क्या BJP में शामिल होंगे नवजोत सिंह सिद्धू? पत्नी और बेटी ने की इस भाजपा नेता से मुलाकात
नवजोत सिंह सिद्धू की पत्नी डॉ. नवजोत कौर ने भाजपा नेता तरनजीत सिंह संधू से मुलाकात की जिससे राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है। बता दें कि नवजोत सिंह सिद्धू भाजपा से इस्तीफा देकर कांग्रेस में शामिल हुए थे। इस मुलाकात के बाद कयास लग रहे हैं कि क्या सिद्धू दंपती एक बार फिर भाजपा में शामिल होने की तैयारी में है।
नितिन धीमान, अमृतसर। रोड रेज मामले में जेल से रिहा होने के बाद राजनीति से अलग- थलग हुए नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) की पत्नी डॉ. नवजोत कौर ने भाजपा नेता तरनजीत सिंह संधू से भेंट कर राजनीतिक गलियारों में कई चर्चाओं को जन्म दे दिया है। डॉ. नवजोत कौर ने अमृतसर में तरनजीत सिंह संधू के आवास पर उनसे भेंट की। इस दौरान सिद्धू दंपती की बेटी राबिया सिद्धू भी साथ थी।
भाजपा में जाने के लग रहे कयास
जैसे ही तरनजीत सिंह संधू ने यह तस्वीर इंटरनेट मीडिया पर अपलोड की, कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के मन में कई शंकाएं उत्पन्न होने लगीं। संधू ने लिखा 'समुद्री हाउस में डॉ. नवजोत से मिलना और अमृतसर से जुड़े मुद्दों पर चर्चा करना एक सुखद अनुभव रहा।'
इधर, कांग्रेस व भाजपा के कुछ नेता दबे स्वर में कह रहे हैं कि सिद्धू दंपती एक बार फिर भाजपा में सम्मिलित होने के लिए प्रयासरत है। विशेष बात यह है कि तरनजीत सिंह संधू की भाजपा केंद्रीय हाईकमान में अच्छी पहुंच है और चुनाव हारने के बाद भी पार्टी उन्हें बड़ा पद दे सकती हैं।
नवजोत कौर सिद्धू का तरनजीत सिंह संधू से मिलना इस बात की ओर इंगित करता है कि सिद्धू दंपती भाजपा में सम्मिलित होने को लालायित है।
सिद्धू के राजनीतिक करियर में उनकी पत्नी की भूमिका अहम
दरअसल, नवजोत कौर सिद्धू ने नवजोत सिंह सिद्धू का राजनीतिक करियर बनाने में अग्रणी भूमिका निभाई। 2004 में सिद्धू ने पहली बार अमृतसर संसदीय सीट से भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़कर कांग्रेस के कद्दावर नेता रघुनंदन लाल भाटिया को पराजित किया था।2007 के चुनाव में डॉ. नवजोत कौर सिद्धू ने नवजोत सिद्धू के चुनाव प्रचार की कमान संभाली। नवजोत कौर ने सिद्धू के पक्ष में जमकर प्रचार किया। इसके साथ ही उन्होंने भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री तरुण चुग का कार्यालय भी संभाला। यहां से लोगों के साथ सीधा संपर्क करती रहीं।
नवजोत कौर सिद्धू ने राजनीतिक पारी की शुरूआत 2012 में की थी। भाजपा की टिकट पर पूर्व विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़कर जीत प्राप्त कर पहली बार विधायक बनीं। इसके पश्चात अकाली-भाजपा सरकार में मुख्य संसदीय सचिव रहीं।
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