Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

SYL Dispute: एसजीपीसी ने एसवाईएल के खिलाफ पारित किया प्रस्ताव, कहा- आंदोलन करना पड़े तो करेंगे

शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) ने एसवाईएल नहर पर पंजाब का अधिकार होने का दावा करते स्पष्ट किया कि पंजाब के पानी पर किसी को भी डाका नहीं मारने दिया जाएगा। एसजीपीसी प्रधान एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी की अध्यक्षता में हुई कार्यकारिणी बैठक में इसके लिए प्रस्ताव पारित किया गया।

By Jeet KumarEdited By: Jeet KumarUpdated: Fri, 20 Oct 2023 04:00 AM (IST)
Hero Image
एसजीपीसी ने एसवाईएल के खिलाफ पारित किया प्रस्ताव

 जागरण संवाददाता, अमृतसर। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) ने एसवाईएल नहर पर पंजाब का अधिकार होने का दावा करते स्पष्ट किया कि पंजाब के पानी पर किसी को भी डाका नहीं मारने दिया जाएगा। एसजीपीसी प्रधान एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी की अध्यक्षता में हुई कार्यकारिणी बैठक में इसके लिए प्रस्ताव पारित किया गया।

प्रस्ताव में धामी ने कहा कि पानी की एक बूंद भी दूसरे राज्यों को नहीं देने दी जाएगी, इसके लिए चाहे एसजीपीसी को आंदोलन का रास्ता ही क्यों न अपनाना पड़े। सरकार का फर्ज बनता है कि वह एसवाईएल के विरोध में सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दर्ज कराए।

एसजीपीसी प्रधान पद का चुनाव आठ नवंबर को होगा

धामी ने कहा कि सीएम ने श्री हरिमंदिर साहिब परिसर में नशा के खिलाफ की गई अरदास का राजनीतिकरण कर दिया है। कार्यकारिणी बैठक में अन्य पारित प्रस्ताव में दिल्ली दंगों के लुधियाना में पंजाब सरकार द्वारा रद किए गए 135 से अधिक लाल कार्ड को बहाल करने की मांग की गई है। धामी ने कहा कि एसजीपीसी प्रधान पद का चुनाव आठ नवंबर को होगा।

यह भी पढ़ें- तरनतारन में मिला चीनी क्वाडकॉप्टर ड्रोन, BSF ने फिर विफल की पाकिस्तान की नापाक साजिश

एसवाईएल का पानी न मिलने से हरियाणा को क्या-क्या नुकसान?

हरियाणा सरकार के अनुसार, इस पानी के न मिलने से दक्षिणी-हरियाणा में भूजल स्तर भी काफी नीचे जा रहा है। एसवाईएल के न बनने से हरियाणा के किसान महंगे डीजल का प्रयोग करके और बिजली से नलकूप चलाकर सिंचाई करते हैं, जिससे उन्हें हर वर्ष 100 करोड़ रुपये से लेकर 150 करोड़ रुपये का अतिरिक्त भार पड़ता है।

यह भी पढ़ें- अमृतसर से दिल्ली का सफर मात्र 40 मिनट में, गडकरी ने दिया सीएम मान को ट्रांजिट-वे बनाने का सुझाव

पंजाब क्षेत्र में एसवाईएल के न बनने से हरियाणा को उसके हिस्से का पानी नहीं मिल रहा जिसकी वजह से 10 लाख एकड़ क्षेत्र को सिंचित करने के लिए सृजित सिंचाई क्षमता बेकार पड़ी है। यदि 1981 के समझौते के अनुसार 1983 में एसवाईएल बन जाती, तो हरियाणा 130 लाख टन अतिरिक्त खाद्यान्नों व दूसरे अनाजों का उत्पादन करता। 15 हजार प्रति टन की दर से इस कृषि पैदावार का कुल मूल्य 19,500 करोड़ रुपये बनता है।