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उठापटक वाला रहा है अकाली दल का इतिहास, कई बार टूटा और एकजुट हुआ दल

14 दिसंबर, 1920 को शिरोमणि अकाली दल की स्थापना हुई थी। उसके बाद कई बार पार्टी में बिखराव हुआ, लेकिन पार्टी एकजुट भी हुई।

By Kamlesh BhattEdited By: Updated: Mon, 03 Dec 2018 01:53 PM (IST)
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उठापटक वाला रहा है अकाली दल का इतिहास, कई बार टूटा और एकजुट हुआ दल
अमृतसर [पंकज शर्मा]। अकाली दल से निष्कासित टकसाली नेताओं ने अलग दल के गठन की घोषणा की है। 14 दिसंबर, 1920 को शिरोमणि अकाली दल की स्थापना हुई थी। उसके बाद कई बार पार्टी में बिखराव हुआ, लेकिन पार्टी एकजुट भी हुई। सुखमुख सिंह झब्बाल अकाली दल के पहले और बाबा खड़क सिंह इसके दूसरे अध्यक्ष थे, लेकिन पार्टी के तीसरे अध्यक्ष मास्टर तारा सिंह के नेतृत्व में अकाली दल राजनीतिक तौर पर प्रसिद्ध हुआ। इसके बाद गोपाल सिंह कौमी, तारा सिंह ठेकेदार, तेजा सिंह, बाबू लाभ सिंह, ऊधम सिंह नागोके, ज्ञानी करतार सिंह, प्रीतम सिंह गुजरां, हुकम सिंह, फतेह सिंह, अच्छर सिंह, भूपिंदर सिंह, मोहन सिंह तुड़, जगदेव सिंह तलवंडी, हरचरण सिंह लोंगोवाल, सुरजीत सिंह बरनाला, सिमरनजीत सिंह मान, प्रकाश सिंह बादल और अब सुखबीर सिंह बादल पार्टी के 21वें अध्यक्ष हैं।

1984 में दो गुटों में बंट गई थी पार्टी

ऐसा नहीं है कि शिअद में गुटबंदी नहीं हुई। एक बार तो संत लोंगोवाल के बाद ऐसा वक्त भी आया था, जब अकाली दल कई धड़ों में बंट गया था। वर्ष 1920 में बना अकाली दल वर्ष 1984 में दो गुटों अकाली दल लोंगोवाल और अकाली दल यूनाइटेड में विभाजित हो गया। लोंगोवाल ग्रुप का नेतृत्व संत हरचरण सिंह लोंगोंवाल के पास था, जबकि यूनाइटेड अकाली दल का नेतृत्व बाबा जोगिंदर सिंह ने संभाला।

20 अगस्त, 1985 में लोंगोंवाल की मौत के बाद सुरजीत सिह बरनाला ने इसका नेतृत्व संभाला। 8 मई, 1986 में शिअद अकाली दल बरनाला और अकाली दल बादल में विभाजित हो गया। वर्ष 1987 में अकाली दल तीन धड़े हो गए। इसमें बरनाला ग्रुप, बादल ग्रुप और जोगिंदर सिंह ग्रुप सक्रिय थे। 5 फरवरी 1987 को बादल दल, यूनीफाइड अकाली दल सिमरनजीत सिंह मान ग्रुप और जोगिंदर सिंह ग्रुप एकजुट हो गया। 15 मार्च, 1989 में अकाली दल लोंगोवाल, अकाली दल मान और अकाली दल जगदेव सिहं तलवंडी अपनी गतिविधियों अलग-अलग चलाते रहे।

मान ने बनाया अकाली दल अमृतसर

अकाली दल के सिरमनजीत सिंह मान ने आनंदपुर का प्रस्ताव अपने तौर पर अलग से पेश करके अकाली दल अमृतसर का गठन कर लिया। यह आज भी सक्रिय है। इसी तरह एक समय था जब जसबीर सिंह रोडे और उनके साथियों ने अकाली दल पंथक का गठन कर लिया। जो लंबे समय तक काम न कर पाया। समय के साथ एसजीपीसी के सबसे लंबे समय तक अध्यक्ष रहे गुरचरन सिंह टोहरा ने अकाल इंडिया अकाली दल का गठन कर लिया। यह भी अधिक समय तक न चल सका।

जब अकाली नेता कुलदीप सिंह वडाला को बादल ने नजरअंदाज करना शुरू कर दिया तो उन्होंने अकाली दल वडाला का गठन किया। अकाली दल के वरिष्ठ नेता जत्थेदार उमरानंगल की विचारधारा बादल ग्रुप के साथ नहीं मिलती थी, इसलिए उन्होंने अलग से अकाली दल जगत उर्फ अकाली दल उमरानंगल का गठन किया था। जब तक वह जीवित रहे वह अपने इस ग्रुप के अध्यक्ष रहे।

आतंकवाद के दौर में भी बने दो धड़े

आतंकवाद के दौरान अकाली दल महंत भी बना, जो निर्दोष हिंदुओं की हत्याएं किए जाने के खिलाफ आवाज उठाता था। तब शिरोमणि अकाली दल बब्बर का भी गठन हुआ। यह बब्बर खालसा के राजनीतिक विंग के रूप में जाना जाता था। इस दौर के बाद पंथक कमेटी के मुखी वस्सन सिंह जफरवाल मुख्य धारा में शामिल हुए तो उन्होंने अकाली दल जफरवाल का गठन किया था। बाद में जफरवाल यूनाइटेड अकाली दल में शामिल हो गए। इसका नेतृत्व इस वक्त भाई मोहकम सिंह के पास है। आज भी यूनाइटेड अकाली दल अलग-अलग पंथक मुद्दों पर आवाज उठा रहा है। इसी तरह इस वक्त अकाली दल का एक स्वतंत्र ग्रुप भी है।

दिल्ली गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के पूर्व अध्यक्ष परजीत सिंह सरना ने अकाली दल पंथक बनाया है। दिल्ली के ही कुछ नेताओं ने अकाली दल नेशनल का गठन किया। पूर्व कैबिनेट मंत्री अकाली नेता रवि इंद्र सिंह ने भी अलग अकाली दल बनाया है। इसका नाम अकाली दल 1920 है। इस अकाली दल के नाम पर आज भी कभी-कभी अलग-अलग मुद्दों पर बयान आते हैं।

हरियाणा में बना शिरोमणि अकाली दल जनता

हरियाणा से एसजीपीसी के सदस्य रहे जगदीश सिंह झींडा ने भी कुछ वर्ष पहले बादल ग्रुप से बागी होकर यहां अलग हरियाण सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी का प्रस्ताव तत्कालीन हरियाणा विधानसभा से पास करवाया और हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी का गठन किया। वहीं उन्होंने अमृतसर में आकर अकाल तख्त साहिब पर अरदास करते हुए शिरोमणि अकाली दल जनता का भी गठन किया।

विदेश में भी अलग-अलग गुट

अब टकसाली अकाली नेताओं ने बादल ग्रुप की कथित नीतियों से तंग आकर 14 दिसंबर को एक नए असली अकाली दल का गठन करने का फैसला लिया है। इसी तरह अलग-अलग अकाली दल विदेशों में भी काम कर रहे हैं।

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