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SGPC Election 2022 : लिफाफे से नहीं पर्ची होगा चुनाव, प्रधान पद के लिए धामी व बीबी जगीर कौर में टक्‍कर

SGPC Election 2022 शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) का चुनाव आज गुरुनगरी अमृतसर में होगा। इसमें प्रधान सहित विभिन्‍न पदों के लिए चुनाव होगा। इस बार अध्‍यक्ष का चुनाव लिफाफे से नहीं बल्कि वोटिंग से होगा। प्रधान पद के लिए बीबी जगीर कौर व हरजिंदर सिंह धामी में मुकाबला है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Updated: Wed, 09 Nov 2022 10:04 AM (IST)
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एसजीपीसी चुनाव में प्रधान पद उम्‍मीदवार बीबी जगीर कौर और हरजिंदर सिंह धामी। (फाइल फोटो)
जेएनएन, अमृतसर। SGPC Election 2022: शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) का चुनाव आज होगा। इसमें प्रधान सहित विभिन्‍न पदों के लिए चुनाव होगा। प्रधान पद के लिए इस बार लिफाफे नहीं बल्कि पर्ची (वोटिंग) से चुनाव होगा। इसके लिए सुबह से ही सरगर्मी तेज है। प्रधान पद के लिए शिरोमणि अकाली दल के उम्‍मीदवार हरजिंदर सिंह धामी और शिअद की ही बागी प्रत्‍याशी बीबी जगीर कौर के बीच मुकाबला है।  बीबी जगीर कौर के मैदान में उतरने से इस बार चुनाव दिलचस्‍प हो गया है। चुनाव के लिए जनरल इजलास दिन में एक बजे शुरू होगी। 

बीबी जगीर कौर तीन बार रह चुकी हैं एसजीपीसी की प्रधान 

शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की तीन बार प्रधान रही बीबी जगीर कौर की बगावत के कारण इस बार लिफाफे से नहीं, बल्कि पर्ची से प्रधान बनेगा। चुनाव में प्रधान, सीनियर उप प्रधान, जूनियर उप प्रधान, महासचिव तथा अंतरिम कमेटी के 11 सदस्य चुने जाएंगे और 157 सदस्य अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे।

एसजीपीसी चुनाव में लिफाफे से प्रधान निकलने के कल्चर की बात करे तो चुनाव से एक दिन पूर्व शिअद प्रधान को शिरोमणि कमेटी का प्रधान चुनने के अधिकार सदस्यों द्वारा दे दिए जाते थे और उसके बाद अगले दिन चुनाव में लिफाफे से प्रधान निकलता था। बीबी जगीर कौर की बगावत से लंबे समय बाद शिअद के सामने इस बार चुनौती बनी हुई हैंं। 

प्रधानगी के पद पर दो दावेदारों के आमने सामने होने के बाद अब जनरल हाउस में आब्र्जवरों की हाजिरी में दोनों दावेदारों के पोलिंग एजेंट वोट डालने वाले सदस्याें की हाजिरी लगाएंगे और उन्हें एक पर्ची देंगे। पर्ची पर सदस्य अपने पसंदीदी उम्मीदवार का नाम लिखकर मतपेटी में डालेगा और उसके बाद सकी सबके सामने गिनती होगी और जिसके नाम की अधिकाधिक पर्चियां निकलेगी, उसे प्रधान घोषित किया जाएगा।

वर्तमान में 157 सदस्य

साल 2011 में हुए एसजीपीसी के चुनाव में 170 सदस्यों में से शिअद ने 156 सीटों पर जीत दर्ज की थी। शिरोमणि कमेटी का कुल सदन 185 सदस्यों का है, जिसमें 15 सदस्य नोमीनेटिड होते है। छह अन्य सदस्यों में पांचों तख्तों के जत्थेदारों के अलावा श्री हरिमंदिर साहिब के हेड ग्रंथी शामिल है, पर इन्हें वोट डालने का अधिकार नहीं होता। 185 सदस्यों में से 26 सदस्यों का देहांत हो चुका है और दो सदस्यों सुच्चा सिंह लंगाह और शरणजीत सिंह यूपी इस्तीफे दे चुके है। 157 सदस्यों में से छह से सात सदस्य भाजपा में जा चुके है, पर चुनाव में 157 सदस्य अपने मताधिकार का उपयोग करेंगे।

साल में दो बार अहम जनरल इजलास

आज एसजपीसी के प्रधान, सीनियर उप प्रधान, जूनियर उप प्रधान, महासचिव तथा अंतरिम कमेटी के 11 सदस्य चुने जाएंगे। चुनाव में मुकाबला केवल प्रधान पद के लिए ही एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी और बीबी जगीर कौर के बीच होगा। शिरोमणि कमेटी के सदस्य साल में दो बार जनरल हाउस में एकत्रित होते हैं। मार्च महीने में बजट की बैठक बुलाई जाती है और नवंबर में प्रधानगी का चुनाव होता है। इसके अलावा दोनों ही इजलासों में कौम से संबंधित मामलों पर चर्चा की जाती है और आम राय बनाई जाती है।

जीत के लिए चाहिए 79 सदस्यों का समर्थन

एसजीपीसी के पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़ और हिमाचल में 120 हलके हैं, जहां से सदस्य चुनकर आते हैं। पंजाब में 109, हरियाणा में 9, चंडीगढ़ और हिमाचल में 1-1 हलका है। इन्हीं हलकों में 20 जनरल/एससी और 30 महिलाओं के भी चुनाव होते हैं। 170 लोग चुनकर आते हैं।

1994 में बने थे ऐसे ही हालात

शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी में ऐसा नहीं है कि बादल दल से हटकर चुनाव में हिस्सा लेने वाले घटनाक्रम नहीं हुए है। गुरचरण सिंह टोहरा और प्रकाश सिंह बादल में कटुता का माहौल 1994 से ही शुरू हो गया था। 1994 में बादल ने टोहरा के खिलाफ प्रेम सिंह लालपुरा को एसजीपीसी चुनाव में अकाली दल का उम्मीदवार घोषित किया था। तब भी टोहरा और लालपुरा के बीच सीधा मुकाबला हुआ था।

इसमें टोहरा को 66 और लालपुरा को 38 मत मिले थे और बादल की ओर से लालपुरा को प्रत्याशी घोषित किए जाने के बावजूद वह हार गए थे। इसके बाद 2002 के चुनाव में पूर्व अध्यक्ष गुरचरण सिंह टोहरा को मात देने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने कृपाल सिंह बंडूगर को शिअद का प्रत्याशी घोषित किया था और उनके पक्ष में मतदान करवाते हुए उन्हें विजयी बनाया था।

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