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क्या BJP में शामिल होंगे नवजोत सिंह सिद्धू? पत्नी और बेटी ने की इस भाजपा नेता से मुलाकात

नवजोत सिंह सिद्धू की पत्नी डॉ. नवजोत कौर ने भाजपा नेता तरनजीत सिंह संधू से मुलाकात की जिससे राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है। बता दें कि नवजोत सिंह सिद्धू भाजपा से इस्तीफा देकर कांग्रेस में शामिल हुए थे। इस मुलाकात के बाद कयास लग रहे हैं कि क्या सिद्धू दंपती एक बार फिर भाजपा में शामिल होने की तैयारी में है।

By Nitin Dhiman Edited By: Rajiv Mishra Updated: Mon, 04 Nov 2024 11:06 AM (IST)
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तरनजीत संधू से भेंट करती डॉ. नवजोत कौर सिद्धू व उनकी बेटी राबिया सिद्धू (फोटो- सोशल मीडिया)
नितिन धीमान, अमृतसर। रोड रेज मामले में जेल से रिहा होने के बाद राजनीति से अलग- थलग हुए नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) की पत्नी डॉ. नवजोत कौर ने भाजपा नेता तरनजीत सिंह संधू से भेंट कर राजनीतिक गलियारों में कई चर्चाओं को जन्म दे दिया है। डॉ. नवजोत कौर ने अमृतसर में तरनजीत सिंह संधू के आवास पर उनसे भेंट की। इस दौरान सिद्धू दंपती की बेटी राबिया सिद्धू भी साथ थी।

भाजपा में जाने के लग रहे कयास

जैसे ही तरनजीत सिंह संधू ने यह तस्वीर इंटरनेट मीडिया पर अपलोड की, कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के मन में कई शंकाएं उत्पन्न होने लगीं। संधू ने लिखा 'समुद्री हाउस में डॉ. नवजोत से मिलना और अमृतसर से जुड़े मुद्दों पर चर्चा करना एक सुखद अनुभव रहा।'

इधर, कांग्रेस व भाजपा के कुछ नेता दबे स्वर में कह रहे हैं कि सिद्धू दंपती एक बार फिर भाजपा में सम्मिलित होने के लिए प्रयासरत है। विशेष बात यह है कि तरनजीत सिंह संधू की भाजपा केंद्रीय हाईकमान में अच्छी पहुंच है और चुनाव हारने के बाद भी पार्टी उन्हें बड़ा पद दे सकती हैं।

नवजोत कौर सिद्धू का तरनजीत सिंह संधू से मिलना इस बात की ओर इंगित करता है कि सिद्धू दंपती भाजपा में सम्मिलित होने को लालायित है।

सिद्धू के राजनीतिक करियर में उनकी पत्नी की भूमिका अहम

दरअसल, नवजोत कौर सिद्धू ने नवजोत सिंह सिद्धू का राजनीतिक करियर बनाने में अग्रणी भूमिका निभाई। 2004 में सिद्धू ने पहली बार अमृतसर संसदीय सीट से भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़कर कांग्रेस के कद्दावर नेता रघुनंदन लाल भाटिया को पराजित किया था।

2007 के चुनाव में डॉ. नवजोत कौर सिद्धू ने नवजोत सिद्धू के चुनाव प्रचार की कमान संभाली। नवजोत कौर ने सिद्धू के पक्ष में जमकर प्रचार किया। इसके साथ ही उन्होंने भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री तरुण चुग का कार्यालय भी संभाला। यहां से लोगों के साथ सीधा संपर्क करती रहीं।

नवजोत कौर सिद्धू ने राजनीतिक पारी की शुरूआत 2012 में की थी। भाजपा की टिकट पर पूर्व विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़कर जीत प्राप्त कर पहली बार विधायक बनीं। इसके पश्चात अकाली-भाजपा सरकार में मुख्य संसदीय सचिव रहीं।

2016 में सिद्धू ने छोड़ दी थी भाजपा

2014 के लोकसभा चुनाव में नवजोत सिद्धू को भाजपा ने अप्रत्याशित झटका दिया। उनका टिकट काट दिया गया और अरुण जेटली को चुनाव मैदान में उतारा। इस बात से सिद्धू काफी हतोत्साहित हुए।

पार्टी के साथ उनका विरोध बढ़ता चला गया। हालांकि सिद्धू को राज्यसभा सदस्य बनाया गया था, पर उन्होंने 2016 में राज्यसभा एवं भाजपा से इस्तीफा दे दिया।

कांग्रेस में भी रास नहीं आई सिद्धू वाणी

2017 में सिद्धू ने कांग्रेस ज्वाइन की और पार्टी ने उन्हें अमृतसर पूर्व विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में उतारा। सिद्धू जीते तथा कांग्रेस सरकार में स्थानीय निकाय मंत्री के पद पर विराजमान हुए। सिद्धू और कैप्टन अमरिंदर सिंह के बीच भ्रष्टाचार व प्रशासनिक मामलों में कई मतभेद उभरने लगे।

सिद्धू ने 2019 में मंत्री पद छोड़ दिया। 2021 में कांग्रेस ने सिद्धू को प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष मनोनीत किया, पर सिद्धू-कैप्टन के बीच बढ़ी तल्खी के कारण कैप्टन अमरिंदर सिंह ने मुख्यमंत्री पद छोड़ दिया। कांग्रेस हाईकमान ने चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बनाया, पर चन्नी के साथ भी सिद्धू के मतभेद खुलकर सामने आने लगे।

इससे कांग्रेस में असंतोष बढ़ने लगा और सिद्धू का ग्राफ भी गिरता चला गया। कांग्रेस में अंतर्कलह बढ़ती गई। 2022 में पंजाब में सत्ता परिवर्तन हुआ। आम आदमी पार्टी की सरकार बनी। चुनाव में कांग्रेस की करारी हार के कारण सिद्धू की कार्यप्रणाली पर सवाल उठे।

रोड रेज केस में हुई थी 1 साल की सजा

2022 के विधानसभा चुनाव में पराजित होने के पश्चात नवजोत सिंह सिद्धू को रोड रेज मामले में एक वर्ष की सजा हुई थी। 2023 में वह जेल से बाहर आए और फिर कांग्रेस की सक्रिय राजनीति से दूर हो गए।

उनकी पत्नी डॉ. नवजोत कौर सिद्धू ने भी राजनीति एवं राजनैतिक कार्यक्रमों से स्वयं को दूर ही रखा। यही बस नहीं, कांग्रेस पार्टी ने लोकसभा चुनाव में नवजोत सिंह सिद्धू को स्टार प्रचारक का दायित्व सौंपा, परंतु उन्होंने एक दिन भी प्रचार नहीं किया।

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