'लिखे जो खत तुझे...', आवाज के जादूगर मोहम्मद रफी का अमृतसर की गलियों में बीता बचपन, भाई-बहन प्यार से बुलाते थे 'फीकू'
हिंदी सिनेमा में अपने सुरों से चार-चांद लगाने वाले गायकों में मोहम्मद रफी (Mohammed Rafi Death Anniversary 2024) का नाम भी शुमार है। पंजाब के लोग आज भी खुद को खुशनसीब समझते हैं कि मोहम्मद रफी पंजाब के अमृतसर के अंतर्गत मजीठा से बिलोंग करते थे। आज उनकी पुण्यतिथि है इस अवसर पर आइए पंजाब से जुड़े उनके किस्सों के बारे में जानते हैं।
विपिन कुमार राणा, अमृतसर। हिंदी फिल्म जगत के सुर सम्राट मोहम्मद रफी (Mohammed Rafi Death Anniversary 2024) की बुधवार को 44वीं पुण्यतिथि है।
अपनी मीठी और दिल में उतर जाने वाली सुरीली आवाज में अनगिनत गीतों से उन्होंने भारत के जन-जन के मन में स्थान बनाया। 24 दिसंबर, 1924 को पंजाब के अमृतसर जिले के मजीठा का गांव कोटला सुल्तान में इस स्वर्गिक स्वर वाले गायक का जन्म हुआ।
बचपन का नाम था 'फीकू'
उनकी यादगार के नाम पर स्कूल का कमरा है, जहां वह पढ़े थे और स्कूल में ही उनका बुत लगाया हुआ है। गांव उन्हें अभी ‘नहीं भुला पाया है।’ अली मोहम्मद के घर 24 दिसंबर, 1924 को अली मोहम्मद के घर हुआ। छह बहन-भाइयों में रफी के बचपन का नाम फीकू था।गांववासी गुरमीत सिंह समरा कहते हैं कि हम खुश किस्मत हैं कि हम खुशकिस्मत हैं कि रफी हमारे गांव के हैं, हम उनके गांव के नहीं।गांव में उनकी बड़ी यादगार बननी चाहिए ताकि आने वाली पीढ़ियां उन्हें याद रखें लेकिन आज तक ऐसा नहीं हुआ है। हम सरकारों को जमीन देने के लिए तैयार हैं पर वह भी पहल करे। रफी जी को भारत रत्न दिया जाए।
शहंशाह-ऐ-तरन्नुम से भी थे मशहूर
मोहम्मद रफी को शहंशाह-ऐ-तरन्नुम की उपाधि भी दी गई है। उन्होंने अपने करियर में हजारों गाने गाए हैं। इनमें- आने से उसके आए बहार, बहारों फूल बरसाओं, आज मौसम बड़ा बईमान है, लिख जो खत तुझे, बागों में बाहर है, तुमने पुकारा और हम चले आए, ये दिल तुम बिन कहीं लगता नहीं जैसे हजारों गाने एवरग्रीन हैं।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।