रफ्तार के सौदागर ब्रेट ली को सहना पड़ी थी गहरी पीड़ा, हो गए थे बेबस
क्रिकेट में रफ्तार के सौदागर ब्रेट ली के जीवन में एेसा समय आया था कि वह बेबस हो गए थे। हालात ने उनकी उम्मीदें ताेड़ दी थीं। अब वह नहीं चाहते कि किसी को ऐसी हालत से गुजरना पड़े।
By Sunil Kumar JhaEdited By: Updated: Tue, 29 May 2018 08:42 PM (IST)
अमृतसर, [नितिन धीमान]। कभी अपनी तेज गेंदबाजी से दिग्गल बल्लेबाजों के होश उड़ा देने वाले ब्रेट ली एक समय जीवन में हालात से बेबस हो गए थे। 160 की रफ्तार से बॉल फेंक कर बल्लेबाज के होश उड़ाने वाले को ऑस्ट्रेलिया के रफ्तार के सौदागर ने अपने क्रिकेट करियर में कई रिकॉर्ड कायम किए। लेकिन शायद ही किसी को पता हो कि ब्रेट ली की जिंदगी में एक समय ऐसा भी आया जब वह पी़ड़ा में घिर गए थे। अपी जिंदगी का यह राज सोमवार को ब्रेट ली ने खुछ खोला।
ब्रेट ली की यह बेबसी उनके बेटे प्रेस्टन के कारण थी। ब्रेट ली ने बताया प्रेस्टन जब पांच वर्ष का थातो ऊंचाई से गिरने की वजह से उसके सिर पर गंभीर चोट लगी। इस हादसे में उसके एक कान की हड्डी क्षतिग्रस्त हुई। सिर की चोटों का तो उपचार हो गया, लेकिन उसके सुनने की क्षमता चली गई। बात करने पर भी वह कोई प्रतिक्रिया नहीं देता। ब्रेटली ने कहा यह उनकी जिंदगी का बहुत ही पीड़ादायी वक्त था।बेटा प्रिस्टन पांच साल का था तब श्रवण शक्ति चली गई, वापस आई तो शुरू किया अवेयरनेस प्रोगाम
सोमवार को अमृतसर स्थित श्री गुरु रामदास यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज पहुंचे ब्रेटली ने अपने संबोधन में इस घटना का उल्लेख किया। वह यहां न्यूबोर्न हियरिंग स्क्रीनिंग यूएनएचएस कार्यक्रम के संदर्भ में जागरूकता सेमिनार में शामिल होने आए थे। पीली रंग की दस्तार सजाकर पहुंचे ब्रेटली का यहां जबरदस्त स्वागत किया गया।
अमृतसर के श्री गुरु रामदास यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज में दस्तर बंधवाते ब्रेट ली। उन्होंने कहा, बेटे प्रेस्टन की श्रवण शक्ति आठ माह बाद अचानक प्राकृतिक रूप से लौट आई, लेकिन तब मुझे लगा कि ऐसी पीड़ा से गुजरने वालों के लिए कुड करना चाहिए। यह महसूस हुआ कि ऐसे असंख्य लोग हैं जो जीवन भर सुनने व बोलने से वंचित रह जाते हैं। इसके ऐसे लोगों के लिए उन्होंने अवेयरनेस प्रोगाम की शुरुआत की।
यह भी पढ़ें: कैप्टन बोले- सिद्धू के बेटे ने बिना कोई पैसा लिए 13 माह किया काम, काबिलियत पर दी नियुक्तिकॉलीक्लर ग्लोबल हियरिंग के ब्रांड अम्बेसडर ब्रेटली ने कहा कि विश्व भर में 46.60 करोड़ लोग हैं जो सुन नहीं सकते। इनमें 3.40 करोड़ बच्चे शामिल हैं। यदि छोटी उम्र में बच्चा रिस्पांस नहीं देता तो उसकी जांच करवाना आवश्यक है। उन्हाेंने कहा, ब्रांड अंबेसडर के रूप में यह मेरी भी जिम्मेवारी है कि ऐसे लोगों व बच्चों के लिए काम करूं। वर्तमान में यह जरूरी है कि नवजात शिशुओ की हियरिंग लॉस स्क्रीनिंग अनिवार्य रूप से की जाए। केरल भारत का पहला राज्य है जहां 66 सरकारी केंद्रों में बच्चों की हियरिंग स्क्रीनिंग होती है। पंजाब सहित भारत के सभी राज्यों को इस दिशा में कदम उठाना चाहिए।
अमृतसर के श्री गुरु रामदास यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज में ब्रेट ली।
------------
एसडीआरडी में जन्म लेने वाले बच्चों की होगी हियरिंग लॉस स्क्रिीनिंग यूनिवर्सिटी के एडिशनल सचिव डॉ. एपी सिंह ने कहा कि पंजाब में न सुनने वाले लोगों की कुल संख्या 1.46 लाख से ज्यादा है। उन्होंने कहा कि अब श्री गुरु रामदास इंस्टीट्यूट (एसडीआरडी ) में जन्म लेने वाले बच्चों की हियरिंग लॉस स्क्रिीनिंग की जाएगी। यदि कोई बच्चा सुनने में अक्षम मिला तो कॉक्लियर इंप्लांट प्रत्यारोपित किया जाएगा। उन्होंने केंद्र सरकार को पत्र लिख इंप्लांट के लिए ग्रांट देने की अपील की गई है। श्री गुरु रामदास इंस्टीटयूट में रविवार को दो बच्चों के कॉक्लियर इंप्लांट के ऑपरेशन फ्री किए गए हैं।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।यह भी पढ़ें: 34 साल की महिला टीचर को 14 साल के छात्र से हुआ प्यार, फिर तोड़ दी सारी सीमाएं
-----------कॉक्लियर इंप्लांट चिकित्सा से वापस आ सकती है सुनने की शक्तिभोपाल से आए डॉक्टर एसपी दूबे ने कहा कि हियरिंग लॉस का कारण आनुवांशिक है, वहीं कॉक्लियर इंप्लांट चिकित्सा विज्ञान के इतिहास में हुए सर्वश्रेष्ठ आविष्कारों में से एक है। यह ऐसी विधि है जो पांच इंद्रियों से एक को पुनस्थापित कर सकता है। शुरूआती दौर में यदि बच्चों को इंप्लांट लगा दिया जाए तो वह सामान्य जीवन जी सकता है।यह भी पढ़ें: विपक्ष के बाउंसर पर नवजोत सिद्धू का मास्टर स्ट्रोक, कहा- पत्नी और बेटा नहीं लेंगे पद
मुख्यमंत्री बाल श्रवण योजना साबित हो सकती है वरदानकेंद्र सरकार ने मुख्यमंत्री बाल श्रवण योजना क्रियान्वित की है, जो वरदान साबित हो सकती है। इसके तहत केंद्र सरकार इंप्लांट के लिए पांच लाख रुपये जारी करती है, वहीं राज्य को इसमें 1 लाख 48 हजार रुपये का योगदान देना पड़ता है। पंजाब सरकार भी इस योजना का लाभ उठाने के लिए अपना हिस्सा देगी।