भगतांवाला में कूड़े को खत्म करने में ढिलाई पर एनजीटी की टीम ने निगम और कंपनी को लगाई फटकार
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की टीम मंगलवार को शहर पहुंची।
By JagranEdited By: Updated: Wed, 24 Aug 2022 06:59 AM (IST)
जासं, अमृतसर: नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की टीम मंगलवार को शहर पहुंची। इस दौरान टीम ने भगतांवाला में कूड़े के पहाड़ को खत्म करने (बायोरेमेडिएशन) में अपनाई जा रही ढीली चाल और वेस्ट टू एनर्जी प्लांट नहीं लगाने पर नगर निगम और कंपनी की जमकर क्लास लगाई।
एनजीटी की निगरानी समिति के अध्यक्ष पूर्व जस्टिस जसबीर सिंह ने निर्देश दिए कि शहर के भगतांवाला डंप में लगे कूड़े की बायोरिमेडिएशन का काम हर हाल में सितंबर 2023 तक खत्म किया जाए और वेस्ट टू एनर्जी प्लांट लगाने के लिए भी जून 2024 की डेडलाइन उन्हें दे दी है। पूर्व जस्टिस जसबीर सिंह ने सालिड वेस्ट मैनेजमेंट (एसडब्ल्यूएम) की परियोजनाओं, सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट, कामन एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट (सीईटीपी), सोर्स सेग्रीगेशन के साथ-साथ अन्य कामों की धीमी गति पर नाराजगी व्यक्त की। साथ हीअधिकारियों को समय पर काम पूरा करने का निर्देश दिए। वह मंगलवार को भगतांवाला स्थित कूड़े के डंप के विषय में बायोरेमेडिएशन के अटके काम के कारणों को जानने के मकसद से पहुंचे थे। उन्होंने भगतांवाला कूड़े के डंप पर बने कूड़े के पहाड़ को खत्म करने के लिए काम कर रही कंपनी से पूछा, तो कंपनी के डायरेक्टर अमित बाजपेई ने दावा करते हुए कहा कि सितंबर 2023 तक डंप में पूरी तरह बायोरेमेडिएशन हो जाएगी। वर्तमान में वहां लगभग सात लाख मीट्रिक टन कूड़ा बचा हुआ है। पिछले लंबे समय से बायोरेमेडिएशन न होने पर कंपनी को फटकार भी लग चुकी है। कंपनी की तरफ से चारदीवारी के साथ-साथ दो एकड़ जगह पर कंपोस्ट पैड बनाने का मुद्दा उठाने पर इसे भी नगर निगम द्वारा शीघ्र पूरा करवाने की सहमति जताई गई। डंप में अप्लाई करने के बावजूद अब तक बिजली का कनेक्शन नहीं मिला है। इस पर डिप्टी कमिश्नर हरप्रीत सिंह सूदन ने पावरकाम के एक्सईएन मनदीप सिंह को इसे निर्धारित समय में बिजली का कनेक्शन मुहैया करवाने को कहा। डंप में लीचिट ट्रीटमेंट प्लांट भी कंपनी को शीघ्र लगाने के आदेश दिए गए हैं। एनजीटी की टीम ने अपनी रिपोर्ट में प्रत्येक परियोजना की टेंडर से लेकर चल रहे काम की निगरानी करने के लिए नगर निगम के अधिकारियों को निर्देश जारी किए और किसी भी तर ही लापरवाही न बरतने की बात कही। टीम के समय-समय पर भगतांवाला डंप पर चल रहे काम की औचक चेकिग करने की चेतावनी भी दी। इस मौके पर डिप्टी कमिश्नर (डीसी) हरप्रीत सिंह सूदन, एडीसी सुरिदर सिंह, चीफ इंजीनियर गुरिदर सिंह मजीठिया, एक्सईएन हरपाल सिंह, जिला वन विभाग के अधिकारी राजेश गुलाटी, नगर निगम के संयुक्त कमिश्नर (जेसी) हरदीप सिंह आदि मौजूद थे। घरों से गीला-सूखा कूड़ा अलग-अलग करवाएं, वरना जुर्माना लगाएं टीम की तरफ से जिले में कूड़े की सेग्रीगेशन के लिए शहरवासियों को भी अपील की गई कि गीला और सूखा कूड़ा अलग-अलग करके ही घरों में रखे और कूड़ा उठाने वालों को भी अलग-अलग कचरा दें। यदि ऐसा न हुआ, तो जुर्माना लगाने का प्रविधान भी किया जाए। इसके साथ ही साथ मेडिकल वेस्ट का प्रबंधन अलग से करने के लिए सलाह दी। बल्क वेस्ट जनरेट करने के लिए कंपनी द्वारा पूरी तरह मुकम्मल प्रबंध करने होंगे व जिन संस्थानों से बल्क वेस्ट निकलता है, कंपनी को उन संस्थानों के साथ एग्रीमेंट करने के लिए निर्देश जारी किए। इसके लिए दिसंबर 2022 तक की अवधि निर्धारित की गई। भगतांवाला डंप सहित अन्य स्थानों पर सीसीटीवी के जरिए निगरानी करें
यहीं नहीं अधिकारी ने कहा कि भगतांवाला डंप सहित काम वाली जगहों पर सीसीटीवी कैमरे लगवाकर चल रहे काम की मुकम्मल निगरानी हो और रोजाना के होने वाली काम की रिपोर्ट बनाई जाए। घर-घर कूड़ा एकत्रित करने वाली गाड़ियों में एक अलग से बाक्स लगाया जाना चाहिए, जिसमें इलेक्ट्रानिक उपकरण एकत्रित किए जाने चाहिए। नगर निगम के अधिकारियों से शहर के भीतर दिन में कम से कम दो बार हाथ से सफाई सुनिश्चित करने के आदेश भी दिए हैं। स्मार्ट सिटी के तहत कुछ जगहों को पहले से चिन्हित किया जाए, जहां मृत पशुओं को दफनाया जा सके। निर्माण कार्यो में ट्रीटमेंट पानी का प्रयोग करवना सुनिश्चित करें पूर्व जस्टिस जसबीर सिंह ने कहा कि गिरता भूजल स्तर भी चिता का विषय है। उन्होंने कहा कि निर्माण कार्य में भू-जल के उपयोग पर रोक है। इसके लिए लोगों को निश्चित तौर पर ट्रीटमेंट पानी की आपूर्ति की संभावना तलाशी जानी चाहिए, ताकि बहुमूल्य प्राकृतिक संसाधनों को बचाया जा सके।निर्माण कार्यों के लिए उचित मूल्य पर उपचारित जल उपलब्ध करवाने से न केवल हमारी आने वाली पीढि़यों के लिए भूजल संरक्षण में मदद मिलेगी बल्कि नगर निगमों के साथ-साथ परिषदों के राजस्व में भी वृद्धि होगी। शहर को कूड़ा मुक्त बनाने में चुनौतियां
-कूड़े की सेग्रीगेशन का मुकम्मल न होना। -मरे हुए जानवरों को भगतांवाला डंप पर फेंकना। -बायोरेमेडिएशन का काम धीमी गति से चलना। -वेतन न मिलने की वजह से आए दिन मुलाजिमों की हडताल।
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