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अमृतसर के प्लास्टिक बेबी, मछली जैसे हैं मुंह और होंठ, रहस्यमय ढंग से उतर जाती है चमड़ी

अमृतसर में रहस्‍यमय बच्‍चा मिला है। इससे लोगों के साथ डॉक्‍टर भी हैरान हैं। इस बच्‍चे का मुंह और होंठ मछली जैसे हैं। इसकी चमड़ी रहस्‍यमय तरीके से उतर रही है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Updated: Tue, 04 Aug 2020 06:55 AM (IST)
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अमृतसर के प्लास्टिक बेबी, मछली जैसे हैं मुंह और होंठ, रहस्यमय ढंग से उतर जाती है चमड़ी
अमृतसर, [नितिन धीमान]। प्लास्टिक की गुडिय़ा तो आपने कई बार देखी होगी, लेकिन क्या कभी जिंदा गुडिय़ा देखी है। अमृतसर में ऐसे ही एक बच्‍चे का जन्म हुआ है। इस बच्‍चे का मुंह और होंठ मछली जैसे हैं। इसे 'प्लास्टिक बेबी' कहा जा रहा है। ऐसा इसलिए, क्योंकि इसका जन्म जेनेटिक डिसऑर्डर की वजह से असामान्य ढंग से हुआ है। चिकित्सा विज्ञान में ऐसे बच्‍चे को 'कोलोडियन बेबी' कहा जाता है। बच्चा रोता है तो उसकी चमड़ी फटने लगती है। इकलौती संतान की यह हालत देखकर मां-बाप भी परेशान हैं।

बच्‍चा रोता है तो उतरने लगती है चमड़ी, गुरु नगरी में तीसरे कोलोडियन बेबी का जन्म, दुर्लभ है बीमारी

अमृतसर के कोट खालसा क्षेत्र में रहने वाले गगनदीप सिंह की पत्‍नी बलजीत कौर को कोख से तकरीबन एक माह पूर्व जन्मे इस बच्चे का नाम गुरसेवक सिंह रखा गया है। गुरसेवक के जन्म के साथ ही उसके पूरे तन पर चमड़ी का एक अलग आवरण चढ़ा था। उसकी आंखें तक चमड़ी से ढकी हुई थीं। गुरुनानक देव अस्पताल ने जांच में पाया कि यह कोलोडियन बेबी है। इसके बाद स्किन पर कुछ विशेष लेप किए गए।

जन्म से ही बच्चे की आंखें चमड़ी की परत से ढकी थीं

जन्म के 15 दिन बाद बच्चे के शरीर से चमड़ी की परत रहस्यमय ढंग से स्वत: उतरने लगी। सारी चमड़ी उतर गई तो बच्चे की आंखें दिखाई देने लगी। उसकी आंखें व होंठ मछली जैसे हैं। कोलोडियन बेबी का चेहरा इसी तरह का दिखता है। गुरसेवक के पिता बलजीत सिंह के गगनदीप सिंह के अनुसार वह ऑनलाइन कंपनी में डिलीवरी ब्वॉय की नौकरी करते हैं। गुरसवेवक उनकी पहली संतान है। जन्म के बाद बच्‍चे ने मां का दूध नहीं पिया। अब अस्पताल से उसे घर ले आए हैं। मां का दूध पी रहा है।

दस लाख में एक बच्चा होता है कोलोडियन

गुरुनानक देव अस्पताल के शिशु रोग विशेषज्ञ संदीप अग्रवाल के अनुसार कोलोडियन बेबी का जन्म एक असामान्य घटना है। यह जेनेटिक डिसऑर्डर की वजह से होता। सरल शब्दों में कहें तो मां-बाप के गुणसूत्रों में संक्रमण से ऐसे बच्चों का जन्म होता है। उसकी त्वचा रबड़ की तरह होती है। तकरीबन दस लाख बच्चों में एक बच्चे का जन्म इस अवस्था में होता है।

ऐसे बच्चे की त्वचा सांप की त्वचा जैसी दिखती है, जबकि चेहरा मछली की तरह। बच्चे की चमड़ी जन्म के तीन से चार सप्ताह बाद उतरने लगती है। यदि बच्चा रोता है तो चमड़ी फटने लगती है। ऐसे बच्चे प्लास्टिक की गुडिय़ा की तरह लगते हैं। होंठों और आंखों का रंग लाल होता है।

अमृतसर में तीसरा कोलोडियन बेबी जन्मा

वर्ष 2014 व 2017 में अमृतसर में दो कोलोडियन बेबी का जन्म हुआ था। दुर्भाग्यवश दोनों की जान चली गई। अमृतसर में यह तीसरा कोलोडियन बेबी है। इसकी हालत में काफी सुधार है। बच्चे के अंदरूनी अंग काम कर रहे हैं। सिर्फ चमड़ी का इंफेक्शन है, जो धीरे-धीरे कम हो रहा है। डॉक्टरों के अनुसार बच्चे के सामान्य होने की संभावना अधिक है।

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