अमृतसर: SMO पर फर्जी जाति प्रमाणपत्र लगाने का आरोप, SC कोटे से स्वास्थ्य विभाग में पाई नौकरी; विभागीय जांच शुरू
कस्बा रमदास के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में तैनात एसएमओ डॉ. राम सिंह पर फर्जी एससी प्रमाण पत्र से नौकरी पाने का आरोप है। शिकायत मिलने पर स्वास्थ्य विभाग ने जांच शुरू कर दी है। आरोप है कि उन्होंने सामान्य श्रेणी से होते हुए भी एससी वर्ग बताकर नौकरी हासिल की। जांच टीम दस्तावेजों की पड़ताल कर रही है।
नितिन धीमान, अमृतसर। कस्बा रमदास स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में तैनात वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी (एसएमओ) डा. राम सिंह पर फर्जी तरीके से अनुसूचित जाति (एससी) का प्रमाण पत्र बनवाकर नौकरी प्राप्त करने का गंभीर आरोप लगा है। इस मामले में विभाग को लिखित शिकायत मिलने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने जांच प्रक्रिया शुरू कर दी है।
डा. राम सिंह पर आरोप है कि वे मूल रूप से सामान्य (जनरल) श्रेणी से संबंध रखते हैं, लेकिन उन्होंने सरकारी सेवा में भर्ती के दौरान खुद को एससी वर्ग से संबंधित बताकर आरक्षण का लाभ उठाया और स्वास्थ्य विभाग में नियुक्ति पाई। यह आरोप सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग हरकत में आ गया है और चंडीगढ़ से एक विशेष जांच टीम का गठन किया गया है, जो इस पूरे मामले की तह तक जांच में जुटी है।
स्वास्थ्य विभाग की ओर से की जा रही प्राथमिक जांच में कई तरह के विरोधाभास सामने आए हैं। प्रारंभिक स्तर पर यह बात सामने आई कि डा. राम सिंह के दस्तावेजों में एससी वर्ग का उल्लेख है, लेकिन शिकायतकर्ता द्वारा प्रस्तुत प्रमाणों के आधार पर दावा किया गया है कि वे वास्तव में जनरल श्रेणी से हैं।
अब जांच टीम यह पता लगाने का प्रयास कर रही है कि डा. राम सिंह द्वारा प्रस्तुत जाति प्रमाण पत्र असली है या नकली। स्वास्थ्य विभाग की ओर से डा. राम सिंह की जाति से संबंधित रिकॉर्ड और उनके शैक्षणिक तथा सेवा से जुड़े दस्तावेजों की भी गहनता से जांच की जा रही है।
यदि यह प्रमाणित हो जाता है कि उन्होंने गलत जानकारी देकर नौकरी प्राप्त की है, तो उनके खिलाफ सख्त विभागीय व कानूनी कार्रवाई तय मानी जा रही है।
इस पूरे विवाद के बीच एक और महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि डा. राम सिंह की सेवानिवृत्ति में अब महज एक वर्ष का समय शेष है। ऐसे में जांच की प्रक्रिया और इसके संभावित परिणामों ने उनके लिए मुश्किलें बढ़ा दी हैं। अगर जांच में आरोप सही पाए जाते हैं, तो न सिर्फ उनकी पेंशन और अन्य सेवा लाभ प्रभावित हो सकते हैं।
स्वास्थ्य विभाग के उच्चाधिकारियों ने इस मामले को बेहद गंभीरता से लिया है। विभाग का कहना है कि सरकारी सेवाओं में फर्जी प्रमाण पत्र के माध्यम से नियुक्ति पाना एक आपराधिक कृत्य है और इसे किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। विभागीय प्रवक्ता ने बताया कि जांच पूरी तरह निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से की जा रही है और दोषी पाए जाने पर नियमानुसार सख्त कार्रवाई की जाएगी।
एसएमओ के भाई ने भी फर्जी प्रमाण पत्र लगाकर प्राप्त की नौकरी
शिकायतकर्ता अजय कुमार मेहरा जो अमृतसर के ईस्ट मोहन नगर के निवासी हैं, का कहना है कि डा. राम सिंह के साथ उनके भाई कंवलजीत सिंह जो कम्युनिटी हेल्थ सेंटर मानांवाला में एमएलटी के रूप में पदस्थ हैं उन्होंने भी फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी प्राप्त की है।
इन व्यक्तियों के साथ मेरा कोई व्यक्तिगत विवाद या संबंध नहीं है। यह शिकायत दर्ज करने का मेरा एकमात्र उद्देश्य सत्य को सामने लाना है। दोनों ही सामान्य वर्ग से हैं, लेकिन उन्होंने आरक्षित कोटे के तहत अपनी नियुक्तियां हासिल की हैं।
जांच अधिकारी ने शिकायतकर्ता के लिए बयान
इधर स्वास्थ्य विभाग ने मामले की जांच के लिए डिप्टी डायरेक्टर सह जांच अधिकारी डा. सुभाष कुमार को तैनात किया है। 21 अगस्त को डा. सुभाष ने शिकायतकर्ता अजय कुमार को चंडीगढ़ बुलाया था।
इस दौरान जब सर्विस बुक की जांच की गई तो डा. राम सिंह के दस्तावेजों में जाति प्रमाण पत्र के संबंध में दस्तावेज नहीं मिला। हालांकि डा. सुभाष ने कहा कि जाति प्रमाण पत्र स्वास्थ्य विभाग के रिकार्ड में होगा। वह निकलवाया जाएगा। इसके बाद सच सामने आएगा।
फोन पर कुछ नहीं कहूंगा: डा. राम सिंह
इधर, एसएमओ डा. राम सिंह से जब जब प्रमाण पत्र के विषय में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि वह फोन पर इस संबंध में कुछ नहीं कह सकते। मामले की जांच चल रही है।
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