Raksha Bandhan 2024: अटारी सीमा पर मनाया गया रक्षा पर्व, बहनों से रेशम की डोर बंधवाकर भावुक हुए जवान
Raksha Bandhan 2024 रक्षा बंधन पर जवानों की कलाई सूनी नहीं रही। अटारी सीमा पर धूमधाम से रक्षा पर्व मनाया गया। महिलाओं ने जवानों की कलाई पर रेशम की डोर बांधी। इस पल जवान भावुक हो गए। वहीं जवानों ने देश की रक्षा करने का बहनों से वादा किया। इसके बाद विभिन्न स्कूलों की छात्राओं ने इन जवानों की कलाई पर राखी सजाई।
जागरण संवाददाता, अमृतसर। Raksha Bandhan 2024: अपने घरों से कोसों दूर सीमा सुरक्षा बल के जवानों की कलाई सूनी नहीं रही। रक्षाबंधन के पावन अवसर पर अंतर्राष्ट्रीय अटारी सीमा पर बहनों ने इन जवान भाइयों की कलाई पर रक्षासूत्र बांधा और देश की रक्षा का संकल्प लिया। सीमा पर तैनात बीएसएफ के जवान इस पल में भावुक हो गए।
जवानों ने किया बहनों का स्वागत
वर्ष 1968 से अटारी सीमा पर जवानों की कलाई पर रक्षासूत्र बांध रही प्रो. चावला ने यह क्रम जारी रखा। सोमवार को प्रो. चावला महिलाओं के साथ जब अटारी सीमा पर पहुंचीं तो जवानों ने उनका स्वागत किया। प्रो. चावला ने बीएसएफ के डिप्टी कमांडेंट गौरव शर्मा की कलाई पर रक्षाबंधन का धागा बांधा और देश की रक्षा का संकल्प लिया। इसके बाद विभिन्न स्कूलों की छात्राओं ने इन जवानों की कलाई पर राखी सजाई।
पिछले 56 वर्षों से जारी है क्रम
प्रो. चावला ने कहा कि वर्ष 1968 अटारी सीमा पर राखी बांधने का क्रम शुरू हुआ। विद्यार्थी जीवन में 1965 भारत-पाक का युद्ध उन्होंने नजदीक से देखा था। 1971 के युद्ध में सिविल डिफेंस तथा घायल सैनिकों की देखभाल का कार्य किया। जब किसी सैनिक को रक्षाबंधन के दिन देखती तो हृदय विचलित हो उठता।यह भी पढ़ें: Punjab News: पंजाब की बहन-बेटियों को मान सरकार का तोहफा, अब फायर ब्रिगेड विभाग में लड़कियां भी करेंगी काम
अपने घरों से सैकड़ों मील दूर रहकर सीमाओं पर युद्ध और शांतिकाल में देश की सेवा करते है तो उनकी कलाई राखी के दिन सूनी क्यों रहे? इसी भावना से 1968 में अटारी सीमा पर बीएसएफ के जवानों के साथ रक्षाबंधन का त्योहार मनाया गया। प्रो. चावला ने बताया कि पिछले 56 वर्षों से यह क्रम जारी है।
प्रो. चावला ने बताए पुराने किस्से
पंजाब में आतंकवाद के दौर 1992 में जब अमृतसर के गली-बाजारों में सुरक्षा बलों के जवान विशेषकर सीआरपीएफ ही दिखाई देती थी ऐसे में रक्षाबंधन पर जगह-जगह डेरा डालकर बैठे जवानों को वहीं राखी बांधी गई। पंजाब के तत्कालिक डीजीपी स्व. केपीएस गिल की कलाई पर 1992 में राखी बांधी गई थी, तब गिल ने मुझसे वायदा किया था कि बहनजी अगले साल जब राखी बंधवाने आऊंगा, तब पंजाब से आतंकवाद का सफाया हो चुका होगा।
1993 में आतंकवाद के सफाए के बाद स्व. गिल ने अपना यह वायदा निभा दिया। प्रो. चावला ने कहा कि मैं इस दिन की बेसब्री से प्रतीक्षा करती हूं। इन जवानों की कलाई पर राखी बांधकर उन्हें अपतत्व का अहसास करवाया जाता है। आज देश के सभी प्रांतों की सीमाओं पर बहनें सैन्य बलों को रक्षासूत्र बांधती हैं।
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