सिख रेफरेंस लाइब्रेरी का मुद्दा गर्माया, SGPC ने कहा- सेना ने पूरा सामान नहीं लाैटाया
ऑपरेशन ब्लू स्टार के बाद सेना द्वारा लाैटाए गए सिख रेफरेंस लाइब्रेरी का सामान गायब होने का मुद्दा और गर्माया गया है। एसजीपीसी ने इस मामले की जांच कराने का फैसला किया है।
By Sunil Kumar JhaEdited By: Updated: Fri, 14 Jun 2019 08:47 AM (IST)
अमृतसर, जेएनएन। ऑपरेशन ब्लू स्टार के बाद सेना द्वारा लाैटाए गए सिख रेफरेंस लाइब्रेरी का सामान गायब होने का मुद्दा गर्माया गया है। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) के मुख्य सचिव डॉ. रूप सिंह ने कहा कि जून 1984 के दौरान श्री हरिमंदिर साहिब पर की गई कार्रवाई के दौरान सेना ने सिख रेफरेंस लाइब्रेरी का जो समान कब्जे में लिया था, वह पूरा नहीं लौटाया गया है। इसके साथ ही उन्होंने मामले की एसजीपीसी द्वारा उच्चस्तरीय जांच कराने की घोषणा भी की।
डॉ. रूप सिंह ने कहा- वर्ष 1984 में कब्जे में लिए 512 में से 205 हस्त लिखित स्वरूप ही वापस मिले इस संबंध में वीरवार को एसजीपीसी कार्यालय में बैठक हुई। इसकी अध्यक्षता डाॉ. रूप सिंह ने की। बैठक के बाद डॉ. रूप सिंह ने कहा कि जून 1984 के दौरान श्री हरिमंदिर साहिब पर की गई कार्रवाई के दौरान सेना ने सिख रेफरेंस लाइब्रेरी का सामान कब्जे में लिया था। इसके बाद पूरा सामान नहीं लौटाया गया है। वर्ष 1984 में कब्जे में लिए 512 में से 205 हस्त लिखित स्वरूप ही वापस मिले। उन्होंने कहा कि एसजीपीसी पिछले 35 वर्षों से पत्र लिखकर सारा सामान वापस लेने की मांग करती आ रही है, लेकिन मीडिया के माध्मय से सामने आया है कि सेना ने सारा सामान एसजीपीसी को लौटा दिया है।
बैठक में एसजीपीसी की लाइब्रेरी से संबंधित मौजूदा व पूर्व अधिकारियों शमिल हुए। यह बैठक एसजीपीसी के अध्यक्ष गोबिंद सिंह लोंगोवाल के आदेश पर बुलाई गई थी। बैठक की ऑडियो और वीडियो रिकॉर्डिंग भी की गई। इसमें 21 मौजूदा व पूर्व अधिकारी शामिल हुए। बैठक में पूर्व अधिकारियों के साथ विस्तार से चर्चा की गई। सिख रेफरेंस लाइब्रेरी के पूर्व डायरेक्टर डॉ. अनुराग सिंह की ओर से इस संबंध में सूचियां मुहैया करवाई गईं। बैठक में सेना द्वारा एसजीपीसी को लौटाए गए सामान की जांच पड़ताल की गई। इस दौरान उन स्वरूपों के बारे में भी चर्चा की गई जिनके संबंध में कहा जाता है कि वे विदेश में बेच दिए गए हैं।यह भी पढ़ें: नवजोत सिद्धू बने 'पहेली' और टेंशन में कांग्रेस व सरकार, गुरु की चुप्पी से सियासी
बता दें कि आरोप लगाए जा रहे हैं कि सेना द्वारा लौटाए जाने के बाद काफी पावन व अन्य वस्तुएं विदेश में बेच दी गईं। मीटिंग के बाद डाॅ. रूप सिंह ने कहा कि सारे मामले की उच्चस्तरीय जांच करवाई जाएगी। इसके लिए जांच कमेटी का एलान एसजीपीसी के अध्यक्ष एक या दो दिनों में कर देंगे। उन्होंने कहा कि जो सामान गुम हुआ है उस सामान के संबंध में भी यही कमेटी जांच करेगी। जो भी दोषी होगा, उसके खिलाफ कानून के अनुसार कार्रवाई की जाएगी।उन्होंने कहा कि अगर मीडिया में आए तथ्य गलत पाए गए तो मीडिया के खिलाफ भी कानूनी कार्रवाई करवाएंगे। डा. रूप सिंह ने कहा कि मामले की गंभीरता से जांच होगी। यह मामला अति संवेदनशील है, इसलिए इस पर गलब बयानबाजी नहीं की जानी चाहिए।
डाॅ. रूप सिंह ने कहा कि सिर्फ यह सामान लौटाया गया-
- श्री गुरु ग्रंथ साहिब के 205 हस्त लिखित स्वरूप।
- 807 अलग-अलग पुस्तकें।
- एक हुक्मनामा और कुछ अखबारें।
डॉ. रूप सिंह के अनुसार यह सामान नहीं मिला-
- श्री गुरु ग्रंथ साहिब के 307 हस्त लिखित स्वरूप।
- 11107 पुस्तकें और बड़ी संख्या में अखबारें।
कुल 512 हस्त लिखित स्वरूप थे
एसजीपीसी के रिकॉर्ड के अनुसार जून 1984 से पहले लाइब्रेरी में 512 श्री गुरु ग्रंथ साहिब के हस्त लिखित स्वरूप व 12617 महत्वपूर्ण पुस्तकें थीं। डॉ. रूप सिंह ने कहा कि मीडिया में आए समाचारों व डॉ. अनुराग सिंह की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार सामान वापस आया है, तो श्री गुरु ग्रंथ साहिब के 307 हस्त लिखित स्वरूप और 11,107 पुस्तकें एसजीपीसी के पास नहीं पहुंची हैं। एसजीपीसी के अनुसार यह किसी भी तरह स्वीकार नहीं किया जा सकता कि सारा समान वापस आ गया है।
सरकार को 85 बार लिखे सामान वापसी के लिए पत्र
डॉ. रूप सिंह ने कहा कि पूरा सामान वापस करने के लिए एसजीपीसी अभी तक 85 बार सरकार को पत्र लिख चुकी है। अलग-अलग समय में एसजीपीसी के प्रतिनिधिमंडल भी केंद्र सरकार से संपर्क करते रहे हैं। एक साजिश के तहत एसजीपीसी को बदनाम किया जा रहा है। इन बातों से किसी भी तरह कांग्रेस को दोषमुक्त नहीं किया जा सकता।
बेचे गए स्वरूपों की करवाएंगे जांच, कमेटी का एलान जल्द
डॉ. रूप सिंह ने कहा कि मीडिया में जो चर्चा चल रही है कि गुरु ग्रंथ साहिब के हस्त लिखित स्वरूप बढ़ी कीमत पर बेच दिए गए हैं, उसकी भी जांच करवाई जाएगी। जांच कमेटी का एलान एसजीपीसी के अध्यक्ष जल्द करेंगे। इसमें पूर्व व मौजूदा एसजीपीसी अधिकारियों को शामिल किया जाएगा। इसमें एसजीपीसी के ट्रस्ट के अधिकारी, हस्त लिखित ग्रंथों के माहिर व कानूनी विशेषज्ञ शामिल किए जाएंगे।यह भी पढ़ें: जल्दी में है सरकार, तड़ातड़ होंगी भर्तियां, हो जाएं तैयार और रखें इन खास बातों का ध्यान उन्होंने स्पष्ट किया कि 1984 के बाद आज तक एसजीपीसी के 17 सचिव, 18 लाइब्रेरी इंचार्ज, दो डायरेक्टर और आठ लाइब्रेरियन भी सेवा निभा चुके हैं। अगर लाइब्रेरी का सारा समान वापस आ गया था, तो इन अधिकारियों की नजर इस पर क्यों नहीं पड़ी। डॉ. रूप ङ्क्षसह ने बताया कि सिख रेफरेंस लाइब्रेरी का दोबारा विस्तार किया गया है। मौजूदा रिकॉर्ड के अनुसार इसमें 24,999 पुस्तकें, 576 हस्त लिखित स्वरूप, 1398 हस्त लिखित पोथियां मौजूद हैं।सिख रेफरेंस लाइब्रेरी से सामान कब्जे में लिए जाने के बाद 35 साल बाद बनी लिस्ट
बता दें कि सिख रेफरेंस लाइब्रेरी से सेना द्वारा कब्जे में लिए सामान को लौटाने के बाद उसके गायब होने का विवाद गहराता जा रहा है। बैठक में उन पुरानी फाइलों को भी पेश किया गया, जिनमें सामान लौटाने का रिकॉर्ड दर्ज है। यह रिकॉर्ड भी चेक किया जा रहा है कि सेना ने सामान किसे लौटाया और बाद में किसे इसकी देखभाल करने को कहा गया था। इस सामान को किन-किन अधिकारियों ने कब-कब खोलकर देखा और कौन सा सामान पूरा था और कौन का क्षतिग्रस्त था। यह है मामला अमित शाह ने मांगे थे दस्तावेज
बता दें कि छह जून को शिअद अध्यक्ष सुखबीर बादल व अन्य नेताओं ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मिलकर मांग की थी कि ऑपरेशन ब्लू स्टार के समय सेना ने जो कीमती सामान (दस्तावेज, खरड़े, हस्तलिखित पोथियां) कब्जे में लिया था, उसे लौटाया जाए। उसके बाद सेना ने स्थिति स्पष्ट की थी कि उनके पास कोई सामान नहीं है। 1984 के बाद सात किस्तों में एसजीपीसी को सारा सामान लौटा दिया गया। यह भी पढ़ें: घर-घर पहुंच रहा मीठा जहर और कहीं आप भी तो नहीं हो रहे शिकार, ऐसे टूट रहा कहरउसके बाद पंथक पार्टियों ने आरोप लगाए कि एसजीपीसी ने विदेशों में अहम दस्तावेज बेच दिए हैं। मंगलवार को इस मामले में अमित शाह ने भी शिरोमणि अकाली दल से उस सामान की सूची मांग डाली जिसे अभी तक लौटाया नहीं गया और जिसे हर बार एसजीपीसी व शिअद सेना से मांगती आ रही है। लेकिन एसजीपीसी के पास न तो कोई रिकॉर्ड है और न ही सूची की कौन सा सामान नहीं मिला और कौन सा सेना ने लौटा दिया। उसी को लेकर बैठक बुलाई गई।
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- श्री गुरु ग्रंथ साहिब के 205 हस्त लिखित स्वरूप।
- 807 अलग-अलग पुस्तकें।
- एक हुक्मनामा और कुछ अखबारें।
डॉ. रूप सिंह के अनुसार यह सामान नहीं मिला-
- श्री गुरु ग्रंथ साहिब के 307 हस्त लिखित स्वरूप।
- 11107 पुस्तकें और बड़ी संख्या में अखबारें।
कुल 512 हस्त लिखित स्वरूप थे
एसजीपीसी के रिकॉर्ड के अनुसार जून 1984 से पहले लाइब्रेरी में 512 श्री गुरु ग्रंथ साहिब के हस्त लिखित स्वरूप व 12617 महत्वपूर्ण पुस्तकें थीं। डॉ. रूप सिंह ने कहा कि मीडिया में आए समाचारों व डॉ. अनुराग सिंह की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार सामान वापस आया है, तो श्री गुरु ग्रंथ साहिब के 307 हस्त लिखित स्वरूप और 11,107 पुस्तकें एसजीपीसी के पास नहीं पहुंची हैं। एसजीपीसी के अनुसार यह किसी भी तरह स्वीकार नहीं किया जा सकता कि सारा समान वापस आ गया है।
सरकार को 85 बार लिखे सामान वापसी के लिए पत्र
डॉ. रूप सिंह ने कहा कि पूरा सामान वापस करने के लिए एसजीपीसी अभी तक 85 बार सरकार को पत्र लिख चुकी है। अलग-अलग समय में एसजीपीसी के प्रतिनिधिमंडल भी केंद्र सरकार से संपर्क करते रहे हैं। एक साजिश के तहत एसजीपीसी को बदनाम किया जा रहा है। इन बातों से किसी भी तरह कांग्रेस को दोषमुक्त नहीं किया जा सकता।
बेचे गए स्वरूपों की करवाएंगे जांच, कमेटी का एलान जल्द
डॉ. रूप सिंह ने कहा कि मीडिया में जो चर्चा चल रही है कि गुरु ग्रंथ साहिब के हस्त लिखित स्वरूप बढ़ी कीमत पर बेच दिए गए हैं, उसकी भी जांच करवाई जाएगी। जांच कमेटी का एलान एसजीपीसी के अध्यक्ष जल्द करेंगे। इसमें पूर्व व मौजूदा एसजीपीसी अधिकारियों को शामिल किया जाएगा। इसमें एसजीपीसी के ट्रस्ट के अधिकारी, हस्त लिखित ग्रंथों के माहिर व कानूनी विशेषज्ञ शामिल किए जाएंगे।यह भी पढ़ें: जल्दी में है सरकार, तड़ातड़ होंगी भर्तियां, हो जाएं तैयार और रखें इन खास बातों का ध्यान उन्होंने स्पष्ट किया कि 1984 के बाद आज तक एसजीपीसी के 17 सचिव, 18 लाइब्रेरी इंचार्ज, दो डायरेक्टर और आठ लाइब्रेरियन भी सेवा निभा चुके हैं। अगर लाइब्रेरी का सारा समान वापस आ गया था, तो इन अधिकारियों की नजर इस पर क्यों नहीं पड़ी। डॉ. रूप ङ्क्षसह ने बताया कि सिख रेफरेंस लाइब्रेरी का दोबारा विस्तार किया गया है। मौजूदा रिकॉर्ड के अनुसार इसमें 24,999 पुस्तकें, 576 हस्त लिखित स्वरूप, 1398 हस्त लिखित पोथियां मौजूद हैं।सिख रेफरेंस लाइब्रेरी से सामान कब्जे में लिए जाने के बाद 35 साल बाद बनी लिस्ट
बता दें कि सिख रेफरेंस लाइब्रेरी से सेना द्वारा कब्जे में लिए सामान को लौटाने के बाद उसके गायब होने का विवाद गहराता जा रहा है। बैठक में उन पुरानी फाइलों को भी पेश किया गया, जिनमें सामान लौटाने का रिकॉर्ड दर्ज है। यह रिकॉर्ड भी चेक किया जा रहा है कि सेना ने सामान किसे लौटाया और बाद में किसे इसकी देखभाल करने को कहा गया था। इस सामान को किन-किन अधिकारियों ने कब-कब खोलकर देखा और कौन सा सामान पूरा था और कौन का क्षतिग्रस्त था। यह है मामला अमित शाह ने मांगे थे दस्तावेज
बता दें कि छह जून को शिअद अध्यक्ष सुखबीर बादल व अन्य नेताओं ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मिलकर मांग की थी कि ऑपरेशन ब्लू स्टार के समय सेना ने जो कीमती सामान (दस्तावेज, खरड़े, हस्तलिखित पोथियां) कब्जे में लिया था, उसे लौटाया जाए। उसके बाद सेना ने स्थिति स्पष्ट की थी कि उनके पास कोई सामान नहीं है। 1984 के बाद सात किस्तों में एसजीपीसी को सारा सामान लौटा दिया गया। यह भी पढ़ें: घर-घर पहुंच रहा मीठा जहर और कहीं आप भी तो नहीं हो रहे शिकार, ऐसे टूट रहा कहरउसके बाद पंथक पार्टियों ने आरोप लगाए कि एसजीपीसी ने विदेशों में अहम दस्तावेज बेच दिए हैं। मंगलवार को इस मामले में अमित शाह ने भी शिरोमणि अकाली दल से उस सामान की सूची मांग डाली जिसे अभी तक लौटाया नहीं गया और जिसे हर बार एसजीपीसी व शिअद सेना से मांगती आ रही है। लेकिन एसजीपीसी के पास न तो कोई रिकॉर्ड है और न ही सूची की कौन सा सामान नहीं मिला और कौन सा सेना ने लौटा दिया। उसी को लेकर बैठक बुलाई गई।
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