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Punjab News: डीसी कार्यालयों के बाहर बासमती फेंकने को क्यों मजबूर हुए किसान? जानिए क्या है वजह

बासमती धान की कीमत कम मिलने से किसान बर्बादी के कगार पर पहुंच गए हैं। उन्होंने डीसी कार्यालयों के बाहर फेंकने की चेतावनी दी है। किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के अध्यक्ष सरवण सिंह पंधेर ने कहा कि यदि बासमती की खरीद तीन हजार रुपये प्रति क्विंटल की कीमत पर नहीं हुई तो 28 सितंबर के बाद किसान डीसी कार्यालयों और मुख्यमंत्री मान के निवास के समक्ष फेंकने को विवश होंगे।

By Jagran News Edited By: Sushil Kumar Updated: Fri, 27 Sep 2024 01:16 PM (IST)
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Punjab News: बासमती के दाम कम मिलने से किसान मायूस।

जागरण संवाददाता, अमृतसर। मंडियों में किसानों को बासमती की कीमत कम मिलने से उनकी लागत भी पूरी नहीं हो रही है। फतेहगढ़ चूडियां मंडी में आढ़तियों की तरफ से 2450 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से बासमती खरीदी जा रही है, जबकि पिछले वर्ष 3300 से 3600 रुपये प्रति क्विटंल रेट मिला था। इस बार बासमती की उचित कीमत नहीं मिलने से किसान मायूस हैं।

किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के अध्यक्ष सरवण सिंह पंधेर ने कहा कि यदि बासमती की खरीद तीन हजार रुपये प्रति क्विंटल की कीमत पर नहीं हुई तो 28 सितंबर के बाद किसान प्रदेश भर में डीसी कार्यालयों और मुख्यमंत्री भगवंत मान के निवास के समक्ष बासमती फेंकने को विवश होंगे।

बासमती का मूल्य 2200 से 2450 रुपये मिल रहा

फतेहगढ़ चूडियां मंडी में समती बेचने पहुंचे भूपिदर सिंह ने कहा कि किसान को फसल की लागत भी नहीं मिल रही है। बासमती का मूल्य 2200 से 2450 रुपये मिल रहा है, नतीजतन किसान बर्बादी के कगार पर पहुंच गए हैं।

अगर यही आलम रहा तो बासमती भी आलू की तरह सड़कों पर फेकने की नौबत आ जाएगी। गांव खेरा खुर्द के अमरीक सिंह ने बताया कि सरकारों की नीतियों से किसानों की हालत बद से बदतर हो गई है।

उधर, भारतीय किसान यूनियन एकता उगराहां के राज्य प्रधान जोगिंदर सिंह उगराहां ने भी कहा कि अगर एमएसपी से कम दाम पर धान की खरीद की गई तो इसका सख्त विरोध किया जाएगा।

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