कंगना की फिल्म 'इमरजेंसी' का पंजाब में तगड़ा विरोध, SGPC का एलान- बिल्कुल भी नहीं होने देंगे रिलीज
कंगना रनौत की फिल्म इमरजेंसी को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) और सिंह साहिबान फिल्म के रिलीज का विरोध कर रहे हैं। ऐसा कहा जा रहा है कि फिल्म में सिखों को गलत तरीके से पेश किया गया है और सिखों की छवि को धूमिल करने का प्रयत्न किया जा रहा है।
जेएनएन, अमृतसर। Emergency Movie Release: सिने स्टार एवं सांसद कंगना रनौत अभिनीत विवादास्पद फिल्म इमरजेंसी को बेशक केंद्रीय सेंसर बोर्ड ने रिलीज के लिए हरी झंडी दे दी है , लेकिन इसे लेकर शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी तथा सिंह साहिबान का विरोध अभी भी जारी है।
एजीपीसी प्रधान हरजिंदर सिंह धामी ने साफ किया है कि फिल्म इमरजेंसी देश विशेष कर पंजाब में बिल्कुल भी रिलीज नहीं होने दी जाएगी।
उन्होंने कहा कि अन्य राज्यों में भी फिल्म को रिलीज करने से पहले सेंसर बोर्ड तथा फिल्म मेकर्स द्वारा इसे एसजीपीसी को दिखाना चाहिए। एसजीपीसी की सहमति के बाद ही फिल्म रिलीज करने पर अंतिम फैसला लिया जा सकता है। एक तरफ सेंसर बोर्ड ने मात्र तीन चार दृश्य काटकर फिल्म की रिलीज को हरी झंडी दे दी है।
पंजाब-95 पर चले 120 कट
वहीं जसवंत सिंह खालडा के जीवन पर आधारित फिल्म पंजाब- 95 में सेंसर बोर्ड ने कैंची चलाते हुए 120 से ज्यादा सीन काट दिए हैं। जब कि यह फिल्म आंतकवाद के दौर के दौरान पंजाब में झूठे पुलिस मुकाबले में मारे गए सिख नौजवानों संबंधी सच्चाई को उजागर करती है।
खालड़ा ने हीं झूठ मुकाबलों में मारे गए तथा गायब किए गए 25000 नौजवानों की सूची सार्वजनिक की थी। उन्होंने कहा कि फिल्म इमरजेंसी पर तुरंत पाबंदी लगाई जानी चाहिए, ताकि देश का माहौल खराब ना हो सके।
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उधर, तखत श्री केसगढ़ साहब के जत्थेदार ज्ञानी सुल्तान सिंह ने भी कहा कि सिख समुदाय द्वारा फिल्म का विरोध जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि फिल्म में जरनैल सिंह भिंडरावाला की छवि को धूमिल करने करने तथा सिखों को आतंकवादी बताकर बदनाम करने का प्रयास किया गया है । उन्होंने कहा कि सेंसर बोर्ड को फिल्म को हरी झंडी नहीं देनी चाहिए थी।
पंजाब से संबंधित 95 दृश्यों पर लगे कट
केंद्र सरकार की शह पर फिल्म 'इमरजेंसी', जिसमें जरनैल सिंह भिंडरांवाला को आतंकी करार दिया गया है, को मामूली कट के साथ रिलीज करने की कोशिश की जा रही है।
केंद्र सरकार को पाकिस्तान स्थित गुरुद्वारा श्री करतारपुर साहिब के दर्शन के लिए पासपोर्ट होने की अनिवार्यता समाप्त करवानी चाहिए तथा इसके लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पाकिस्तान सरकार से बातचीत करनी चाहिए।
केवल आधार कार्ड अथवा अन्य किसी पहचानपत्र के आधार पर ही श्रद्धालुओं को गुरुद्वारा साहिब के खुले दर्शन की अनुमति प्रदान की जानी चाहिए।