Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

Punjab News: बागी नेताओं के समर्थन में बोलना पड़ा भारी, अकाली दल ने सुखदेव सिंह ढींडसा को पार्टी से किया बर्खास्त

पंजाब की क्षेत्रीय पार्टी ने बागी नेताओं के पार्टी से बाहर कर देने के बाद उन नेताओं की तरफदारी करने वाले सुखदेव सिंह ढींडसा को भी पार्टी से निष्कासित कर दिया है। सुखदेव बुधवार को कहते नजर आए कि जिन नेताओं को निकाला गया है वह तरीका अनुशासनहीनता है। वह पार्टी अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल के खिलाफ भी बोले थे।

By Inderpreet Singh Edited By: Prince Sharma Updated: Thu, 01 Aug 2024 08:04 PM (IST)
Hero Image
अकाली नेता बलविंदर सिंह भूंदड़ पत्रकारों से बातचीत करते हुए। साथ में महेश इंदर सिंह ग्रेवाल, गुलजार सिंह रणीके।

राज्य ब्यूरो चंडीगढ़। शिरोमणि अकाली दल की अनुशासन कमेटी ने पार्टी के संरक्षक सुखदेव सिंह ढींडसा को पार्टी से बर्खास्त कर दिया है।

ढींडसा पर आरोप था कि वह गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी करने के मुख्य दोषी प्रदीप कलेर की वकालत कर रहे हैं और वह निष्कासित बागी नेताओं के समर्थन में बोल रहे हैं।

पार्टी के अनुशासन कमेटी के चेयरमैन बलविंदर सिंह भूंदड़ ने कहा,‘ढींडसा लोगों को गुमराह न कर सकें इसलिए पार्टी को यह कड़वा घूंट पीना पड़ा है। उन्हें पार्टी से बर्खास्त कर दिया गया है।’

ढींडसा ने एक दिन पहले पार्टी द्वारा 8 नेताओं को बर्खास्त किए जाने का विरोध किया था। उन्होंने सुखबीर बादल को पार्टी अध्यक्ष पद से हटाने के लिए डेलीगेट्स की बैठक बुलाने की घोषणा की थी।

डेलीगेट्स को एकजुट करने की तैयारी में जुटे ढींडसा

ढींडसा के इस बयान के एक दिन बाद ही पार्टी ने उनकी सदस्यता खत्म कर दी है। बता दें कि 5 मार्च 2024 को ही ढींडसा ने अपनी पार्टी शिरोमणि अकाली दल संयुक्त को शिअद में मर्ज किया था। ढींडसा जहां डेलीगेट्स को एकजुट करने की तैयारी कर रहे थे।

बता दें कि शिअद के संविधान के अनुसार 30 डेलीगेट्स अगर पार्टी की वर्किंग कमेटी को लिखित में दें कि उन्हें पार्टी प्रधान पर भरोसा नहीं हैं तो पार्टी को डेलीगेट्स की बैठक बुलानी पड़ती है। शिअद के 497 डेलीगेट्स है। जिसमें से 23 की मृत्यु हो चुकी हैं और 30 पार्टी छोड़ चुके हैं। इसके अतिरिक्त 8 नेताओं को बीते कल ही पार्टी ने निष्कासित किया है।

बागी नेताओं ने अनुशासन नहीं किया भंग: ढींडसा

पार्टी दफ्तर में पत्रकारों से बातचीत करते हुए महेश इंदर ग्रेवाल ने कहा, ढींडसा कह रहे हैं कि निकाले गए नेताओं ने अनुशासन भंग नहीं किया। जबकि उन्होंने सुखबीर बादल को हटाने और पार्टी के समानांतर धड़ा खड़ा करने की कोशिश की।

ग्रेवाल ने कहा 10 दिसंबर 1998 को जब प्रकाश सिंह बादल मुख्यमंत्री थे और उनके पास पार्टी प्रधान की भी जिम्मेदारी थी, को लेकर गुरचरण सिंह टोहणा ने मांग की थी कि पार्टी के कामकाज के लिए बादल को एक वर्किंग प्रधान बनाना चाहिए।

अनुशासन कमेटी के चेयरमैन होने के नाते सुखदेव सिंह ढींडसा ने टोहणा को पार्टी से बर्खास्त कर दिया था। जबकि उन्होंने तो मात्र वर्किंग प्रधान बनाने की मांग की थी।

उन्होंने आरोप लगाया कि यह ‘ऑपरेशन नागपुर’ है। क्योंकि इन नेताओं को शह दिया गया कि वह माहौल बनाए ताकि बाद में पार्टी के दफ्तर और सिंबल पर उनका कब्जा करवाया जाए। अकाली नेता ने कहा....

‘ढींडसा आज बेअदबी कांड के दोषी प्रदीप कलेर की वकालत कर रहे हैं। जबकि वोट के लिए डेरा सिरसा की मदद लेने के लिए उनके पुत्र परमिंदर सिंह ढींडसा ने अकाल तख्त पर माफी मांगी थी। राजिंदर कौर भट्ठल ने भी अधिकारिक प्रेस वार्ता में कहा था कि डेरे की वोट अगर परमिंदर को नहीं गई होती तो वह जीत जाती।’

उन्होंने कहा, वोट लेने के लिए ढींडसा डेरे की मदद लेते रहे और दोषी सुखबीर बादल को ठहरा रहे हैं। प्रो. प्रेम सिंह चंदूमाजरा को आड़े हाथों लेते हुए ग्रेवाल ने कहा, जनवरी 1986 को चंदूमाजरा के समर्थकों ने अकाल तख्त पर इसलिए गोलियां चलवाई ताकि तत्कालीन इंदिरा गांधी द्वारा पुनर्निमाण किए गए अकाल तख्त को गिराने का काम रोका जा सके।

31 जुलाई तक क्या आया बदलाव: अकाली दल ने किया सवाल

चंदूमाजरा उस समय अमृतसर के सर्किट हाउस में ही थी। आज वह सुखबीर बादल को गलत ठहरा रहे हैं। अकाली नेता ने ढींडसा से सवाल किया कि मार्च से लेकर 31 जुलाई तक आखिर क्या बदलाव आया। मार्च में सुखबीर बादल अच्छे थे तो जुलाई में गलत कैसे हो गए। आज यह लोग अकाली दल सुधार लहर चलाने की बात कर रहे हैं।

यह भी पढ़ें- आप सांसद गुरमीत सिंह ने रेलवे कनेक्टिविटी का उठाया मुद्दा, लोकसभा में ट्रांसजेंडरों और महिलाओं के हितों की भी की बात

आपके शहर की तथ्यपूर्ण खबरें अब आपके मोबाइल पर