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भारतीय संस्कृति पुत्र व पुत्री में भेद करना नहीं सिखाती : साध्वी गरिमा

संवाद सहयोगी अमृतसर दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की ओर से गोपाल मंदिर में शिव कथा का आयोजन

By JagranEdited By: Updated: Sun, 27 Feb 2022 06:26 PM (IST)
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भारतीय संस्कृति पुत्र व पुत्री में भेद करना नहीं सिखाती : साध्वी गरिमा

संवाद सहयोगी, अमृतसर : दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की ओर से गोपाल मंदिर में शिव कथा का आयोजन किया गया। इसमें श्री आशुतोष महाराज की शिष्या साध्वी गरिमा भारती ने मां पार्वती के जन्मोत्सव के आध्यात्मिक रहस्य को भक्तों के समक्ष प्रकट किया। साध्वी ने बताया कि महाराज हिमवान व महारानी मैनावती ने मां भगवती को पुत्री रूप में प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की और संसार को संदेश दिया कि आप भी पुत्री का सम्मान वैसे ही करें जैसे कि पुत्रों का करते हैं। हमारी भारतीय संस्कृति हमें पुत्र व पुत्री में भेद करना नहीं सिखाती। यह वह भारत देश है जिसमें कन्याओं को देवी रूप में पूजा जाता है। जब तक हमारी जिदगी में गुरु का पदार्पण नहीं होता हम उस ईश्वर का तत्व से दर्शन नहीं कर लेते, तब तक हमें यह समझ नहीं आ सकता कि हमारे घर में जन्म लेने वाली कन्या उस भगवान का प्रसाद है। भगवान शिव की पावन कथा भी हमें उसी सनातन पुरातन ईश्वर दर्शन प्रदान करने वाले गुरु के शरणागत होने का संदेश देती है।

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