन तथ्यों को सही ठहराया है। पुस्तक में सिरसा द्वारा दिए गए समस्त बयान संबंधी शब्दावली ही प्रकाशित है।सिरसा तो सिरफिरा है, उसके इस ब्यान को अहमियत ना दे सिख : मेहता
शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान राजिंदर सिंह मेहता ने दैनिक जागरण संवाददाता से बातचीत में स्पष्ट किया कि सिरसा तो सिरफिरा है, ऐसा प्रतीत होता है कि जनसंघी लोगों के साथ रहते हुए उसका मानसिंक संतुलन बिगड गया है । सिख कौम को इसे गंभीरता से नहीं लेना चाहिए। वह तो शांतमय माहौल को खराब करने पर तुला है। वह इस बारे कोई अन्य टिप्पणी नहीं करना चाहते हैं।