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खालिस्तानी समर्थक अमृतपाल सिंह लड़ेगा लोकसभा चुनाव? नामांकन फॉर्म पर आया ये अपडेट

खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह (Amritpal Singh) का नामांकन फॉर्म स्वीकार कर लिया गया है। वह पंजाब की खडूर साहिब सीट से चुनाव लड़ेगा। उसके नामांकन की प्रक्रिया जेल से ही पूरी हुई। अमृतपाल एक निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहा है।अमृतपाल सिंह को पिछले साल 23 अप्रैल को को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के अंतर्गत गिरफ्तार किया गया था। वह असम की डिब्रूगढ़ जेल में बंद है।

By Jagran News Edited By: Prince Sharma Updated: Wed, 15 May 2024 03:25 PM (IST)
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Khalistan supporter Amritpal nomination: अमृतपाल सिंह का नामांकन फॉर्म स्वीकार
एएनआई, चंडीगढ़। Punjab News: पंजाब की खडूर साहिब सीट से 'वारिस पंजाब दे' प्रमुख और खालिस्तानी अमृतपाल सिंह चुनाव लड़ रहा है। लोकसभा चुनाव के लिए अमृतपाल का नामांकन फॉर्म स्वीकार कर लिया गया है। अमृतपाल खडूर साहिब सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहा है।

असम की जेल में बंद है अमृतपाल

अमृतपाल सिंह मौजूदा समय में असम की डिब्रूगढ़ जेल में बंद है। कुछ समय पहले अमृतपाल के चुनाव लड़ने की बात उनके  एडवोकेट राजदेव सिंह खालसा ने दी थी। बाद में इसकी पुष्टि उनकी मां ने भी की।

हाल ही में नामांकन को लेकर अमृतपाल ने सात दिन की रिहाई मांगी थी। लेकिन उसे जमानत नहीं दी गई। पिछले साल 23 अप्रैल को अमृतपाल को अरेस्ट किया गया और राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) अधिनियम, 1980 के तहत हिरासत में लिया गया था।

सिमरनजीत सिंह मान ने भी जेल से लड़ा था चुनाव

साल 1989 में हुए चुनाव में पार्टी शिरोमणि अकाली दल (अमृतसर) के सिमरनजीत सिंह मान ने तरनतारन से चुनाव लड़ा था उस समय वह भागलपुर जेल में बंद थे।

उन्हें अवैध तरीके से काठमांडू में जाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। जबकि, पटियाला से उनकी पार्टी के नेता अतिंदरपाल सिंह भी जेल में रहते हुए जीते थे। अतिंदरपाल ने बताया कि उन दिनों वह तिहाड़ जेल में बंद थे।

क्या जेल से लड़ सकते हैं चुनाव?

ऐसा प्राविधान है कि यदि आरोपी को सजा नहीं हुई है तो चुनाव लड़ सकता है। साल 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने भी यह स्पष्ट किया था। जेल में रहकर चुनाव लड़ने के मामले में एक पूर्व मुख्य चुनाव अधिकारी ने बताया कि प्रत्याशी जेल से ही अपने नामांकर भरकर अपने प्रतिनिधि के जरिए भेज सकता है। ऐसा प्राविधान भी है। जीतने पर उसे शपथ लेने के लिए कुछ समय के लिए छोड़ा जाता है क्योंकि जेल में रहकर शपथ दिलाने का प्राविधान नहीं है।

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