Punjab News: शिरोमणि अकाली दल के बागी नेताओं ने श्री अकाल तख्त पर मांगी माफी, कहा- सुखबीर बादल ने नहीं मानी बात
शिरोमणि अकाली दल (Shiromani Akali Dal) के बागी नेताओं ने अकाली सरकार के दौरान हुई चार बड़ी गलतियों के लिए श्री अकाल तख्त पर लिखित तौर पर माफी मांगी। बागी नेताओं ने कहा जो भी सजा दी जाएगी उसे भुगतने के लिए तैयार हैं। उन्होंने इन गलतियों के लिए सुखबीर सिंह बादल को जिम्मेदार ठहराया। नेताओं ने नए शिरोमणि अकाली दल की गठन की भी बात कही।
गुरमीत लूथरा, अमृतसर। शिरोमणि अकाली दल (बादल) से बागी पंथक गुट के अकाली नेताओं ने श्री अकाल तख्त पर माफी मांगी। प्रेम सिंह चंदूमाजरा , बीबी जगीर कौर, परमिंदर सिंह ढींडसा, सुरजीत सिंह रखड़ा इत्यादि लोग मौजूद थे।
प्रदेश में अकाली-भाजपा गठबंधन सरकार के दौरान पार्टी प्रधान रहे सुखबीर बादल की अगुवाई में हुई चार बड़ी गलतियों के लिए श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह के समक्ष लिखित तौर से माफी मांगी है।
सोमवार को सुबह 11 बजे श्री अकाल तख्त सचिवालय में जत्थेदार रघबीर सिंह को चार पेजों का माफीनामा सौंपने के बाद उक्त नेताओं ने श्री अकाल तख्त साहिब के समक्ष सुखबीर की अगुवाई के दौरान हुई भूलों को बख्श देने की अरदास भी की।
माफीनामा में इनके हस्ताक्षर
हालांकि शिरोमणि अकाली दल के सरपरस्त सुखदेव सिंह ढींडसा खुद तो श्री अकाल तख्त साहिब पर पेश नहीं हुए लेकिन जत्थेदार रघबीर सिंह को सौंपे माफीनामा में बतौर सरपरस्त ढींडसा के भी हस्ताक्षर हैं।
इसके अलावा प्रेम सिंह चंदूमाजरा, पूर्व एसजीपीसी प्रधान बीबी जगीर कौर, पूवर् अकाली मंत्री सुरजीत सिंह रखड़ा, पूर्व मंत्री परमिंदर सिंह ढींडसा , रणधीर सिंह रखड़ा इत्यादि के भी हस्ताक्षर हैं।
सजा भुगतने के लिए तैयार : पंथक धडा
बागी गुट के नेताओं ने जत्थेदार रघबीर सिंह को सौंपे माफीनामा में अतीत विशेषकर साल 2007-2017 की अकाली सरकार के दौरान हुई गलतियों के लिए श्री अकाल तख्त साहिब द्वारा लगाई गई प्रत्येक धार्मिक सजा भुगतने की वचनबद्धता दोहराई है।
पंथक नेताओं ने कहा है कि हम सभी की तरफ से हुई भूलों के लिए माफी मांगते हैं। अकाली सरकार का हिस्सा होते हुए हमसे जाने-अनजाते जो भी गलतियां हुई है इसके लिए श्री अकाल तख्त साहिब द्वारा दी गई कोई भी सजा हम पूरी विनम्रता व दिल से भुगतने के लिए तैयार हैं ताकि हम लोग हमारी आत्माओं पर पडे इस गुनाहों के बोझ से मुक्त हो सके।माफीनामा में आगे लिखा गया है कि हम लोग चाहते हैं कि सजा भुगतने के बाद हम श्री अकालतख्त साहिब से आर्शीवाद हासिल कर निकट भविष्य में शिरोमणि अकाली दल का पुर्नगठन कर इसे पहले की तरह बुलंदियों पर पहुंचा सकें। ताकि हम लोग श्री अकालतख्त साहिब , सिख पंथ व अकाली दल की निष्काम सेवा के लिए अपनी वचनबद्धता प्रगट करते हुए भविष्य में पंथ की सेवा में जुट सकें।
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1. सिरसा के डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह को माफी देना ।2. साल 2015 में जिला फरीदकोट में श्री गुरु ग्रंथ साहिब की हुई बेअदबी के लिए माफी मांगी गई है।3. आईपीएस अधिकारी सुमैध सैनी को डीजीपी पंजाब बनाने व मोहम्मद इजहार आलम की पत्नी को टिकट देने की गलती ।4. अकाली सरकार के दौरान जनता से किए वादे के तहत झूठे पुलिस मुकाबलों की जांच के लिए आयोग का गठन कर निष्पक्ष जांच ना करवा सकने तथा पीडितों को न्याय देने में विफल रहने के लिए माफी।'जल्द शिअद के नाम का गठन कर काफिला बढाएंगे'
उधर, प्रेम सिंह चंदूमाजरा ने कहा कि पंथक नेता जल्द ही नए शिरोमणि अकाली दल का गठन करते हुए असंख्य वर्करों को पार्टी से जोड़ते हुए काफिले को आगे बढाएंगे।विरोधी गुटों द्वारा इस उक्त पंथक नेताओं को भाजपा का एजेंट करार देने पर चंदूमाजरा ने कहा कि यह बादल परिवार की परम्परा रही है कि जो भी सच्चाई उजागर करता है , उनके खिलाफ आवाज बुलंद करता है, उसे पंथ विरोधी भाजपा का एजेंट इत्यादि करार दे दिया जाता है।सुखबीर सिंह बादल ने नहीं मानी बात- चंदुमाजरा
एक अरसे के बाद माफी मांगने के लिए श्री अकाल तख्त साहिब के समक्ष पेश होने संबंधी पूछे गए सवाल के जवाब में चंदुमाजरा ने कहा कि देर आए दरुस्त आए। उन्होंने आगे कहा कि सरकार में रहते हुए वह पूर्व डिप्टी सीएम सुखबीर बादल से गलतियां ना करने की अपील दोहराते रहे थे, उन्हें सावधान करते रहे थे।अकाली सरकार के दौरान हुई गलतियों की श्री अकाल तख्त साहिब पर सामूहिक तौर पर पहुंचकर माफी मांगने की भी कई बार सुखबीर को अपील की। लेकिन उन्होंने किसी की कोई बात नहीं सुनी। जबकि हम सभी उस दौर में भी सरकार का हिस्सा होते हुए माफी मांगने को तैयार थे। उन्होंने कहा कि हम लोग सुखबीर को कहते रहे कि श्री अकाल तख्त साहिब के समक्ष पेश होकर गलतियों के लिए गुरमत मर्यादा के अनुसार पश्चाताप किया जाए तथा गुरमत मर्यादा के अनुसार ही माफी मांगी जाए लेकिन सीनियर लीडरशिप इसके लिए राजी नहीं हुई थी.यह भी पढ़ें- बगावत कोई नई बात नहीं... पहले भी कई उतार-चढ़ाव से गुजर चुका है अकाली दल, पढ़ें क्या है 104 वर्षों का इतिहास?