16 साल के करणबीर ने बचाई 15 की जान, अब पीएम मोदी से मिलेगा सम्मान
16 साल के करणबीर ने ऐसा कुछ कर दिखाया जो बड़े-बड़े नहीं कर सकते। उसने स्कूल बस के नाले में गिर जाने के बाद 15 बच्चों की जान बचाई। पीएम मोदी उसे राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार से देंगे।
अमृतसर, [ रविंदर शर्मा]। ताकत और हौसला उम्र का मोहताज नहीं होता। बस इरादा मजबूत हो तो किसी भी उम्र में बड़े से बड़े काम को अंजाम दिया जा सकता है। ये कहानी ऐसे ही मजबूत इरादे वाले करणबीर की है। अमृतसर के सीमांत गांव गल्लूवाल के 16 वर्षीय करणबीर सिंह ने डिफेंस ड्रेन के कीचड़ भरे गंदे नाले में स्कूल बस के गिर जाने पर 15 बच्चों की जान बचाई। करणबीर सिंह को कल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सम्मानित करेंगे। करीब डेढ़ साल पहले हुए इस हादसे में बच्चों की जान बचाने वाले करणबीर को बहादुरी पुरस्कार मिलने की खुशी तो है लेकिन साथ ही इस बात का दुख भी है कि वह कई बच्चों को नहीं बचा पाया।
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करणबीर ने यह बातें दिल्ली में इंडियन आर्मी चीफ विपन रावत द्वारा सम्मानित किए जाने के बाद जागरण के साथ फोन पर बातचीत में अपनी भावनाएं व्यक्त कीं। गणतंत्र दिवस से दो दिन पहले करणबीर को तृतीय स्तर के संजय चोपड़ा अवार्ड से सम्मानित किया जाएगा। नई दिल्ली स्थित इंडियन काउंसिल आफ चाइल्ड वेल्फेयर के निमंत्रण पर वह अपनी माता कुलविंदर कौर और पिता देवेंद्र सिंह संधू के साथ दिल्ली में केंद्र सरकार का मेहमान है।
इस बस में छह साल से लेकर 16 साल तक के बच्चे सवार थे। बस के कीचड़ में धंस जाने से बच्चों का दम घुटने लगा। इसी बस में सवार 11वीं कक्षा का करणबीर और उसकी छोटी बहन भी सवार थे। कीचड़ में धंस रही बस में अपनी जान की परवाह किए बिना करणबीर ने छोटे बच्चों को बाहर निकालना शुरू कर दिया। इस बीच बस का चालक वहां से फरार हो गया, मगर इस जांबाज बच्चे ने अकेले ही दम पर साथी बच्चों को बस से बाहर निकालने का काम जारी रखा। एक-एक कर अपनी छोटी बहन सहित 15 बच्चों को बाहर सुरक्षित निकालने में कामयाब रहा। करणबीर इस दौरान खुद भी गंभीर रूप से जख्मी हो गया था।
सीमावर्ती गांव गल्लूवाल के रहने वाले और नेष्टा स्थित एमके डीएवी पब्लिक स्कूल के छात्र करणबीर ने बताया कि 20 सितंबर 2016 की दोपहर वह जिंदगी भर नहीं भूल पाएगा। उस दिन स्कूल से छुट्टी हुई और उसके समेत करीब 35-40 विद्यार्थियों को चालक स्कूल बस में गांव मुहावा की तरफ चल पड़ा। हालांकि उसका गांव मुहावा से पहले आता था लेकिन बस का चालक मुहावा के बच्चों को पहले उतारने के बाद उसे तंग पुली वाला गंदा नाला पार करके उतारता था।
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उसने बताया कि उस दिन स्कूल से चल कर मुहावा की तंग पुल से निकल कर मुहावा की तरफ जाने लगी तो वह सीधी गहरे गंदे नाले में गिर गई। तंग पुली पर कोई ग्रिल या रेलिंग नहीं होने के कारण बस सीधे 10 फीट गहरे नाले में गिर गई। करणबीर ने बताया कि क्योंकि वह ज्यादातर बच्चों से बड़ा था तो उसने खुद को संभाला और बस के चालक के साथ मिलकर छोटे बच्चों को बाहर निकालने लगा। तभी बस का चालक वहां से फरार हो गया तो उसने अकेले ही बच्चों को नाले के अंदर बस में से बच्चों को बचा कर लाने का काम जारी रखा।
उसने बताया कि नाले के अंदर से बस में फंसे करीब 15 बच्चों को बाहर निकाल लाया और इस दौरान वह खुद भी बुरी तरह से जख्मी हो गया। हादसे में सात बच्चों की मौत हो गई। करणबीर का कहना है कि घटना के वक्त उसने अपना फर्ज और धर्म निभाया था, जिसे सरकार बहादुरी का काम कहती है।
घटना के प्रत्यक्षदर्शी मुहावा निवासी कुलबीर सिंह कुछ देर बाद इसी राह से गुजरे। वह बताते हैं, मैंने देखा कि स्कूल बस कीचड़ में जा धंसी थी और करणबीर बच्चों को बाहर निकालने में जुटा था। मैंने उसकी मदद की और गाड़ी मंगवा कर घायल बच्चों को छेहर्टा अस्पताल पहुंचाया। यह हादसा इतना दर्दनाक था कि इसकी याद करके आज भी रोंगटे खड़े हो जाते हैं। इस घटना में सात बच्चों की जान गई थी।
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पुलिस अधिकारी बनना चाहता है करणबीर
करणबीर का कहना है कि मेरे पिता का सपना है कि मैं पढ़-लिख कर पुलिस अधिकारी बनूं और लोगों की सेवा करूं। वह बताता है कि पिता ने ही उसे लोगों की मदद करने की सीख दी है। करणबीर के पिता देवेंद्र संधू खेतीबाड़ी कर अपने परिवार का पालन-पोषण करते हैं, जबकि मां कुलविंदर कौर खेती कामों में हाथ बंटाती हैं। छोटी बहन एमके डीएवी स्कूल में ही अब 10वीं की छात्र है।
करणबीर ने कहा कि प्रधानमंत्री से राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार हासिल करने से पहले सेना हेडक्र्वाटर में इंडियन सेना चीफ विपन रावत द्वारा उसे सम्मानित किए जाने पर उसके साथ-साथ उसके पिता देवेंद्र संधू और मां कुलविंदर कौर बहुत खुश हैं।