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Lok Sabha Election 2024: अमृतसर सीट पर कांग्रेस-बीजेपी का महासंग्राम, साल 1952 से अब तक के आंकड़े बेहद रोचक

लोकसभा सीट अमृतसर में चुनावी प्रक्रिया की शुरुआत साल 1952 में शुरू हुई और इसके परिणाम कांग्रेस के पक्ष में आए। वहीं इस सीट पर साल 1952 से अब तक कुल 20 चुनावी मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच देखने को मिला। अकाली दल भी 1952 से चुनाव में उतरा और विभिन्न अकाली दल कुल मिलाकर चार बार चुनाव मैदान में उतरे।

By Deepak Saxena Edited By: Deepak Saxena Updated: Wed, 03 Apr 2024 06:18 PM (IST)
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अमृतसर सीट पर ज्यादातर दिखा कांग्रेस-बीजेपी का महासंग्राम।
विपिन कुमार राणा, अमृतसर। पंजाब की अध्यात्मिक राजधानी अमृतसर की लोकसभा सीट का अपना ही इतिहास है। 1952 से शुरू हुई लोकसभा की चुनावी प्रक्रिया में पहली ही पारी कांग्रेस ने जीत और अब तक हुए 20 चुनाव में ज्यादातर मुकाबला इंडियन नेशनल कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार के बीच रहा है।

शिरोमणि अकाली दल ने 1952 में चुनावी दस्तक तो दी, पर उसके बाद 1971 के चुनाव मैदान में उतरी। वर्तमान में सत्तासीन आम आदमी पार्टी ने लोकसभा के चुनाव में 2014 में दस्तक दी, इस दौरान तीनों ही चुनाव में उनका मतदान प्रतिशत बहुत ही कम रहा।

1952 में कांग्रेस और अकाली दल के बीच रही टक्कर

1952 के पहले ही चुनावी मुकाबले में सीधी टक्कर कांग्रेस और अकाली दल के बीच रही। कांग्रेस जीती और अकाली दल दूसरे नंबर पर रहा। 1957 के चुनाव में अकाली दल अपनी उपस्थित दर्ज नहीं करवा सका और दूसरे नंबर ऑल इंडिया भारतीय जनसंघ के रूप में भाजपा ने दस्तक दी। 1962 में अकाली दल ने फिर से वापसी की और अपने आप को दूसरे नंबर पर स्थापित किया।

1967 में जनसंघ ने कांग्रेस को हराया

साल 1967 के चुनाव में कांग्रेस को हराकर जनसंघ बाजी मार ले गया। 1971 व 1972 के उपचुनाव में कांग्रेस ने फिर से बाजी मारी और अकाली दल दोनों चुनाव में दूसरे और जनसंघ प्रत्याशी तीसरे नंबर पर रहा। उसके बाद अकाली दल में शिथिलता आ गई और उसके बाद 1977 में भारतीय लोक दल के रूप में भाजपा ने वापसी की और उसके बाद हुए चुनाव में अपनी कम से कम दूसरे नंबर की पोजिशन बरकार रखी।

20 चुनावों में से 13 बार जीती कांग्रेस

1952 से लेकर अब तक हुए 20 लोकसभा व उपचुनाव में कांग्रेस ने यहां से 13 बार जीत दर्ज की। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रघुनंदन लाल भाटिया सांसद छह बार इस संसदीय सीट से सांसद चुने गए। कांग्रेस की केंद्र में रही सरकारों में वह विदेश राज्यमंत्री, केरल व बिहार के राज्यपाल भी रहे। कांग्रेस की इस वटवृक्ष को 2004 में भाजपा के नवजोत सिंह सिद्धू ने चुनौती दी और उसके बार लगातार तीन बार 2007 उपचुनाव व 2009 लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज हर हैट्रिक बनाई।

अमृतसर लोकसभा सीट पर पहली हैट्रिक

सरदार गुरमुख सिंह मुसाफिर ने 1952, 1957, 1962 कांग्रेस की टिकट पर पहली हैट्रिक बनाई और सिद्धू ने दूसरी हैट्रिक बनाई। भाजपा ने इस सीट पर 1967, 1977, 1998, 2004, 2007, 2009 में जीत दर्ज की और एक बार 1989 में यह सीट आजाद उम्मीदवार के खाते में गई।

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