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Guru Granth Sahib Prakash Utsav: मनाया जा रहा श्री गुरु ग्रंथ साहिब का 420वां प्रकाशोत्सव, पढ़िए क्या है इसका इतिहास

Guru Granth Sahib Prakash Utsav 2024 इस वर्ष श्री गुरु ग्रंथ साहिब का 420वां प्रकाशोत्सव पर्व मनाया जा रहा है। वर्ष 1604 में श्री गुरु ग्रंथ साहिब के प्रथम प्रकाश (उद्घाटन समारोह) की याद दिलाता है। इस दिन सिख समुदाय के लोग पूरी श्रद्धाभाव से श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की पूजा करते हैं। श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी का प्रकाशोत्सव कब मनाया जाता है और क्या है इसका इतिहास।

By Rajiv Mishra Edited By: Rajiv Mishra Updated: Wed, 04 Sep 2024 10:16 AM (IST)
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श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी का प्रकाशोत्सव (फाइल फोटो)

डिजिटल डेस्क, अमृतसर। श्री गुरु ग्रंथ साहिब प्रकाशोत्सव ( Guru Granth Sahib Prakash Utsav) पंजाबी कैलेंडर के अनुसार छठे महीने में तथा पश्चिमी कैलेंडर के अनुसार अगस्त या सितंबर महीने में मनाया जाता है। गुरु ग्रंथ साहिब प्रकाशोत्सव भाद्रपद महीने के अमावस्या को मनाया जाता है।

यह वर्ष 1604 में अमृतसर में नवनिर्मित स्वर्ण मंदिर में श्री गुरु ग्रंथ साहिब के प्रथम प्रकाश (उद्घाटन समारोह) की (History of Prakash Utsav) याद दिलाता है। श्री गुरु ग्रंथ साहिब में गुरुओं के बोले गए शब्द हैं। जिसे गुरबानी भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है 'गुरु के मुख से'।

गुरु ग्रंथ साहिब में 1430 पृष्ठ हैं। सिखों के 10वें श्री गुरु गोबिंद सिंह जी ने अपना शरीर त्यागने से पहले सिख कौम को आदेश दिया कि अब से उनके गुरु 'श्री गुरु ग्रंथ साहिब' ही हैं।

गुरु अर्जुन देव जी ने किया था पहला प्रकाशन

वर्ष 1604 में दरबार साहिब में सिखों के पांचवें गुरु श्री अर्जुन देव जी ने पहली बार गुरु ग्रंथ साहिब को प्रकाशित किया था। तब से हर साल श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी का प्रकाश गुरुपर्व पूरी धार्मिक श्रद्धा और सम्मान के साथ मनाया जाता है। इसे आदि ग्रंथ के नाम से जाना जाता है।

इसका दूसरा और अंतिम संस्करण श्री गुरु गोबिंद सिंह जी द्वारा लिखा गया था, और इसे वर्ष 1705 में दमदमा साहिब में अंतिम रूप दिया गया था।

गुरु अर्जुन देव जी का उपदेश

गुरु अर्जुन देव जी ने उपदेश दिया कि आदि ग्रंथ एक जहाज के समान है जो हमें इस सांसारिक महासागर को पार कराता है। जो कोई भी इसकी शिक्षाओं को सुनेगा, सुनाएगा, उसका पालन करेगा और उसके अनुसार कार्य करेगा वह आसानी से इस सांसारिक समुद्र को पार कर जाएगा।

गुरु अर्जुन साहिब जी ने गुरसिखों से कहा था वे गुरबानी का उनसे अधिक सम्मान करें। गुरबानी हमेशा उनके जीवन को प्रकाशित करने के लिए मौजूद रहेगी।

श्री गुरु ग्रंथ साहिब को गुरमुखी में लिखा गया है

गुरु ग्रंथ साहिब में ब्रज, संस्कृत, उर्दू सभी भाषाएं हैं, और गुरमुखी में इसे लिखा गया है। श्री गुरु ग्रंथ साहिब की शुरुआत पहले गुरु नानक देव जी ने अपने पवित्र भजनों के संग्रह के रूप में की थी। इस ग्रंथ बाद में कई अन्य गुरुओं ने इसमें कुछ और भी जोड़ा। सिखों का मानना ​​है कि गुरु ग्रंथ साहिब एक शाश्वत जीवित गुरु हैं।

प्रकाशोत्सव के दिन किया जाता है ये काम

  • गुरुद्वारा साहिब से नगर कीर्तन निकाला जाता है।
  • कथावाचक श्री गुरु ग्रंथ साहिब की शिक्षाओं पर प्रकाश डालते हुए उसके पालन का आह्वान करते हैं।
  • इस दिन धार्मिक रस्में तथा पूजा-अर्चना की जाती है।
  • श्री गुरु ग्रंथ साहिब को सुबह अरदास करके गुरुद्वारे के मुख्य कमरे में दर्शन के लिए लाया जाता है।
  • रात 8 बजे तक श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी का प्रकाश पर्व रहता है फिर अरदास करके उन्हें उनके स्थान पर विराजमान किया जाता है।

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