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Punjab Lok Sabha Result 2024: ....तो क्या SAD-BJP गठबंधन चुनाव लड़ता तो बदल जाती पंजाब की तस्वीर? 25 साल में पहली बार हुआ ऐसा

पंजाब में कांग्रेस ने अच्छा प्रदर्शन किया। 1998 के बाद यह पहला मौका है जब भारतीय जनता पार्टी पंजाब में अपना खाता नहीं खोल पाई हो। जबकि शिरोमणि अकाली दल भी मात्र एक सीट पर सिमट कर रह गया है। पंजाब के राजनीतिक 25 वर्ष को राजनीतिक इतिहास में यह पहला मौका था जब शिअद और भाजपा अलग-अलग चुनाव लड़ रहे थे

By Inderpreet Singh Edited By: Prince Sharma Updated: Tue, 04 Jun 2024 10:12 PM (IST)
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क्या SAD-BJP गठबंधन चुनाव लड़ता तो बदल जाती पंजाब की तस्वीर?

कैलाश नाथ, चंडीगढ़। पंजाब में कांग्रेस पार्टी ने अपनी साख को बचाए रखा। कांग्रेस ने साल 2019 में 8 सीटों पर विजय हासिल की थी। जबकि 2024 में कांग्रेस को भले ही एक सीट का नुकसान हुआ हो। इसके बावजूद वह पंजाब में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है।

वहीं, 1998 के बाद यह पहला मौका है जब भारतीय जनता पार्टी पंजाब में अपना खाता नहीं खोल पाई हो। जबकि शिरोमणि अकाली दल भी मात्र एक सीट पर सिमट कर रह गया है।

दोनों पार्टियों का अलग-अलग चुनाव लड़ने का साथी लाभ कांग्रेस और सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी को मिला। बठिंडा और जालंधर की सीट को छोड़ दिया जाए तो हरेक सीट पर दोनों पार्टी को जितने वोट मिले वहां के विजेता को उससे कम वोट हासिल हुए।

25 साल में पहली बार हुआ ऐसा

पंजाब के राजनीतिक 25 वर्ष को राजनीतिक इतिहास में यह पहला मौका था जब शिअद और भाजपा अलग-अलग चुनाव लड़ रहे थे। भाजपा भले ही राज्य में कोई सीट नहीं जीत सकी लेकिन 13 सीटों पर चुनाव लड़के उसने अपना वोट शेयर 9.63 फीसदे से बढ़ा कर 18.44 के करीब कर लिया।

वहीं, शिअद का वोट शेयर जोकि 2019 में 27.45 फीसदी था वह घट कर 13.50 फीसदी रह गया। 2019 में जब दोनों पार्टियां एक साथ लड़ी थी तो भाजपा और शिअद को 2-2 सीटों पर विजय मिली थी और उनका वोट शेयर 37.08 फीसदी था। गठबंधन नहीं होने से दोनों ही पार्टियों को न सिर्फ सीट का नुकसान उठाना पड़ा बल्कि वोट शेयर भी कम हुआ है।

अकाली भाजपा को एक साथ मिलना था

संपन्न हुए चुनाव में दोनों पार्टियों को 31.94 फीसदी (भाजपा 18.44-शिअद 13.50) वोट मिले। अकाली-भाजपा के साथ नहीं लड़ने से जहां दोनों पार्टियों के वोट दूसरी पार्टी को शिफ्ट हुए, वहीं दोनों ही पार्टियों को सीटों पर भी नुकसान उठाना पड़ा। जानकार मानते हैं कि अगर दोनों का गठबंधन होता तो पंजाब की तस्वीर कुछ और होनी थी। क्योंकि पंजाब में सत्ता विरोधी वोट का लाभ फिर अकाली-भाजपा को मिलना था।

जिसका फायदा वर्तमान में कांग्रेस को मिला। यही कारण था कि कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी के साथ पंजाब में गठबंधन नहीं किया। क्योंकि कांग्रेस सत्ता विरोधी वोट को हासिल करना चाहती थी। कांग्रेस की यह रणनीति कारगर साबित हुई। एक तो कांग्रेस को सत्ता विरोधी वोट मिले। वहीं, दूसरी तरफ शिअद भाजपा के एक साथ नहीं होने का भी लाभ मिला।