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महाराजा रणजीत सिंह की हवेली का जीर्णोद्धार करेगी पाक सरकार, शेर-ए-पंजाब के 244वें जन्मदिवस पर लिया निर्णय

महाराजा रणजीत सिंह की पाकिस्तान के गुजरांवाला स्थित पुश्तैनी हवेली का जीर्णोद्धार किया जाएगा। 14 नवंबर को निर्माण कार्यों का नींव पत्थर रखा जाएगा। हवेली को लगभग एक अरब की लागत से नया रूप दिया जाएगा। हवेली का कायाकल्प करने के लिए टाउन प्लान तैयार किया गया है। 29 जून 2025 को नई-नवेली हवेली देशवासियों व सिख समुदाय को समर्पित की जाएगी।

By Jagran News Edited By: Rajiv Mishra Updated: Wed, 06 Nov 2024 08:38 AM (IST)
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पाकिस्तान के गुज्जरांवाला में महाराजा रणजीत की पुश्तैनी हवेली जिसका अब जीर्णोद्धार होगा
गुरमीत लूथरा, अमृतसर। शेर-ए-पंजाब महाराजा रणजीत सिंह की पाकिस्तान के शहर गुजरांवाला स्थित पुश्तैनी हवेली का शीघ्र जीर्णोद्धार किया जाएगा। महाराजा का जन्म 13 नवंबर 1780 को इसी हवेली में हुआ था। हवेली के कायाकल्प के लिए निर्माण कार्यों का नींव पत्थर 14 नवंबर को रखा जाएगा। पाकिस्तान सरकार ने 1773 में बनी इस हवेली को लगभग एक अरब की लागत से नया रूप देने का जिम्मा ओकाफ बोर्ड को सौंपा है।

खंडहर में बदल चुकी है यह हवेली

पाकिस्तान सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (पीएसजीपीसी) के प्रधान एवं पंजाब प्रांत के अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री रमेश सिंह अरोड़ा की अध्यक्षता में महाराजा रणजीत सिंह के 244वें जन्मदिवस पर दो नवंबर को उच्चस्तरीय बैठक में यह निर्णय लिया गया।

अरोड़ा ने दैनिक जागरण से बातचीत में बताया कि यह हवेली अब खंडहर में बदल चुकी है तथा इसकी सभी छतें ढह चुकी हैं। उन्होंने बताया कि हवेली से सभी अवैध कब्जे दस माह पहले हटा दिए गए तथा पुरातत्व विभाग ने इसे पुन: संरक्षित विरासती इमारत घोषित किया है।

हवेली का कायाकल्प करने का नक्शा तैयार

हवेली का कायाकल्प करने के लिए इसका टाउन प्लान (नक्शा) भी तैयार किया जा चुका है। उन्होंने बताया कि 29 जून 2025 को नई-नवेली हवेली देशवासियों व सिख समुदाय को समर्पित की जाएगी। वर्ष 1947 में भारत के विभाजन के पश्चात पाकिस्तान पलायन कर गए मुसलमान समुदाय के लोग बड़ी संख्या में गुजरांवाला में बस गए थे।

समुदाय के यहां बसने से हवेली की दुर्दशा शुरू हो गई थी। हवेली के चारों ओर बस्ती बस गई थी तथा हवेली के बाहर मछली मार्केट लगती थी। वर्ष 1970 में औकाफ बोर्ड बनने के बाद इस इमारत को विरासत घोषित किया गया। एक दशक के बाद इसके संरक्षण की जिम्मेदारी पुरातत्व विभाग को दी गई।

बोर्ड के पहले सचिव इस्माइल की अगआई में हवेली पर अवैध कब्जे करने वालों को खदेड़ने शुरू किया गया था पर हवेली के इर्द-गिर्द अवैध एवं स्थाई बस्ती बस जाने से कब्जे हटाने के प्रयास विफल रहे थे। परिणामस्वरूप हवेली खंडहर बन गई थी।

हवेली के पुनर्निर्माण के लिए फंड की कोई कमी नहीं

अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री रमेश सिंह अरोड़ा ने कहा कि देश भर के प्रमुख निर्माण कार्यों की जिम्मेवारी ओकाफ बोर्ड यानि श्राइन बोर्ड के पास होने के कारण महाराजा रणजीत सिंह की हवेली के पुनर्निर्माण के लिए फंड की कोई कमी नहीं है। उन्होंने बताया कि पाकिस्तान सरकार के वार्षिक बजट का 20 प्रतिशत ओकाफ बोर्ड को प्राप्त होता है।

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नानकशाही ईंटों से बनेगी हवेली व महाराजा की नई समाधि

हवेली का पुनर्निर्माण नानकशाही ईंटों से किया जाएगा। हवेली के कमरों की मौजूदा ईंटों को नहीं बदला जाएगा। हवेली में श्री गुरु ग्रंथ साहिब के प्रकाश के लिए एक अलग गुरुद्वारे का निर्माण किया जाएगा। महाराजा की नई समाधि बनाई जाएगी।

वर्तमान में महाराज की पुरानी समाधि का कोई अस्तित्व नहीं है। यहां केवल कच्चे फर्श व नानकशाही ईटों से बनी दीवारें ही शेष बची हैं। यहां 200 से अधिक कमरों वाली सराय यानि यात्री निवास भी बनाया जाएगा। नानकशाही ईंटें वर्तमान की पतली ईंटों जैसी होती हैं जिन्हें आज टाइल भी कहा जाता है।

इन ईंटों को अलग-अलग इलाकों में अलग-अलग नामों से पुकारा जाता था जैसे बादशाही ईंट, अकबरी ईंट, ककैया ईंट व लखौरी ईंट। देशभर में ऐतिहासिक इमारतों के निर्माण व मजबूती में इन ईंटों ने बड़ी भूमिका निभाई है।

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