Operation Blue Star: 516 मौत समेत 83 जवान बलिदान... किसी आपदा से कम नहीं था ऑपरेशन ब्लू स्टार, पढ़ें इनसाइड स्टोरी
जरनैल सिंह भिंडरावाले की बढ़ती हिंसक गतिविधियों को देखते हुए उसके खिलाफ अमृतसर में हरमिंदर साहिब के अंदर ऑपरेशन ब्लू स्टार चलाया गया। आज ऑपरेशन ब्लू स्टार (Operation Blue Star) की 40वीं बरसी है। ऐसे में अमृतसर में खालिस्तान समर्थन में नारे लगाने के साथ लोगों ने जरनैल सिंह भिंडरावाले की तस्वीर लगे पोस्टर भी लहराए। पर ये जरनैल सिंह था कौन। इस आर्टिकल में यही चर्चा करेंगे।
डिजिटल डेस्क, अमृतसर। आज ऑपरेशन ब्लू स्टार को 40 साल हो गए हैं। आज ही के दिन सेना के जवानों ने स्वर्ण मंदिर पर भिंडरावाले के खिलाफ कार्रवाई की थी। उस दौरान जरनैल सिंह भिंडरावाले (Jarnail Singh Bhindranwale) का चैप्टर तो क्लॉज हो गया। लेकिन इस ऑपरेशन के परिणाम काफी भयानक सामने आने वाले थे। सिख धर्मावलंबियों का सबसे पावन धार्मिक स्थल श्री अकाल तख्त इस ऑपरेशन की भेंट चढ़ा था।
आखिर 40 साल पहले आज के दिन अमृतसर में क्या हुआ था? समझेंगे, लेकिन इससे पहले हमें उस समय के दौर से दो चार होना पड़ेगा।
भिंडरावाला... वह नाम जिसकी दिल्ली तक थी दमक
यह तारीख थी 6 जून, 1984 अमृतसर के हरमंदिर साहिब (Sri Harmandir Sahib) में खालिस्तानी जरनैल सिंह भिंडरावाले के खात्मे की सभी तैयारियां कर ली गई थीं। भिंडरावाले वह नाम जिसने न सिर्फ पंजाब बल्कि दिल्ली की राजनीतिक और प्रशासनिक ढांचे की जड़ों तक को हिला कर रख दिया था।पंजाब में जरनैल सिंह द्वारा बढ़ते अतिवाद, चरमवाद व जंगलराज पर लगाम कसने का केवल एक ही तरीका था। जरनैल सिंह भिंडरवाले का अंत या उसकी गिरफ्तारी।
कौन था जरनैल सिंह भिंडरावाले
जरनैल सिंह भिंडरावाले (Who was Jarnail Singh Bhindrewale) का जन्म 2 जून 1947 को हुआ। तीस की उम्र में जब वह दमदमी टकसाल (सिख ग्रंथों से जुडी शिक्षा देने वाली संस्था) का लीडर बना तो उसे भिंडरावाले उपनाम में मिला। लीडर बनने के कुछ महीनों बाद ही उसने पंजाब में हिंसक गतिविधियों को बढ़ावा देना शुरू कर दिया था।
उसने अस्सी के दशक में आनंदपुर साहिब प्रस्ताव (Anandpur Sahib Resolution) की मांग को तीव्र किया जिसमें पंजाब को स्वायत्तता प्रदान करने की बात थी। यानी केंद्र सिर्फ विदेश, संचार और मुद्रा मामलों में ही हस्तक्षेप कर सकता था। इस प्रस्ताव को खालिस्तान की शुरुआत के तौर पर देखा गया।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।पंजाब केसरी के संपादक की हत्या
पंजाब में भिंडरावाले ने धीरे धीरे हिंसक गतिविधियों को बढ़ावा देना शुरू कर दिया। सन 1981 में पंजाब केसरी (Punjab Kesri) के संपादक लाला जगत नारायण (Lala Jagat Narayan) की हत्या सिर्फ इसलिए कर दी गई थी क्योंकि वह हिन्दी भाषा पर ज्यादा जोर दे रहे थे। वहीं सन् 1983 में चरमपंथियों ने पंजाब के डीआईजी के एस अटवाल की हत्या कर दी। उसी साल कुछ बंदूकधारियों ने बस में हिंदुओं को गोलियों से भून डाला था।पंजाब में बढ़ती हिंसक घटनाओं के बाद केंद्र सरकार ने तत्कालीन पंजाब सरकार को बर्खास्त कर राष्ट्रपति शासन लगा दिया। वहीं किसी भी तरह के हस्तक्षेप या विरोध से बचने के लिए जरनैल सिंह ने स्वर्ण मंदिर में श्री अकाल तख्त को अपना ठिकाना बना लिया था। लेकिन इस हिंसा और जंगलराज को रोकना ज़रूरी था...शुरू हुआ ऑपरेशन ब्लू स्टार
तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार (Indira Gandhi) ने भिंडरावाले को पकड़ने और ये सब रोकने के लिए ऑपरेशन ब्लू स्टार चलाया। हालांकि इसके परिणाम विपरीत सामने आए। लेकिन उस दौरान जरनैल सिंह को रोकना जरूरी हो गया था। इस ऑपरेशन की शुरुआत 1 जून, 1984 से ही हो गई थी। सूबे में ट्रेनें, यातयात साधनों और टेलीफोन कनेक्शन भी काट दिए गए थे। तारीख 3 जून को पंजाब में कर्फ्यू लगा दिया गया और फिर आई वो तारीख जब सेना स्वर्ण मंदिर में हमला करते हुए अंदर दाखिल हुई और चेतावनी के बाद भिंडरवाले को मौत के घाट उतारा।6 जून को क्या-क्या हुआ था
जी बी एस सिद्धू की किताब खालिस्तान षड्यंत्र इंसाइड स्टोरी (Khalistan Shadyantra Ki Inside Story) के अनुसार, 5 जून 1984 को स्वर्ण मंदिर पर सेना की मुख्य कार्रवाई शुरू हुई। ऑपरेशन को लीड कर रहे मेजर जनरल बरार ने अपने जवानों से कहा कि स्वर्ण मंदिर को दुश्मन से छुड़वाना है।- आदेश में कहा गया कि अकाल तख्त को नुकसान नहीं पहुंचना चाहिए।
- ऑपरेशन रात 10:30 बजे शुरू हुआ और सुबह (छह जून) 07:30 बजे तक चला।
- रात 10 बजे तक सेना ने दोनों इमारतों (होटल टेंपल व्यू और ब्रह्म बूटा अखाड़ा को नियंत्रण में ले लिए था।
- 6 जून को आधी रात के बाद 1:00 बजे सेना ने तेजा सिंह समुंदरी हॉल के अंदर प्रवेश किया।
- यहां ये बता दें कि 4 जून को लाउडस्पीकर पर यह घोषणा कर दी गई थी की स्वर्ण मंदिर में मौजूद श्रद्धालु मंदिर परिसर छोड़ दें और वहां छिपे उग्रवादी अपने हथियारों के साथ आत्मसमर्पण कर दें। परंतु ऐसा नहीं हुआ।
- 6 जून को सुबह लगभग 7:00 बजे सेना को टैंकों के इस्तेमाल के लिए अनुमति मिल गई।
- टैंको द्वारा 80 गोली धागे गए थे जिसे श्री अकाली तख्त को तगड़ा नुकसान पहुंचा।
- इसी दौरान भिंडरावाला भी मारा जा चुका था।
- 6 जून को दोपहर तक सेना ने दोनों ही परिषदों में स्थिति को अपने नियंत्रण में कर लिया था।
- जवानों को अंदर घुसकर हुक्म दिया गया कि रास्ते में आने वाले किसी भी उग्रवादी को गोली मार देनी है।
- 7 जून को भिंडरावाले का शव सुबह 7:30 बजे क्षत-विक्षत हालत में बरामद हुआ।