अमृतसर से पूर्व ब्यूरोक्रेट को उतारने की तैयारी में भाजपा, अमेरिका में रहे भारत के राजदूत; जानिए इनके बारे में सबकुछ
लोकसभा चुनाव में कुछ ही दिनों का समय बचा है। ऐसे में हर दल अब उम्मीदवार फाइनल करने में लगा है। इसी को देखते हुए भाजपा पंजाब की अमृतसर सीट से पूर्व ब्यूरोक्रेट तरनजीत सिंह को टिकट देने पर विचार कर रही है। बता दें बीजेपी काडर पर भरोसे के बजाय सेलिब्रिटी और ब्यूरोक्रेट को टिकट देती रही है। इस सीट से नवजोत सिंह सिद्धू दो बार सांसद रहे हैं।
इन्द्रप्रीत सिंह, चंडीगढ़। लोकसभा चुनाव (Loksabha Election 2024) में भाजपा (BJP) अमृतसर सीट (Amritsar seat) से अपने काडर पर भरोसा करने के बजाय सेलिब्रिटी या पूर्व ब्यूरोक्रेट को ही टिकट देती रही है। अमृतसर से अब एक बार फिर पूर्व ब्यूरोक्रेट तरनजीत सिंह संधू ( Taranjit Singh Sandhu) को टिकट देने की चर्चा चल रही है। वह अमेरिका में भारत के राजदूत रहे हैं। वह हाल ही में सेवानिवृत्त हुए हैं।
अमृतसर सीट से नवजोत सिद्धू रह चुके सांसद
उनका परिवार लंबे समय से अमृतसर में रह रहा है। संधू इन दिनों अमृतसर पहुंच चुके हैं। माना जा रहा है कि भाजपा उन्हें अमृतसर से संसदीय चुनाव के लिए उतार सकती है। अमृतसर सीट पर वर्ष 2004 में कांग्रेस के गढ़ को तोड़ने के लिए पार्टी ने पहली बार तबके प्रसिद्ध क्रिकेटर नवजोत सिद्धू (Navjot Sidhu) को मैदान में उतारा था।सिद्धू ने कांग्रेस के अजेय कहे जाने वाले रघुनंदन लाल भाटिया को एक लाख से ज्यादा वोट से हराया था। उसके बाद यह सीट रोडरेज के चक्कर में नवजोत सिद्धू को छोड़नी पड़ी। जब उन्होंने उपचुनाव लड़ा तो वह फिर से जीतने में कामयाब हो गए, लेकिन उनकी जीत का मार्जिन चालीस हजार वोट ही रह गया।
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2009 में हुए संसदीय चुनाव में भजपा को इसी सीट पर मिली थी जीत
वर्ष 2009 में हुए संसदीय चुनाव में भाजपा (Punjab BJP) को सिर्फ एक ही सीट अमृतसर पर जीत मिली थी। यह जीत नवजोत सिद्धू ने दिलाई थी। सिद्धू का मार्जिन इस बार आठ हजार के लगभग ही रह गया था। बिक्रम मजीठिया जो इस समय उनके बहुत बड़े प्रतिद्वंद्वी हैं, उनके दम पर ही सिद्धू संसद में पहुंच पाए थे।
सिद्धू वर्ष 2004 से 2014 तक अमृतसर से सांसद रहे। वर्ष 2014 में पार्टी ने अरुण जेटली पर दांव आजमाया, लेकिन वह चुनाव हार गए। वर्ष 2019 में पार्टी ने सीनियर ब्यूरोक्रेट रहे हरदीप पुरी को चुनाव मैदान में उतारा, लेकिन वह भी अपनी जीत सुनिश्चित नहीं कर पाए और कांग्रेस के गुरजीत औजला से चुनाव हार गए थे।
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